Hindi Sahitya: झारखंड के साहित्य जगत में अपनी विशिष्ठ पहचान स्थापित कर चुकीं कहानीकार रश्मि शर्मा के प्रथम कहानी संग्रह ‘बंद कोठरी का दरवाजा’ का लोकार्पण “डा. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान”, मोरहाबादी के सभागार में हुआ. लोकार्पण समारोह में साहित्य जगत के स्तंभ रवि भूषण, राकेश बिहारी, पंकज मित्र, रणेंद्र के अलावा कई हस्तियां मौजूद थीं.
शब्द कार की अध्यक्ष वीणा श्रीवास्तव ने रश्मि शर्मा के कहानी संग्रह के बारे में बताया और उसके पश्चात रश्मि शर्मा ने अपनी साहित्य यात्रा के बारे में सब को अवगत कराते हुए कहा कि चाचा चौधरी, मधु मुस्कान, चंपक, चंदामामा से होते हुए कब वह साहित्य से गहरे तौर पर आ जुड़ीं और आज उनकी यह यात्रा उनके इस चौथे संकलन के रूप में सब दर्शकों के समक्ष हैं.
रवि भूषण ने कहा कि रश्मि शर्मा का ध्यान बदलते समय और यथार्थ के साथ परिवेश पर भी है. अपने कवि एवं संवेदनशील मन के साथ वे आस-पड़ोस, विभिन्न स्थानों-स्थलों, गांवों में जड़ जमाए रूढ़ियों-अंधविश्वासों के साथ-साथ संस्कृत पढ़ने वाली नसरीन और ‘गे’ सबको देखती-समझती हैं. बाह्य यथार्थ के साथ ही इन कहानियों में कई पात्रों के अन्त: संसार को उद्घाटित कर वे एक प्रकार के रचनात्मक संतुलन का निर्वाह करती हैं.
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कथाकार रणेन्द्र ने कविता कहानी और उपन्यास के अंतर को रेखांकित करते हुए बताया कि कविता किस प्रकार तरह-तरह के बिम्बों का समायोजन व संयोजन है, तो वहीं कहानी उससे थोड़ा से ज्यादा फलक पर फैली रहती है. वह एक तरह से जिंदगी का स्लाइस है, वहीं उपन्यास एक के पूरे फलक को समेटता हुआ ऐसा माध्यम है, जिसमें जीवन के समस्त आयाम अपने पूरे विस्तार के साथ प्रकट होता है.
कहानीकार पंकज मित्र ने कहा कि रश्मि शर्मा की कहानियों की विविधता और उन विविधताओं में उनका कुशल शब्द-संचरण पाठकों को अत्यंत चकित करता है. उन्होंने कहा कि रश्मि की कहानियों की नायिकाएं बेशक किसी आंदोलन का झंडा लिए नहीं फिरतीं, लेकिन उनका मौन प्रतिरोध भी अपने-आप में एक जबरदस्त आँच देता है, यह मौन न केवल विरोध, अपितु एक के परिवर्तन का वाहक भी है.
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कथाकार एवं कथालोचक राकेश बिहारी ने कहा कि रश्मि की कहानियां स्त्री जीवन के व्यापक फलक की कहानियां हैं. स्त्री का पानी के साथ रिश्ता धरती के संदर्भ में उसकी संवेदना के साथ जुड़ा हुआ रिश्ता है और रश्मि की कहानियां क्रमशः उत्तरोत्तर हमें स्त्री की गहराई से लेकर उसकी ऊंचाई का पता देती हैं.
‘नदी को सोचने दो’, ‘मन हुआ पलाश’ और ‘वक्त की अलगनी पर’ जैसी कविता संग्रहों से रश्मि शर्मा ने लोगों का दिल जीता है. सीएसडीएस मीडिया इन्क्लूसिव मीडिया फेलोशिप प्राप्त रश्मि की रचनाएं देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशित होती हैं. रश्मि शर्मा को “सूरज प्रकाश मारवाह साहित्य रत्न” और “शैलप्रिया स्मृति सम्मान” से सम्मानित किया जा चुका है.
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