अंग्रेजी का वायरल शब्द कैसे हिंदी में नए अर्थ देने लगा.
‘उच्चारण’ के लिए अंग्रेजी के शब्द ‘pronunciation’ को कई लोग ‘प्रोनाउसिएशन’ बोलते हैं, जबकि सही उच्चारण ‘प्रननसिएशन’ है. ध्यान रखने की जरूरत है कि ‘pronunciation’ की स्पेलिंग में ‘nun’ यानी ‘नन’ है, ‘noun’ (नाउन) नहीं. एक ही शब्द का अलग-अलग उच्चारण और अलग-अलग अर्थ देखना बहुत रोचक है. कई बार तो एक ही उच्चारण और एक ही शब्द अलग-अलग भाषा में अलग-अलग अर्थ प्रेषित करता है. मसलन, हिंदी में ‘दारूण’ शब्द ‘बहुत करूण, बहुत मार्मिक’ का अर्थ देता है, जबकि बांग्ला में ‘दारूण’ का मतलब ‘बहुत खूबसूरत, बहुत आकर्षक या अद्भुत’ होता है.
उच्चारण की बात की जाए तो बिहार-झारखंड में अंग्रेजी के ‘V’का उच्चारण लगभग हर जगह ‘भ’ है. वहां ‘वीडियो’ को ‘भीडियो’, ‘वैन’ को ‘भैन’ कहते सुना जा सकता है. अब यही ‘भैन’ दिल्ली में आकर ‘बहन’ का अर्थ देने लग जाता है. बिहार में ‘सौरव’ नाम ‘सौरभ’ हो जाता है, अंग्रेजी के ‘वायरल’ को ‘भायरल’ बोलना वहां बेहद आम है. इस क्रम में यह ध्यान दिलाना उचित होगा कि अंग्रेजी के ‘Video’ का हिंदी में सामान्य उच्चारण ‘वीडियो या विडियो’ है और ‘Viral’ का ‘वायरल या वाइरल’.
गौर करें कि ‘वायरल’ शब्द का अर्थ ‘विषाणुजनित’ होता है. यह ‘वायरल’ शब्द ‘वायरस’ से बना है. वायरस यानी विषाणु. यही कारण है कि किसी विषाणु की वजह से हुए बुखार को Viral Fever कहते हैं. चूंकि वायरल फीवर में शरीर का तापमान बहुत ज्यादा हो जाता है इसलिए ‘Viral’ का एक अर्थ हम सबके जेहन में ‘तेज’ भी बैठ चुका है. एक बात और कि विषाणुओं की वजह से होने वाला बुखार, समाज में तेजी से फैलता है, इसलिए अब के दौर में ‘Viral’ का एक अर्थ ‘तेजी से फैलना’ भी स्थापित होता जा रहा है. अगर सोशल मीडिया पर कोई खबर, वीडियो या फोटो बहुत तेजी से पढ़ा या देखा जाता है तो उसे हम ‘वायरल हो जाना’ कहने लगे हैं.
दिल्ली या इसके आसपास के लोग या दूसरे राज्यों के लोग बिहार/झारखंड के उच्चारण का मजाक अक्सर बनाते हैं. जबकि यह अक्सर नजरअंदाज कर जाते हैं कि हर राज्य में उच्चारण संबंधी ऐसे दोष बिखरे-पसरे हैं. दिल्ली और इसके आसपास की बात करें तो यहां ‘स्कूल’ को ‘सकूल’ बोलते हुए खूब सुना जा सकता है, दिल्ली के अधिकतर लोग ‘पार्क’ में घूमने नहीं जाते, वे तो ‘पारक’ में टहलते हैं. सेहत को लेकर सजग लोग इस ‘पारक’ में टहलते या दौड़ते हुए ‘हार्टबिट’ नहीं, ‘हर्टबिट’ ‘चैक’ करते रहते हैं, ‘चेक’ नहीं करते.
इस कॉलम में उच्चारण दोषों पर चर्चा करते हुए जिन राज्यों की चर्चा की गई है, उस चर्चा का मकसद मजाक उड़ाना नहीं, बल्कि अपनी सामान्य चूकों को रेखांकित करना है. जरा सा अभ्यास कर और सजग रहकर हम इन चूकों से मुक्ति पा सकते हैं.
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