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संस्कृत की लोकोक्ति और मुहावरों का अद्भुत संकलन है 'व्यावहारिक-संस्कृत-शब्दकोश:'

डॉ. जीतराम भट्ट वर्तमान में डॉ. गो. गि. ला. शा. प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान् के निदेशक और हिंदी अकादमी दिल्ली के सचिव हैं.

डॉ. जीतराम भट्ट वर्तमान में डॉ. गो. गि. ला. शा. प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान् के निदेशक और हिंदी अकादमी दिल्ली के सचिव हैं.

'व्यावहारिक-संस्कृत-शब्दकोश:' दिल्ली के डा. गोस्वामी गिरिधारी लाल शास्त्री प्राच्य विद्या प्रतिष्ठानम् द्वारा प्रकाशित ...अधिक पढ़ें

Sanskrit Sahitya News: दैनिक जीवन में हम तमाम तरह के मुहावरे और लोकोक्तियों का इस्तेमाल करते हैं. कम शब्दों में सार्थक तरीके के अपनी बात कहने का तरीका हैं मुहावरे और लोकोक्तियां. हिंदी के मुहावरे और लोकोक्तियों की जगह अब अंग्रेजी के इडियम्स एंड फ्रांसेस (Idioms and proverbs) लेते जा रहे हैं. लेकिन कभी ध्यान दिया है कि संस्कृत में भी इन लोकोक्ति और मुहावरों को किस तरह बोला और समझा जा सकता है?

किसी घटना या किस्से में किसी ताकतवर के प्रभाव का जिक्र करते हैं तो फौरन कहते हैं- ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’. अंग्रेजी में इसके लिए तुरंत निकलता है- Might is right. लेकिन कभी सोचा है कि संस्कृत में इसे क्या कहेंगे. ‘सर्व बलवतां स्वकम‘, जी हां, संस्कृत में ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ के लिए इस्तेमाल होता है ‘सर्व बलवतां स्वकम’.

बहुत ज्यादा बोलने वालों के लिए हम अक्सर इस्तेमाल करते हैं- जो गरजते हैं वो बरसते नहीं. अंग्रेजी में ऐसे लोगों के लिए Barking dogs seldom bite इस्तेमाल किया जाता है और संस्कृत में इन लोगों को कहा जाता है- ‘शूरा नहीं विकत्थन्ते‘.

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हिंदी और संस्कृत के विद्वान डॉ. जीतरात भट्ट द्वारा लिखित तथा संम्पादित ‘व्यावहारिक-संस्कृत-शब्दकोश:’ एक ऐसा ही खजाना है जिसमें आपको सैकड़ों मुहावरे और लोकोक्तियों का संस्कृत अनुवाद मिलेगा. ‘व्यावहारिक-संस्कृत-शब्दकोश:’ दिल्ली के डा. गोस्वामी गिरिधारी लाल शास्त्री प्राच्य विद्या प्रतिष्ठानम् द्वारा प्रकाशित किया गया है. संस्कृत के विद्यार्थी और शोधार्थियों के लिए यह शब्दकोश बहुत ही उपयोगी है.

डॉ. जीतराम भट्ट वर्तमान में डॉ. गो. गि. ला. शा. प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान् के निदेशक और हिंदी अकादमी दिल्ली के सचिव हैं.

डॉ. भट्ट बताते हैं कि हम दैनिक जीवन में भी बहुत सारे संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करते हैं, लेकिन उनका सही अर्थ नहीं जानते. ‘व्यावहारिक-संस्कृत-शब्दकोश:’ हिंदी भाषी लोगों के लिए यह जानने में बहुत ही साहयक होगा कि वे रोजना किस तरह से संस्कृत के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. उनका सही अर्थ और सही उच्चारण क्या है.

400 पृष्ठों के ‘व्यावहारिक-संस्कृत-शब्दकोश:’ में आपको संस्कृत का शब्दकोश तो मिलेगा ही, साथ में न्यायपालिका के शब्द, लोकोक्तियां, मुबावरे, संस्कृत की गिनतियां, विविध व्यसाय और व्यवसायियों के नाम, पशु-पक्षी और कीट-पंतगों के संस्कृत नाम, दैनिक प्रयोग में आने वाली वस्तुओं और खाने-पीने के सामान के नाम, फल-सब्जी और मसालों के नाम इस शब्द कोश में मिलेंगे. शरीर के अंगों को संस्कृत में क्या कहते हैं और चाचा या मामा को संस्कृत में कैसे पुकारेंगे, ये बातें इस शब्दकोश से जानी जा सकती हैं.

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डॉ. जीतराम भट्ट बताते हैं कि संस्कृत की यही खासियत है कि इसके माध्यम से हम कम शब्दों में ज्यादा बात कह सकते हैं.

लोकोक्तियां (लोकोक्तय:)
संस्कृत में लोकोक्तियों को कैसे बोलते हैं, यहां कुछ उदाहरणों से समझा जा सकता है-

चोर की दाढ़ी में तिनका-  स्वैर्दोषैर्भवति हि शंकितो मनुष्य:
ठाली से बेगार भली-  अकरणात् करणं श्रेय:
ऊंट के मुंह में जीरा-  तवार्ण वस्येव तुषारशीकरैर्भवेद भीमि: कमलोदय: कियान्
थोथा चना बाजे घना-  सम्पूर्ण कुम्भो न करोति शब्दमर्धो घटो घोषमुपैति नित्यम्
दीपक तले अंधेरा-  शिरसि मषीपटलं दधाति दीप:
दूर के ढोल सुहावने-  पर्वता: दूरतो रम्या:
सिर मुंडाते ही ओले पड़ना-  प्रथमे ग्रासे मक्षिकापात:, प्रथम चुम्बने दन्तभंग:
जंगल में मोर नाचा किसने देखा-  नृत्यन् वने कपाली कस्य स्याद् रन्जको लोके
नेकी कर दरिया में डाल-  स्मरति नोपकारम्
मान न मान मैं तेरा मेहमान-  बलाद् गले लगन्ति घूर्ता:

मुहावरे (वाग्धारा)
आंखों में धूल झोंकना-  अक्ष्णोर्दूलिप्रक्षेप:
अंधा क्या चाहे, दो आंखें-  इष्टापत्ति:
बाल की खाल उतारना-  केश निर्मोक मोचनम्
कुएं का मेंढक-  कूप मण्डूक
रंगे हाथों पकड़ा गया-  कर्मगृहीत:
अंगूठा दिखाना-  प्रत्याख्यानम्
अपने पांव कुल्हाड़ी मारना-  स्वहस्ते नागांराकर्षणम्

पुस्तक- व्यावहारिक संस्कृत शब्दकोश:
लेखक और संपादक- डॉ. जीतराम भट्ट
प्रकाशक- डॉ. गो. गि. ला. शा. प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान्
मूल्य- 300 रुपये

Tags: Books, Hindi Literature, Literature, Sanskrit, Sanskrit language

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