केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में “वैदिक हेरिटेज पोर्टल” और वर्चुअल म्यूजियम “कला वैभव” लोकार्पण किया.
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र परिसर में केन्द्र द्वारा निर्मित “वैदिक हेरिटेज पोर्टल” और 64 कलाओं पर आधारित वर्चुअल म्यूजियम “कला वैभव” का लोकार्पण किया. इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी. किशनरेड्डी, आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय, सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, प्रसिद्ध नृत्यांगना व राज्यसभा सदस्य डॉ. सोनल मानसिंह, संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव उमा नंदुरी और अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुआत देश के विभिन्न गुरुकुलों से आए वेदपाठियों और रोहतक के गुरुकुल से आईं विदुषियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार से हुई. इस अवसर पर “कण्वशतपथब्राह्मण” का लोकार्पण भी किया गया.
इस अवसर पर अमित शाह ने रिमोट का बटन दबाकर “वैदिक हेरिटेज पोर्टल” और वर्चुअल म्यूजियम “कला वैभव” लोकार्पण किया. अपने संदेश में अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार तकनीक के माध्यम से भारत के प्राचीन ग्रन्थों व पांडुलिपियों के ज्ञान को भविष्य के लिए सुरक्षित कर रही है. उन्होंने कहा कि इससे युवा पीढ़ी वेदों व उपनिषदों के ज्ञान व परंपरा को आगे बढ़ा सकेगी.
लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि वेदिक हैरिटेज पोर्टल सराहनीय और ऐतिहासिक कदम है. उन्होंने कहा कि वेद न सिर्फ भारत के, बल्कि विश्व के सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं. हमारे प्राचीन ग्रन्थों में वह शक्ति है, जिसमें जीवन के सभी प्रश्नों के उत्तर मिल सकते हैं. आज दुनिया संकट से जूझ रही है, उन संकटों का समाधान भारत के प्राचीन ग्रन्थों में है.
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रामबहादुर राय ने कहा कि वैदिक विरासत का सम्बंध प्राचीन अतीत, वर्तमान समय से है और भविष्य में भी इसकी निरंतरता बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि वेद आदिकाल से मौखिक परम्परा का हिस्सा रहे हैं और वैदिक हेरिटेज पोर्टल उसी का दस्तावेजीकरण है. डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि यह इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के लिए बहुत आनंद का अवसर है.
वैदिक हेरिटेज पोर्टल
वैदिक हेरिटेज पोर्टल को हिंदी और अंग्रेजी भाषा में तैयार किया गया है. वैदिक हैरिटेज पोर्टल केन्द्र का ऐसा प्रकल्प है, जिसमें भारतीय ज्ञान और संस्कृति के मूल वेद एवं सम्पूर्ण वैदिक परम्परा का. उसके मौलिक अर्थात् श्रुति रूप में ही संग्रह किया गया है. वैदिक मन्त्र लिखित न होकर ऋषियों द्वारा श्रुत एवं दृष्ट हैं, जिनका हस्तांतरण गुरु-शिष्य परम्परा के माध्यम से विभिन्न ‘प्रकृति एवं विकृति पाठों’ के साथ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक किया जाता है. भारत में ज्ञान की सर्वाधिक प्रामाणिक पद्धति दृष्ट और श्रुत ही है, जिसका संरक्षण उसके मूल स्वरूप में किया जाना आवश्यक है. इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए केन्द्र द्वारा वैदिक हैरिटेज पोर्टल की संकल्पना की गयी है. आज, वैश्विक परिदृश्य में वैदिक हेरिटेज पोर्टल ही सम्भवतः एकमात्र ऐसा प्रकल्प है, जहां वेद एवं सम्पूर्ण वैदिक परम्परा का डिजिटल दिग्दर्शन किया जा सकता है. इस पोर्टल में सम्पूर्ण भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों से वेदपाठी आचार्यों के चार वेदों – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद की प्रचलित शाखाओं के कुल 18 हजार से अधिक मन्त्रों के अब तक 550 घण्टों की ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग संकलित है.
इस पोर्टल में ऑडियो-विजुअल के साथ-साथ विशेष तकनीकी प्रभाव से युक्त लिपिबद्ध मन्त्रों का अनुवाद के साथ समायोजन किया गया है. आधुनिक विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में वैदिक ज्ञान की प्रासंगिकता को बताने वाले अनेक वैज्ञानिक विषयों के शोधपरक लेख और व्याख्यान इस पोर्टल पर संगृहीत हैं.
यज्ञ में प्रयुक्त होने वाले वैदिक यज्ञ पात्रों की एक आभासी वैदिक गैलरी के समायोजन की भी योजना है, जिसमें कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से 250 यज्ञ-पात्र संकलित हैं. मानवता के अमूर्त धरोहर वेद के संरक्षण एवं संवर्धन में केंद्र का यह विनम्र प्रयास वेद के जिज्ञासुओं का पथ प्रशस्त करेगा. पोर्टल को तैयार करने में वेदों को जानने वाले लोग, वेद शोध संस्थानों, वेदपाठी परिवारों सहित दुनियाभर के वेद के जानकारों ने सहयोग किया है.
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