योग प्रशिक्षिका सविता यादव
Yoga Session: आज के लाइव योगा सेशन (Live Yoga Session) में हमने कई छोटे-छोटे योगाभ्यासों को सीखा. इस समय जो लोग अभी भी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं उनके लिए इन आसनों को रूटीन में शामिल करना जरूरी है. योग स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखते हैं. वहीं इम्युनिटी को बेहतर बनाए रखने में भी योग की महत्वपूर्ण भूमिका है. इन आसन के जरिए स्वास्थ्य (Health) ठीक रहता है और तनाव (Stress) से भी मुक्ति मिलती है. योगाभ्यास करने से शरीर के सभी अंगों में ऑक्सीजन का फ्लो सही रहता है, ब्लड सर्कुलेशन सही तरीके से होता है. इन आसनों के जरिये शरीर लचीला बना रहता है और हाथों, पैरों में मजबूती आती है. योगाभ्यास करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इन्हें धीरे-धीरे करना चाहिए. व्यायाम से पहले ये तीन नियम जरूर ध्यान रखें कि अच्छा गहरा लंबा श्वास लें, गति का पालन करें और अपनी क्षमता के अनुसार ही योग करें.
कपालभाति
कपालभाति बहुत ऊर्जावान उच्च उदर श्वास व्यायाम है. कपाल अर्थात मस्तिष्क और भाति यानी स्वच्छता अर्थात ‘कपालभाति’ वह प्राणायाम है जिससे मस्तिष्क स्वच्छ होता है और इस स्थिति में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सुचारु रूप से संचालित होती है. वैसे इस प्राणायाम के अन्य लाभ भी हैं. लीवर किडनी और गैस की समस्या के लिए बहुत लाभ कारी है. कपालभाति प्राणायाम करने के लिए रीढ़ को सीधा रखते हुए किसी भी ध्यानात्मक आसन, सुखासन या फिर कुर्सी पर बैठें. इसके बाद तेजी से नाक के दोनों छिद्रों से सांस को यथासंभव बाहर फेंकें. साथ ही पेट को भी यथासंभव अंदर की ओर संकुचित करें.
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इसके तुरंत बाद नाक के दोनों छिद्रों से सांस को अंदर खीचतें हैं और पेट को यथासम्भव बाहर आने देते हैं. इस क्रिया को शक्ति व आवश्यकतानुसार 50 बार से धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 500 बार तक कर सकते हैं लेकिन एक क्रम में 50 बार से अधिक न करें. क्रम धीरे-धीरे बढ़ाएं. इसे कम से कम 5 मिनट और अधिकतम 30 मिनट तक कर सकते हैं.
कपालभाति के फायदे
-ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है.
-सांस संबंधी बीमारियों को दूर करमे में मदद मिलती है. विशेष रूप से अस्थमा के पेशेंट्स को खास लाभ होता है.
-महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी.
-पेट की चर्बी को कम करता है.
-पेट संबंधी रोगों और कब्ज की परेशानी दूर होती है.
-रात को नींद अच्छी आती है.
ये लोग कपालभाति न करें
-प्रेग्नेंट महिलाओं को इसे करने से बचना चाहिए.
-जिनकी कोई सर्जरी हुई हो वह इसे न करें.
-गैसट्रिक और एसिटिडी वाले पेशेंट्स इसे धीरे-धीरे करने की कोशिश करें.
-पीरियड्स में बिल्कुल न करें.
-हाई बीपी और हार्ट संबंधी रोगों के पैशेंट्स इसे करने से बचें.
अनुलोम विलोम प्राणायाम
सबसे पहले पालथी मार कर सुखासन में बैठें. इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए. अब अनामिका उंगली से बाई नासिका को बंद कर दें. इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें. अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड़ दें.
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अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे
-फेफड़े मजबूत होते हैं
-बदलते मौसम में शरीर जल्दी बीमार नहीं होता.
-वजन कम करने में मददगार
-पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाता है
-तनाव या डिप्रेशन को दूर करने के लिए मददगार
-गठिया के लिए भी फायदेमंद
भस्त्रिका
सबसे पहले ध्यान या वायु मुद्रा में बैठकर भस्त्रिका व्यायाम करें. यह मुख्य रूप से डीप ब्रीदिंग है. करीब पांच मिनट तक रोजाना डीप ब्रीदिंग करें, इससे आपका रेस्पिरेटरी सिस्टम मजबूत हो जाएगा.
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