चर्चित लेखक अतुल प्रभाकर की दो पुस्तकों को लोकार्पण किया गया.
नई दिल्ली: वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु प्रभाकर के पुत्र अतुल प्रभाकर की दो पुस्तक ‘डूबते को तिनके का सहारा’ (कविता संग्रह) और ‘प-ग चिह्न’ का लोकार्पण किया गया. इस अवसर उनकी कृतियों पर साहित्यिक चर्चा का भी आयोजन किया गया. साहित्यिक चर्चा की अध्यक्षता डॉ. सुरेश चंद्र शर्मा ने की.
इस अवसर पर प्रसिद्ध कथाकार बलराम अग्रवाल, डॉ. सुनीता, कुसुम लता, हर्षवर्धन आर्य, केदारनाथ शब्द मसीहा, डॉ. पूरन सिंह, पिंकी कुमारी और अंजू खरबंदा सहित कई रचनाकारों ने अतुल प्रभाकर के कृतित्व और व्यक्तित्व पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए.
वक्ताओं ने कहा कि अतुल प्रभाकर की हर रचना संवेदना के स्तर को छू कर पुस्तक से निकलकर पाठक के मन में जा बसती है. उनकी कविताओं में संवेदनशील मन का चिंतन है. वक्ताओं ने कहा कि अतुल गांधीवादी सोच के कवि हैं. गांधीवाद उनकी कविता में अंतरधारा की तरह प्रभावित है.
वक्ताओं ने कहा कि अतुल प्रभाकर की रचनाओं में आम आदमी और उसका समाज दिखाई देता है. उनकी रचनाओं को पढ़ते हुए लगाता है कि जिस पात्र के बारे में आप पढ़ रहे हैं उनसे आप कभी ना कभी कहीं ना कहीं मिले हैं.
कथाकार बलराम अग्रवाल ने कहा कि अतुल प्रभाकर बिना किसी चमक-धमक में आए शांतभाव से साहित्य सेवा में लगे रहते हैं. उन्होंने कहा कि अतुल किसी भी दल या गुट से परे निरंतर साहित्य साधन में रमे रहते हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Books, Hindi Literature, Hindi Writer, Literature