दिल्ली का ऐतिहासिक गणतंत्र दिवस कवि सम्मेलन 21 जनवरी को आयोजित किया जाएगा.
Lal Qila Kavi Sammelan 2023: कवि सम्मेलनों की दुनिया में ऐतिहासिक दिल्ली का लाल किला कवि सम्मेलन का आयोजन 21 जनवरी को किया जा रहा है. गत वर्ष की तरह इस बार भी यह कवि सम्मेलन लाल किले में न होकर आईटीओ स्थित हिंदी भवन में होने जा रहा है.
हिंदी अकादमी के उप-सचिव ऋषि कुमार शर्मा ने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी कवि सम्मेलन में देश-दुनिया में प्रसिद्ध कवि अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे. इस बार के कवि सम्मेलन की अध्यक्षता मशहूर हास्य कवि और व्यंग्यकार सुरेंद्र शर्मा कर रहे हैं. कवि सम्मेलन में आने वाले कवियों में अलका सिन्हा, कीर्ति काले, महेंद्र शर्मा, विनय कुमार शुक्ला ‘विनम्र’, सुनहरी लाल, अर्जुन सिसोदिया, दीपक गुप्ता, मालविका हरिओम, विष्णु सक्सेना, आलोक यादव, मंगल नसीम, राजीव राज, शहनाज हिन्दुस्तानी हैं. कवि सम्मेलन का संचालन प्रवीण शुक्ल करेंगे. कवि सम्मेलन दोपहर बाद 3 बजे शुरू होकर देर शाम तक चलेगा.
पिछले कई बार से यह कवि सम्मेलन लाले किले में आयोजित नहीं किया जा रहा है. इसके पीछे कई वजह बताई जा रही हैं. अकादमी के अधिकारी जहां इसके पीछे सुरक्षा कारण वजह बताते हैं वहीं अकादमी के सूत्र बजट कम होने की बात कह रहे हैं. मगर ये बात सही है कि लाल किला कवि सम्मेलन का रुतबा लगातार कम होता जा रहा है.
जानकारी के अनुसार, आजादी के बाद 1950 में कवि सम्मेलन की शुरूआत हुई थी. गणतंत्र दिवस के अवसर पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. पहले यह कवि सम्मेलन लाल किले के अंदर हर वर्ष 23 जनवरी को आयोजित किया जाता है. कवि सम्मेलन के बाद अगले दिन मुशाअरे का आयोजन होता था. इन कार्यक्रमों में देश के नामचीन कवि और शायर शिकरत करते थे. 1982 में हिंदी अकादमी, दिल्ली का गठन होने के बाद कवि सम्मेलन के आयोजन की जिम्मेदारी हिंदी अकादमी के पास आ गई.
चूंकि 23 जनवरी को गणतंत्र दिवस के लिए फुल ड्रैस रिहर्सल होती है, इसलिए कवि सम्मेलन की तारीख को 23 जनवरी से हटाकर 10 जनवरी कर दी गई. इसके कुछ समय बाद इस आयोजन को लाल किले से बाहर कर दिया. लाल किले के बाहर मैदान में कवि सम्मेलन होने लगा. अब यह लाल किले से दूर आईटीओ स्थित हिंदी भवन में आकर सिमट गया है. इस कवि सम्मेलन के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां काव्य पाठ करना कवियों के विशेष उपाधि हुआ करती थी. कवि लोग अपने विजिटिंग कार्ड में लाल किले के कवि सम्मेलन में काव्य पाठ का उल्लेख करते थे.
प्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लाल किले के कवि सम्मेलन की एक गरीमा हुआ करती है. हिंदी भवन में इस आयोजन की छवि पर विपरीत असर पड़ेगा. उन्होंने बताया कि लाल किला कवि सम्मेलन से उनका जुड़ाव बचपन से रहा है. 1963 में सोहनलाल द्विवेदी जी के कहने पर उन्होंने इस कवि सम्मेलन में शिरकत की थी. लगातार 5 वर्षों तक बाल कवि के रूप में उन्होंने इस कवि सम्मेलन में काव्य पाठ किया. 1968 से लेकर 1975-76 तक वह इसमें नहीं गए. इसके बाद समय-समय पर वह कवि के रूप में इस कार्यक्रम में जाते रहे. उन्होंने बताया कि 2014 के बाद से ना तो उन्हें बुलाया गया है और ना ही वे गए हैं.
अशोक चक्रधर ने पुराने दिनों को स्मरण करते हुए बताया कि उस समय लाल किले के कवि सम्मेलन का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण हुआ करता था.
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