गूगल ने अपने डूडल में हाथ में कलम लिए साड़ी पहने बैठीं सुभद्रा कुमारी चौहान बड़ी ही मोहक तस्वीर बनाई है.
1857 की आज़ादी की लड़ाई के बाद से अब तक बच्चों से लेकर बढ़े-बूढ़ों की जुबान पर थिरकने वाली कविता खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी,,,, की लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान का आज जन्मदिन ( Subhadra kumari chauhan Birthday) है. आज 16 अगस्त को उनका 117वां जन्मदिवस है. सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) के जन्मदिन पर गूगल (Google) ने अपना डूडल (Doodle) समर्पित किया है.
गूगल ने अपने डूडल (Google Doodle) में हाथ में कलम लिए साड़ी पहने बैठीं सुभद्रा कुमारी चौहान को दिखाया है. इस डूडल को न्यूज़ीलैंड की कलाकार प्रभा माल्या ने तैयार किया है. गूगल डूडल में सुभद्रा कुमारी चौहान की तस्वीर के पृष्ठभूमि में बायीं ओर घोड़े पर सवार लक्ष्मीबाई और दायीं तरफ जुलूस निकालते लोगों की तस्वीर उकेरी गई हैं.
सुभद्रा कुमारी चौहान का 16 अगस्त, 1904 को नागपंचमी के दिन इलाहाबाद के निकट निहालपुर नामक गांव में हुआ था. उन्होंने बचपन से ही कविता लिखना शुरू कर दिया था.
स्कूल आते-जाते समय रास्ते में वे जो भी दृश्य या नई चीज देखती थीं, उस पर वे कविताएं लिखती थीं. कह सकते हैं कि लेखन की विलक्षण प्रतिभा सुभद्रा कुमारी चौहान के रक्त में ही थी. महज नौ साल की आयु में उन्होंने अपनी पहली कविता ‘नीम’ की रचना की. उन्होंने ज्यादा शिक्षा नहीं ग्रहण नहीं की. वह केवल 9वीं कक्षा तक की ही पढ़ाई पूरी कर पाईं.
उनके पिता ठाकुर रामनाथ सिंह शिक्षा के प्रेमी थे. उन्हीं की देख-रेख में उनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी हुई. 1919 में खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह के साथ विवाह के बाद वे जबलपुर आ गई थीं. विवाह के बाद भी उन्होंने कविता लिखना जारी रखा.
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ‘झांसी की रानी’
बचपन से ही उनका झुकाव आज़ादी के आंदोलन की तरफ था. वे एक रचनाकार होने के साथ-साथ स्वाधीनता संग्राम की सेनानी भी थीं. 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली वह पहली महिला थीं. वे दो बार जेल भी गई थीं.
15 फरवरी, 1948 को एक कार दुर्घटना में उनका आकस्मिक निधन हो गया था. उनका जन्म नाग पंचमी को हुआ था और मृत्यु वसंत पंचमी को.
सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएं (Subhadra kumari chauhan Poems)
सुभद्रा कुमारी चौहान का 1932 में पहला कहानी संग्रह ‘बिखरे मोती’ प्रकाशित हुआ. इसमें सरल बोलचाल की भाषा में 15 कहानियां हैं और ज्यादातर कहानियां नारी विमर्श पर केंद्रित हैं. 1934 में उनका दूसरा कहानी संग्रह ‘उन्मादिनी’ प्रकाशित हुआ. ‘सीधे साधे चित्र’ सुभद्रा कुमारी चौहान का तीसरा व अंतिम कथा संग्रह है. सुभद्रा कुमारी चौहान ने कुल 46 कहानियां लिखीं.
उनके तीन काव्य संग्रह ‘मुकुल’, ‘त्रिधारा’ और ‘मुकुल तथा अन्य कविताएं’ प्रकाशित हुए. उनको सबसे ज्यादा प्रसिद्धि बाल-साहित्य से मिली. उन्होंने ‘झाँसी की रानी’, ‘कदम्ब का पेड़’ और ‘सभा का खेल’ जैसी रचनाएं की. इनमें झांसी की रानी और कदम्ब का पेड़ हिंदी साहित्य की ऐतिहासिक कृतियां हैं.
सुभद्रा कुमारी चौहान की पुत्री सुधा चौहान ने उनकी जीवनी ‘मिला तेज से तेज’ नामक पुस्तक में लिखी है.
झांसी की रानी तो सुभद्रा कुमारी चौहान की कालजयी रचना है. इसके अलावा वीरों का कैसा हो वसंत भी काफी प्रसिद्ध है. आप भी पढ़ें यह कविता-
वीरों का कैसा हो वसंत?
आ रही हिमाचल से पुकार,
है उदधि गरजता बार-बार,
प्राची, पश्चिम, भू-नभ अपार,
सब पूछ रहे हैं दिग्-दिगन्त,
वीरों का कैसा हो वसंत?
फूली सरसों ने दिया रंग,
मधु लेकर आ पहुँचा अनंग,
वधु-वसुधा पुलकित अंग-अंग,
हैं वीर वेश में किन्तु कन्त,
वीरों का कैसा हो वसंत?
भर रही कोकिला इधर तान,
मारू बाजे पर उधर गान,
है रंग और रण का विधान,
मिलने आए हैं आदि-अंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
गलबाहें हों या हो कृपाण,
चल-चितवन हो या धनुषबाण,
हो रस-विलास या दलित-त्राण,
अब यही समस्या है दुरंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
कह दे अतीत अब मौन त्याग,
लंके, तुझमें क्यों लगी आग?
ऐ कुरुक्षेत्र! अब जाग जाग,
बतला अपने अनुभव अनन्त!
वीरों का कैसा हो वसंत?
हल्दी-घाटी के शिला खंड,
ऐ दुर्ग! सिंहगढ़ के प्रचंड,
राणा-सांगा का कर घमंड,
दे जगा आज स्मृतियां ज्वलंत,
वीरों का कैसा हो वसंत?
भूषण अथवा कवि चन्द नहीं,
बिजली भर दे वह छंद नहीं,
है कलम बंधी स्वच्छंद नहीं,
फिर हमें बतावे कौन हंत!
वीरों का कैसा हो वसंत?
हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान और आज़ादी की लड़ाई में उनके अनुकरणीय कार्यों के सम्मान में उनके नाम पर एक भारतीय तटरक्षक जहाज का नाम रखा गया. भारतीय तटरक्षक सेना ने 28 अप्रैल, 2006 को सुभद्राकुमारी चौहान की राष्ट्रप्रेम की भावना को सम्मानित करने के लिए नए नियुक्त एक तटरक्षक जहाज़ को सुभद्रा कुमारी चौहान का नाम दिया है. भारतीय डाकतार विभाग ने 6 अगस्त, 1976 को उनके सम्मान में 25 पैसे का एक डाक-टिकट जारी किया था.
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