होम /न्यूज /साहित्य /सिगरेट पीती हुई औरत मुझे अच्छी लगी- सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता

सिगरेट पीती हुई औरत मुझे अच्छी लगी- सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना 1964 में दिनमान पत्रिका से जुड़ गए. 1982 में वे बाल पत्रिका पराग के सम्पादक बने.

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना 1964 में दिनमान पत्रिका से जुड़ गए. 1982 में वे बाल पत्रिका पराग के सम्पादक बने.

पत्रकार, लेखक और कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने लंबे समय तक आकाशवाणी, दिल्ली के समाचार सेवा प्रभाग में सहायक संपादक के प ...अधिक पढ़ें

पहली बार
सिगरेट पीती हुई औरत
मुझे अच्छी लगी।

क्योंकि वह प्यार की बातें
नहीं कर रही थी।

—चारों तरफ़ फैलता धुआं
मेरे भीतर धधकती आग के
बुझने का गवाह नहीं था।

उसकी आंखों में
एक अदालत थी :
एक काली चमक

जैसे कोई वकील उसके भीतर जिरह कर रहा हो
और उसे सवालों का अनुमान ही नहीं
उनके जवाब भी मालूम हों।

वस्तुतः वह नहा कर आई थी
किसी समुद्र में,
और मेरे पास इस तरह बैठी थी
जैसे धूप में बैठी हो।

उस समय धुएं का छल्ला
समुद्र-तट पर गड़े छाते की तरह
खुला हुआ था—
तृप्तिकर, सुखविभोर, संतुष्ट,
उसको मुझमें खोलता और बचाता भी।

पहली बार
सिगरेट पीती हुई औरत
मुझे अच्छी लगी।

पुस्तक- प्रतिनिधि कविताएं सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
प्रकाशन- राजकमल प्रकाशन

Tags: Hindi Literature, Hindi poetry, Hindi Writer, Literature, Poem

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें