‘घासी: लाल कैंपस का भगवाधारी’ एक ऐसा उपन्यास है, जो युवा पत्रकार द्वारा लिखा गया है और हाल में प्रकाशित हुआ है. जैसा कि इस नॉवेल के नाम से जाहिर है कि इसमें कॉलेज कैंपस के पूरे माहौल को कहानी के माध्यम से सजीव कर दिया गया है, जिससे हम सभी कभी ना कभी रू-ब-रू हो चुके हैं.
इस नॉवेल के लेखक युवा पत्रकार ललित फुलारा हैं. उपन्यास का केंद्रीय पात्र घासी है. उसके किस्से ठहाके लगाने पर मजबूर करते हैं.उसके साथ नॉवेल में कई पात्र और इर्द गिर्द घूमते हैं. इस नॉवेल से गुंथी हुई कई कहानियां हैं. जिसमें प्रेम कहानी भी है. सस्पेंस में डालने वाली चीजें और कैंपस में राजनीतिक चेतना और इसे लेकर चलते वाली बहस भी.
छात्रों के मुद्दे और राजनीतिक बदलाव
लेखक ने व्यंग्य की शैली के जरिए छात्रों के बीच होने वाले राजनीतिक संवाद को दर्शाया है. कभी किसी मुद्दे पर छात्र आक्रोशित होते हैं तो किसी मुद्दे पर चुटकी लेते हैं. उपन्यास हालिया राजनीतिक बदलावों को भी समेटता है.
कोरोना काल की परिस्थियां भी मार्मिकता के साथ उपन्यास में उभरी हैं. जिन्हें पढ़ते ही आप लॉकडाउन के उस दौर में जा पहुंचते हैं. इस नॉवेल को पढ़ते हुए लगेगा कि कैंपस सिर्फ चारदीवारी ही नहीं होती बल्कि बहुत कुछ अंदर और बाहर समेटे रहती है.
युवाओं के जीवन और संघर्ष को बताने वाला उपन्यास
यह उन युवाओं का उपन्यास है जो सूदूर गांवों- कस्बों से जीवन को एक धार देने के लिए चले आते हैं. उपन्यास के पात्र अपने संवादों और कृत्यों से पाठकों के चेहरे पर कभी हंसी,विद्रूपता और कभी गहन करुणा के भाव प्रतिलक्षित कराते हैं. आप इस उपन्यास को अमेजॉन और फ्लिप्कार्ट से खरीद सकते हैं.
उपन्यास की भाषा सहज और सरल है. इसे पढते हुए आप इसकी रोचकता और किस्सागोई महसूस कर सकते हैं. अपने कॉलेज के दिनों में लौटना चाहते हैं तो इसे जरूर पढ़ें.
उपन्यास- ‘घासी: लाल कैंपस का भगवाधारी’
लेखक- ललित फुलारा
प्रकाशक- यश पब्लिकेशंस
मूल्य- 199 रुपये
पृष्ठ संख्या- 127
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