जानिए क्या है Keto Diet?
चमचमाती दुनिया को किस ने बनाया है? देखा जाए तो शायद सोशल मीडिया ने. जिसमें फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे चैनल शामिल हैं. हमारा जीवन इन दोनों चैनल पर अपलोड हुई तस्वीरें बनाती हैं. सेलिब्रिटी से लेकर टीवी सीरियल के किरदार, दोस्तों से लेकर रिश्तेदार, हर कोई इस दुनिया का अहम हिस्सा बनना चाहता है. अच्छी और खूबसूरत तस्वीरें अपलोड करने का उनका जी चाहता है. लेकिन, हाल ही की दुनिया में लोगों में फिटनेस का भूत सवार है. जिसमें हर कोई टोन बॉडी पाना चाहता है. इसे बनाए रखने की ख़्वाहिश करता है.
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कौन नहीं चाहता कि वो बॉडी से फैट दूर निकाल बाहर फेंके. उन एक्सट्रा किलो को कम करे जो शायद पेट पर चिपका है. और जाने का नाम नहीं ले रहा है? कई सालों से लोग एक ऐसे जादू के होने का इंतज़ार कर रहे हैं जिससे वे अपनी बॉडी में बदलाव ला सकें. एजिंग की प्रक्रिया को नैचुरल कर सकें. एक ऐसी डायट वे अब फॉलो करने लगे हैं जिसने कई लोगों की वजन घटाने में मदद की है. शोधकर्ताओं से लेकर फिटनेस ट्रेनर्स तक ने इसके आगे घुटने टेक दिए हैं.
ये है कीटोजेनिक डायट, जिसे ज्यादातर लोग कीटो डायट के नाम से जानते और पहचानते हैं.
क्या है कीटो डायट?
कीटो डायट एक ऐसे प्रकार की डायट है जिसमें ग्लूकोज़ की जगह कीटोन्स शरीर को एनर्जी देने का काम करते हैं. हर व्यक्ति को अलग संख्या के कीटोन्स की जरूरत होती है. कार्बोहाइड्रेट्स की जगह शरीर फैट बर्न कर एनर्जी के रूप में इस्तेमाल करता है. इस डायट में कार्बोहाइड्रेट लिए तो जाते हैं लेकिन न के बराबर. बहुत ही कम मात्रा में. सीमित मात्रा में प्रोटीन और फैट्स की मात्रा इसमें ज्यादा ली जाती है. आमतौर पर देखा जाए, तो ग्लूकोज़, शरीर को एनर्जी देने का मूल कारण बनता है. लेकिन, जब शरीर कार्बोहाइड्रेट्स लेना कम कर देता है तो ये मेटाबॉलिक स्टेट में पहुंच जाता है जिसे ‘कीटॉसिस’ कहते हैं. इसमें लिवर, फैट को गलाकर कीटोन्स में बदलता है. जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है. कीटोन्स, एनर्जी का एक ऐसा दूसरा विकल्प है जो पूरे शरीर में एनर्जी सप्लाई करता है. यहां तक की दिमाग तक ये इस एनर्जी को भेजता है.
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कीटो डायट के दरमियान कितनी मात्रा में लेना चाहिए कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और फैट्स?
रोजमर्रा में कीटो डायट के दौरान केवल 50 ग्राम से कम कार्बोहाइड्रेट्स लेने होते हैं. अच्छा नतीजा मिले, इसके लिए 20 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स लेना इस डायट में एक आदर्श मात्रा मानी गई है. जहां तक बात है प्रोटीन लेने की तो इस डायट में बॉडी के हर किलो के अनुसार प्रोटीन लिया जाता है. यानी एक किलो में आप 1.3 से 2.2 ग्राम तक प्रोटीन लेते हैं. मसलन, अगर बॉडी वेट 60 है तो 60x1.3-2.2 ग्राम प्रोटीन को गुणा कर लें.
लेकिन, ये भी व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग मात्रा में तय किया जाता है. जो व्यक्ति साधारण जीवनशैली जी रहा है उसके लिए 1.3 ग्राम प्रोटीन बहुत है. वहीं जो स्ट्रेंथ ट्रेनिंग कर रहा है उसके लिए 2.2 ग्राम प्रोटीन लेना बेहतर विकल्प है. प्रोटीन, फैट सेल्स को तोड़ने में मदद करता है. साथ ही ये लंबे समय तक पेट भरा रखता है. मीठे और नमकीन खाने की क्रेविंग को खत्म करता है. बेवक्त भूख लगने की समस्या को भी ये दूर रखता है. अगर एक अधिकतम मात्रा से ज्यादा इस डायट में प्रोटीन लेते हैं तो ‘कीटॉसिस’ क्रिया उल्टी होनी शुरू हो जाती है. जिससे ग्लूकोज़ की मात्रा को बढ़ावा मिलता है और वजन घटाने में परेशानियां आने लगती हैं.
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बाकी की कैलोरी फैट से शरीर को मिलती है. करीब 70 प्रतिशत. 25 प्रतिशत प्रोटीन और मात्र पांच प्रतिशत कैलोरी हमारा शरीर कार्बोहाइड्रेट्स से लेता है. इन सभी चीजों की मात्रा एक से दूसरे व्यक्ति पर निर्भर करती हैं. साथ ही बॉडी मास इंडेक्स भी इसमें मायने रखता है. जीवनशैली और वजन भी इसका हिस्सा रहते हैं.
कीटो डायट के फायदे
कीटो डायट को लेना का एक सबसे महत्वपूर्ण कारण होता है वजन घटाना. इसमें शरीर फैट बर्न करने की मशीन की तरह काम करता है. जिसकी वजह से वजन तेजी से गिरता है. कार्बोहाइड्रेट्स, क्योंकि कम मात्रा में लिए जाते हैं, इसलिए इंसुलिन अपने अंदर फैट जमा रखता है. जोकि शरीर एनर्जी में बदलने के लिए इस्तेमाल करता है. फैट की लेयर जल्दी-जल्दी कम होने लगती हैं.
डायबिटीज़ घटाने में भी है ये डायट कामयाबः ब्लड शुगर लेवल कम होता है जिससे डायबिटीज़ नियंत्रित रह पाती है. मरीज को ब्लड शुगर नियंत्रित रखने की जहमत कम उठानी पड़ती है.
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कई समय से शोधकर्ता और वैज्ञानिक कीटो डायट फॉलो कर रहे हैं और अब इसे मानने लगे हैं. क्योंकि इस डायट से एपीलेप्सी जैसी समस्या को खत्म किया जा सकता है, वह भी कम दवाइयों के इस्तेमाल से.
कार्बोहाइड्रेट्स के मुकाबले फैट्स को एनर्जी का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. ये लंबे समय तक पेट को भरा रखते हैं और बेवक्त भूख लगने की समस्या को खत्म करते हैं.
ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने में फैट्स मददगार होते हैं. इसमें कार्बोहाइड्रेट्स कम लिए जाते हैं और कीटोन्स, शरीर के साथ दिमाग के लिए एनर्जी का अच्छा स्रोत माने जाते हैं. कीटो डायट से मानसिक केंद्र भी काफी हद तक बेहतर होता है.
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कीटो डायट के शुरुआती नुकसान
हमारा शरीर एक अलग ही प्रक्रिया पर काम करने लगता है, जब हम कीटो डायट लेना शुरू कर देते हैं. ऐसे में हमें एनर्जी, फैट्स से मिलती है. जोकि, शरीर के लिए अपनाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. शुरुआती दिनों में लोगों को थकान ज्यादा महसूस होना, नींद आना, सिरदर्द की शिकायत रहना और जी-मिचलाने की समस्या हो सकती है. जिसे ‘कीटो फ्लू’ कहते हैं. व्यक्ति को बार-बार बाथरूम जाने की भी परेशानी इसमें रहती है. पानी की कमी और शायद कुछ इलैक्ट्रोलाइट्स भी इस डायट में शरीर से निकलते हैं. जिससे होता है सबसे पहले शरीर से पानी वाला वजन कम. लेकिन, जब शरीर इस डायट को अपना लेता है तब जाकर फैट लॉस होना शुरू होता है. धीरे-धीरे कीटो फ्लू भी गायब होने लगता है.
जब शरीर से विटामिन्स और इलैक्ट्रोलाइट्स के साथ मैग्नीशियम निकलता है तो कई बार मसल्स में दर्द रहने की शिकायत व्यक्ति करता है. इसलिए इस डायट के दौरान ढेर सारा पानी पिएं और मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स लेना न भूलें.
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शुरुआती दिनों में क्योंकि शरीर काफी डीहाइड्रेट रहता है जिसकी वजह से लोगों को कब्ज की शिकायत रहती है. इस समस्या को खत्म करने का एक तरीका ज्यादा से ज्यादा पानी पीना है. इसके अलावा साइलियम हस्क पाउडर भी ले सकता है.
शरीर परिवर्तित हो रहा होता है और एक नई क्रियाविधि पर काम कर रहा होता है ऐसे में कई लोगों को ताकत और स्टैमिना कम होने की भी शिकायत रहती है. जब शरीर ‘कीटॉसिस’ की क्रिया अपना लेता है तब धीरे-धीरे एनर्जी को बढ़ावा मिलता है और शारीरिक क्रियाएं भी बढ़ती हैं.
कई केस ऐसे भी हैं जहां लोगों को बाल झड़ने और रैश होने की समस्या उत्पन्न हुई है. लेकिन कुछ दिनों बाद ये समस्या भी खत्म होती नज़र आई.
कैसे करें कीटो डायट की शुरुआत?
कीटो डायट अगर कोई शुरू करने जा रहा है तो उसे सबसे पहले रिसर्च कर लेनी चाहिए. शरीर को किस हिसाब से माइक्रोन्यूट्रीयंट्स की जरूरत है और कैलोरी कितनी लेनी है, जीवनशैली किस प्रकार है, ये सभी चीजें कीटो डायट में मायने रखती हैं. शरीर कितना कीटो फ्रेंडली काम कर पाता है, ध्यान देना इस पर बेहद आवश्यक है.
कार्बोहाइड्रेट्स, चीनी और स्टार्च को डायट से पूरी तरह निकालना होता है. जिससे कीटॉसिस अपना सही काम कर सके. मार्केट में कई ऐसे ऐप्स आ चुके हैं जिनकी मदद से आप कीटो डायट में ली जाने वाली कैलोरी, फैट, कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन का ट्रैक रख सकते हैं. पानी और मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स लेना इस दौरान जरूरी है.
कीटो डायट में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?
नहीं खाना चाहिए- चावल, गेहूं, कॉर्न, ब्रेड, पास्ता, पिज्जा, दूध, दाल, आलू, सोया उत्पाद, बेक की हुई चीजें, फल जिनमें फ्रक्टोज़ की मात्रा ज्यादा होती है वह भी लेने से बचना चाहिए. जैसे सेब, केला, संतरा, आम आदि. इन सभी फलों में चीनी की भरपूर मात्रा पाई जाती है.
क्या खाना चाहिए- फिश, चिकन, मटन, अंडे, पालक, केल, पत्तागोभी, जुखीनी, ब्रॉकली, हाई फैट दूध. चीज, मक्खन, स्टीविया चीनी, बादाम, कद्दू के बीज, अखरोट, सूरजमुखी के बीज, नारियल का तेल, वर्जिन जैतून का तेल आदि.
कीटो डायट का और अच्छा नतीजा पाने के लिए Intermittent Fasting Diet (एक ऐसी डायट जिसमें लोग रात का खाना 8 बजे तक लेकर अगले दिन 8 बजे नाश्ता करते हैं. यानी 12 घंटे बीच में कुछ नहीं खाते हैं) के साथ फॉलो करना प्रिफर करें. इससे कीटोन्स लेवल को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा आप रनिंग, साइकलिंग और वेट ट्रेनिंग भी कर सकते हैं. मसल में जमा फैट इसकी मदद से कम होगा.
शरुआती लोग कीटो डायट फॉलो करने के लिए वेबसाइट, इंटरनेट, फेसबुक और सोशल मीडिया का सहारा ले सकते हैं. सप्लीमेंट्स ले सकते हैं जो मैग्नीशियम और विटामिन्स की पूर्ति करें. फिर भी जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें.
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