नई दिल्ली. ‘रेत समाधि’ को इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार 2022 दिए जाने की घोषणा के बाद लेखिका गीतांजलि श्री ने लंदन में कहा कि मेरे लिए यह बिलकुल अप्रत्याशित है लेकिन अच्छा है. मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यह पुरस्कार हासिल कर सकती हूं.
बता दें कि गीतांजलि श्री की कृति ‘रेत समाधि’ हिंदी का वह पहला उपन्यास है जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर सम्मान मिला है. उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल बुकर प्राइज अंग्रेजी में प्रकाशित मूल या अनूदित कृति को ही दिया जाता है. ‘रेत-समाधि’ हिंदी उपन्यास है, जिसे डेजी रॉकवेल ने अंग्रेजी में अनूदित किया है. इसी अंग्रेजी अनुवाद ‘टूंब ऑफ सैंड’ को इंटरनेशनल बुकर प्राइज दिया गया है. मूल हिंदी उपन्यास राजकमल प्रकाशन ने 2018 में छापा है. ‘रेत-समाधि’ को बुकर दिए जाने की घोषणा लंदन में की गई. इस अवसर पर गीतांजलि श्री, डेजी रॉकवेल और अशोक महेश्वरी लंदन में मौजूद थे.
लंदन में बुकर से सम्मानित हिंदी की वरिष्ठ लेखिका गीतांजलि श्री ने कहा ‘यह बहुत बड़े स्तर की मान्यता है जिसको पाकर मैं विस्मित हूं. मैं प्रसन्न, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं. मैं बुकर फाउंडेशन और बुकर जूरी को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने रेत-समाधि को चुना. इसके पुरस्कृत होने में एक उदास संतुष्टि है. रेत-समाधि इस दुनिया की प्रशस्ति है, जिसमें हम रहते हैं. एक विहंसती स्तुति जो आसन्न कयामत के सामने उम्मीद बनाए रखती है. बुकर निश्चित रूप से इस उपन्यास को कई और लोगों तक ले जाएगा, जिन तक अन्यथा यह नहीं पहुंच पाता.’
गीतांजलि श्री ने कहा कि जब से यह किताब बुकर की लॉन्ग लिस्ट में आई तब से हिंदी के बारे में पहली बारे में बहुत कुछ लिखा गया. मुझे अच्छा लगा कि मैं इसका माध्यम बनी. लेकिन इसके साथ ही मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूँ कि मेरे और इस पुस्तक के पीछे हिंदी और अन्य दक्षिण एशियाई भाषाओं की अत्यंत समृद्ध साहित्यिक परंपरा है. इन भाषाओं के बेहतरीन लेखकों से परिचित होकर विश्व साहित्य समृद्ध होगा. इस तरह के परिचय से जीवन की शब्दावली बढ़ेगी.
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