कलिंग साहित्य उत्सव (kalinga literary festival) के दूसरे दिन ‘हिंदी साहित्य और आज की कविता की धारा’ (Hindi Sahitya Aur Aaj Ki Kavita Ki Dhara) विषय पर चर्चा का आयोजन किया गया. चर्चा के इस मंच पर आधुनिक काव्यधारा के चर्चित नाम गीत चतुर्वेदी, राजीव कुमार, यतीश कुमार और व्योमेश शुक्ल ने आधुनिक कविता और कविता के माध्यम पर विस्तार से चर्चा की.
विभिन्न क्षेत्रों से आए कविओं को एक सूत्र में पिरोने का काम किया हिंदी ब्लॉगिंग की दुनिया में चर्चति विनीत कुमार ने. विनीत कुमार (Vineet Kuamr) ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कविता की अनेक धाराएं हैं. कविता की ये धाराएं विभिन्न जगहों से आ रही हैं.
विनीत ने कहा कि उन्होंने गीत चतुर्वेदी की कविताओं को पोस्ट कार्ड के माध्यम से पढ़ा. कोरोना काल में वर्चुअल माध्यम से जो कविता पढ़ रहे थे, गढ़ रहे थे वे कवितामय हो रहे थे. कविता की सत्ता आखिरी सत्ता नहीं है. कविता को एक नया पाठक वर्ग मिल रहा है. सामायिक दौर में कविता की प्रस्तुति का अंदाज तो बदला है, लेकिन उसका पुरातन महत्व वही है.
KLF 2021: वरिष्ठ कवि अरुण कमल और दिव्य दत्ता ‘कलिंग साहित्य सम्मान’ से अलंकृत
विनीत कुमार ने सोशल मीडिया में कविता के लाइक, हिट्स कल्चर पर कहा कि लेखक को नंबरों के भंवर जाल में फंसने से बचना चाहिए. विनीत कुमार ओटीपी के दौर में हमें गार्जियनशिप नहीं चाहिए.
‘तुम्हारे बिना उतना ही अकेला हूं, जितना कि एक पैर की चप्पल’ जैसी पंक्ति लिखने वाले चर्चित कवि गीत चतुर्वेदी (Geet Chaturvedi) ने कहा कि वर्चुअल माध्यम से पाठकों की जो संगत तैयार हुई है ये पहले से ज्यादा मुखर है.
संपादकीय-आलोचनात्मक सत्ता के टूटने के सवाल पर गीत चतुर्वेदी ने कहा कि रचनात्मक गतिविधियां और साहित्य को सत्ता के फेर से बाहर आना चाहिए. उन्होंने कहा कि जंगल कहीं ज्यादा रचनात्मक होता है, किसी सुंदर पार्क की तुलना में. कविता के अस्वाद के सवाल पर उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति कविता अपनी दृष्टि से देखता है, यह भी एक प्रकार की सत्ता है. अस्वाद का स्तर एक नई चुनौती प्रस्तुत करता है.
कवि राजीव कुमार (Rajiv Kumar) ने कहा कि कविता ने अपने नए माध्यम खोज लिए हैं. ये साहित्य के भविष्य के लिए सुखद संकेत है. उन्होंने कहा कि आलोचकों, संपादकों और पत्रिकाओं का बड़ा होना साहित्य के लिए बड़ा घातक है.
असमिया कथाकार नीलमणि फूकन और कोंकणी लेखक दामोदर मौउजो को ज्ञानपीठ सम्मान
राजीव ने कहा कि रचनाएं जब शक्तिशाली होती हैं तो उन्हें किसी सोशल मीडिया या आलोचक की जरूरत नहीं होती. गढ़ और मठ बनते रहते हैं और ढहते रहते हैं. इनमें कोई बुराई नहीं है. क्योंकि कवि या लेखक अपने रचना कर्म की वजह से स्थापित होते हैं. उन्हें स्थापित होने के लिए किसी टूल की जरूरत नहीं है.
यतीश कुमार (Yatish Kumar) ने कहा कि कविता में तरलता है, संवेदना से जड़ित है. कविता एक धारा है, यह धारा अपना रास्ता खुद चुनती है. यह अपने पाठक खुद ही चुन लेती है. आज का युवा कविता की इस नई धारा से जुड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि शब्द अपनी यात्रा कर रहे हैं. हर समय चक्र में एक ही शब्द के नए-नए अर्थ खोजे जाते हैं.
आलोचना का समर्थन करते हुए यतीश कुमार ने कहा कि बिना आलोचना के लेखन में सुधार नहीं आता है. आलोचना, रचना और व्यक्तित्व में निखार लाती है.
कविता को संगीत और अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत करने वाले व्योमेश शुक्ल (Vyomesh Shukla) ने कहा कि सोशल मीडिया की दुनिया में संपादक नाम की संस्था ढह रही है. अब आलोचना का दौर खत्म हो गया है. कवि यशस्वी हो चुका है. आज आलोचक की आवाज कमजोर हुई है. आज एकसाथ कई पर्यावरण तैयार हो गए हैं. उन्होंने कहा कि दोहराव भी लोकप्रियता की एक अलग सत्ता को जन्म देते हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Hindi Literature