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कब तलक भरते रहें दम दोस्ती का आपकी, आस्तीनों में न हमसे सांप पाले जाएंगे

मशहूर शायर आलोक यादव का नया गजल संग्रह 'क़लम ज़िंदा रहेगा' भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित से प्रकाशित हुआ है.

मशहूर शायर आलोक यादव का नया गजल संग्रह 'क़लम ज़िंदा रहेगा' भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित से प्रकाशित हुआ है.

आलोक यादव आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त के पद पर अपनी से ...अधिक पढ़ें

मौन के ये आवरण मुझको बचा ले जाएंगे
वरना बातों के कई मतलब निकाले जाएंगे

राजनैतिक व्याकरण तुम सीख लो पहले ज़रा
वरना फिर अखबार में फिकरे उछाले जाएंगे

जानते हैं रहनुमा देंगे हमें कैसा जवाब
आज के सारे मसाइल कल पे टाले जाएंगे

अब अंधेरों की हुकूमत हो चली है हर तरफ़
अब अंधेरों की अदालत में उजाले जाएंगे

शहर से हाकिम के हरकारे जो आए गांव में
जाने किसके छीनकर मुंह के निवाले जाएंगे

कब तलक भरते रहें दम दोस्ती का आपकी
आस्तीनों में न हमसे सांप पाले जाएंगे

दर्दे-दिल जो मौत से पहले गया तो दर्द क्या
तेरी थाती को हमेशा हम संभाले जाएंगे

प्यार का दोनों पे आख़िर जुर्म साबित हो गया
ये फरिश्ते आज जन्नत से निकाले जाएंगे

अश्क ज़ाया हो न पाएं सौंप दो तुम सब हमें
दिल है अपना सीप सा मोती बना ले जाएंगे

तुम अगर हो दीप तो ‘आलोक’ लासानी हैं हम
हम तुम्हारे बाद भी महफ़िल सजा ले जाएंगे।

अब न रावण की कृपा का भार ढोना चाहता हूं
आ भी जाओ राम मैं मारीच होना चाहता हूं

थक चुका हूं, और कब तक ये दुआ करता रहूं मैं
एक कांधा कर अता मौला कि रोना चाहता हूं

तुम कि पंछी हो उड़ो आकाश में जिस ओर चाहो
कब तुम्हारी राह की दीवार होना चाहता हूं

है हकीकत से तुम्हारी आशनाई ख़ूब लेकिन
मैं तुम्हारी आंख में कुछ ख़्वाब बोना चाहता हूं

आशिकों के आंसुओं से था जो तर दामन ग़ज़ल का
अश्क से मज़लूम के उसको भिगोना चाहता हूं

जिनके हाथों में किताबों की जगह औज़ार देखे
उनकी आंखों में कोई सपना सलोना चाहता हूं

है कलम तलवार से भी तेज़तर ‘आलोक’ तो फिर
मैं किसी मजबूर की शमशीर होना चाहता हूं।

Tags: Hindi Literature, Hindi poetry, Hindi Writer, Literature, Poet

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