होम /न्यूज /साहित्य /काका हाथरसी की हास्य कविता- 'जय बोलो बेईमान की'

काका हाथरसी की हास्य कविता- 'जय बोलो बेईमान की'

व्यंग्य के मूर्धण्य कवि काका हाथरसी छोटी से छोटी अव्यवस्थाओं को अपने शब्‍दों के गहरे कटाक्ष के साथ प्रस्तुत करते हैं.

व्यंग्य के मूर्धण्य कवि काका हाथरसी छोटी से छोटी अव्यवस्थाओं को अपने शब्‍दों के गहरे कटाक्ष के साथ प्रस्तुत करते हैं.

काका हाथरसी के नाम से मशहूर प्रभुलाल गर्ग ने अपनी हास्य रचनाओं के माध्यम से हाथरस का नाम पूरे विश्व में स्थापित किया. क ...अधिक पढ़ें

मन, मैला, तन ऊजरा, भाषण लच्छेदार,
ऊपर सत्याचार है, भीतर भ्रष्टाचार।
झूठों के घर पंडित बांचें, कथा सत्य भगवान की,
जय बोलो बेईमान की!

प्रजातंत्र के पेड़ पर, कौआ करें किलोल,
टेप-रिकॉर्डर में भरे, चमगादड़ के बोल।
नित्य नई योजना बन रहीं, जन-जन के कल्याण की,
जय बोल बेईमान की!

महंगाई ने कर दिए, राशन-कारड फेल
पंख लगाकर उड़ गए, चीनी-मिट्टी तेल।
‘क्यू’ में धक्का मार किवाड़ें बंद हुई दूकान की,
जय बोल बेईमान की!

डाक-तार संचार का ‘प्रगति’ कर रहा काम,
कछुआ की गति चल रहे, लैटर-टेलीग्राम।
धीरे काम करो, तब होगी उन्नति हिंदुस्तान की,
जय बोलो बेईमान की!

दिन-दिन बढ़ता जा रहा काले धन का जोर,
डार-डार सरकार है, पात-पात पर चोर।
नहीं सफल होने दें कोई युक्ति चचा ईमान की,
जय बोलो बेईमान की!

चैक केश कर बैंक से, लाया ठेकेदार,
आज बनाया पुल नया, कल पड़ गई दरार।
बांकी झांकी कर लो काकी, फाइव ईयर प्लान की,
जय बोलो बेईमान की!

वेतन लेने को खड़े प्रोफेसर जगदीश,
छहसौ पर दस्तखत किए, मिले चार सौ बीस।
मन ही मन कर रहे कल्पना शेष रकम के दान की,
जय बोलो बेईमान की!

खड़े ट्रेन में चल रहे, कक्का धक्का खायं,
दस रुपए की भेंट में, थ्री टायर मिल जायं।
हर स्टेशन पर हो पूजा श्री टी.टी. भगवान की,
जय बोलो बेईमान की!

बेकारी औ’ भुखमरी, महंगाई घनघोर,
घिसे-पिटे ये शब्द हैं, बंद कीजिए शोर।
अभी जरूरत है जनता के त्याग और बलिदान की,
जय बोलो बेईमान की!

मिल-मालिक से मिल गए नेता नमकहलाल,
मंत्र पढ़ दिया कान में, खत्म हुई हड़ताल।
पत्र-पुष्प से पॉकिट भर दी, श्रमिकों के शैतान की,
जय बोलो बेईमान की!

न्याय और अन्याय का, नोट करो डिफरेंस,
जिसकी लाठी बलवती, हांक ले गया भैंस।
निर्बल धक्के खाएं, तूती होल रही बलवान की,
जय बोलो बेईमान की!

पर-उपकारी भावना, पेशकार से सीख,
दस रुपए के नोट में बदल गई तारीख।
खाल खिंच रही न्यायालय में, सत्य-धर्म-ईमान की,
जय बोलो बेईमान की!

नेता जी की कार से, कुचल गया मजदूर,
बीच सड़कर पर मर गया, हुई गरीबी दूर।
गाड़ी को ले गए भगाकर, जय हो कृपानिधान की,
जय बोलो बेईमान की!

Tags: Hindi Literature, Hindi poetry, Hindi Writer, Literature

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें