Diwali 2021: दीपावली यानी खूब सारी खुशियां, मिठाई और उपहारों का त्यौहार. दीपावली (Deepawali) के मौके पर हम अपने प्रियजनों को ऐसा उपहार देते हैं जो उन्हें पूरे साल याद रहे. इस बार रोशनी के इस उत्सव पर आप अपने मित्रों और प्रियजनों को किताबों का अनमोल उपहार दें.
फेस्टिव सीजन में किताबों के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए देश के प्रमुख प्रकाशन समूहों ने अनोखी पहल की है. प्रकाशन समूह त्यौहारों पर उपहार के रूप में किताबें देने की परंपरा शुरू करने की अपील कर रहे हैं और किताबों पर अच्छी-खासी छूट भी दे रहे हैं.
इस पहल पर राजकमल प्रकाशन समूह (Rajkamal Prakashan Group) के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी ने कहना है कि हम किताबें पढ़ने और पढ़ाने की संस्कृति का विकास चाहते हैं. ताकि हमारा समाज संपूर्णता में समृद्ध हो. धन बिना ज्ञान के अधूरा है.
अशोक माहेश्वरी (Ashok Maheshwari) ने बताया कि राजकमल प्रकाशन समूह ने धनतेरस के पर्व पर ‘किताबतेरस’ (Kitabteras) का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि किताबतेरस एक अवसर है, धनतेरस, दीवाली, भाईदूज के बहाने किताबों को घर लाने का, अपनों को उपहार में किताबें देने का.
‘आज़ादी मेरा ब्रांड’ की लेखिका अनुराधा बेनीवाल ने पाठकों को दी किताबतेरस की शुभकामनाएँ@thethinkinbird #राजकमलबुक्स #किताबतेरस pic.twitter.com/WT16JeEmiA
— Rajkamal Prakashan 📚 (@RajkamalBooks) November 2, 2021
अशोक माहेश्वरी ने कहा कि राजकमल प्रकाशन समूह ने ‘शब्दों से समृद्धि, शब्दों का उजियारा’ के संदेश के साथ लोगों से अपील की है कि वे त्यौहारों के इस मौसम में अपनी पसंद की पुस्तकें घर में लाएं और स्वजनों, मित्रों को उपहार में पुस्तकें दें. इससे एक स्वस्थ समाज के निर्माण का रास्ता खुलेगा.
उन्होंने कहा कि किताबें हमें जीवन के विविध अनुभवों से जोड़ती हैं. ज्ञान की रौशनी में ले जाती हैं. हमारे मानस का विकास करती हैं. बड़ा सोच देती हैं और बड़े सपनों को पूरा करने की सूझबूझ देती हैं. किताबें हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक आहार की तरह हैं. इस डिजिटल दौर में किताबें पढ़ना मानसिक शांति के लिए एक थेरेपी की तरह है.
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राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा कि दिवाली (Diwali) और धनतेरस जैसे त्यौहार हमारी खुशी और समृद्धि की अभिव्यक्ति और आकांक्षा से जुड़े हैं. परंपरागत तौर पर समृद्धि को धन-संपत्ति से जोड़ कर देखा जाता है. यह स्वभाविक है. इसके साथ ही ज्ञान को भी जोड़ लें तो हमारी समृद्धि सर्वांगीण हो जाएगी, जो हम अच्छी पुस्तकों के जरिए पा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि ज्ञान की संपदा ऐसी संपदा है जो बांटने से कम नहीं होती. इस बात को महसूस करते हुए हमने लोगों को किताबतेरस मनाने का संदेश दिया है ताकि लोगों के बीच त्योहारों के इस मौसम में किताबें उपहार में देने व किताबें पढ़ने की संस्कृति का विकास हो सके. यह हमें और हमारे समाज को संपूर्णता में समृद्ध करेगा.
बता दें कि राजकमल प्रकाशन समूह कई बरसों से त्योहारों के मौसम में ‘किताबतेरस’ अभियान चला रहा है. इस बार यह अभियान 6 नवम्बर तक चलेगा. इसके लिए प्रकाशन समूह ने सभी लोगों की रुचियों को ध्यान में रखते हुए किताबों के अलग-अलग सेट घोषित किए हैं, जिन पर 30 प्रतिशत की छूट दी जा रही है.
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