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स्त्रियां कंडोम नहीं खरीदतीं तो स्त्री कंडोम क्यों न खरीदे...?

प्रसिद्ध कवि और कथाकार देवी प्रसाद मिश्र की कथा 'स्त्रियां कंडोम नहीं खरीदतीं'

प्रसिद्ध कवि और कथाकार देवी प्रसाद मिश्र की कथा 'स्त्रियां कंडोम नहीं खरीदतीं'

देवी प्रसाद मिश्र हिंदी साहित्य की दुनिया में इस समय चर्चित नाम हैं. वे कहानी लिखते हैं, कविता रचते हैं, विचार गढ़ते है ...अधिक पढ़ें

स्त्री को कंडोम खरीदना था लेकिन स्त्री कंडोम खरीदती नहीं. तो स्त्री क्या करे?

वह पैसे लेकर घूमती रही. किसी को पता नहीं था कि वह अपने प्रेमी से मिलने आई है और उसे कंडोम लेना है. उसके प्रेमी के पैर में चोट लगी थी. वह चल नहीं सकता था लेकिन प्रेम कर सकता था. तो तय हुआ था कि लड़की कंडोम खरीदने चली जाए. स्त्री को कंडोम खरीदना था लेकिन स्त्री कंडोम खरीदती नहीं. तो स्त्री क्या करे?

वह घूमती रही. उसने चारों तरफ देखा कि कोई ऐसा भी स्टोर हो जिसमें स्त्री दुकानदार हो लेकिन कोई उसे दिखा नहीं. हर दुकान पर पुरुष थे. लड़की ने बहुत अकेला महसूस किया.

इस बीच उस लड़की को यह भी याद आ गया कि किस तरह से यू ट्यूब पर ऐसे वीडियो की भरमार है जिसमें एक अकेली लड़की कंडोम लेने निकली है और उसकी कितनी फजीहत होती है. कोई उसे चरित्रहीन कहता है, कोई एक दर्जे की आवारा. इस तरह के वीडियो बहुत देखे गए थे शायद इसीलिए कि उसमें स्त्री की दुर्गति होती दिखती है.

इन दुविधाओं के बीच उसके प्रेमी का फोन आया कि लौट आओ. मुझे लग रहा है कि तुम्हारा किसी दुकान से कंडोम लेना ठीक नहीं होगा. तुम पर सब हंसेंगे. लड़की ने कहा कि उसका प्रेम करने का बहुत मन है. पुरुष इस बात से चोटाया कि लड़की इतना साफ तौर पर कह रही है कि उसका बहुत मन है. उसे यह ठीक नहीं लगा. उसने अपनी बात को पसीने-पसीने होती सड़क पर बदहवास भटकती लड़की से कहने की कोशिश की. लड़की ने लड़के से कहा कि में सड़क पर हूं और शोर की वजह से तुम्हारी बात ठीक से सुनाई नहीं दे रही.

लड़की घूमती रही और सोचती रही कि किस तरह से क्या किया जाए. लड़की को लग रहा था कि ऐसा कैसे हो कि वह किसी स्टोर में घुसकर कहे कि कंडोम दे दो. वह इतनी मामूली-सी चीज क्यों नहीं कर पा रही है. वह घूमती रही. छोटे से बाजार में लोगों को यह लग गया कि एक सुन्दर और वांछा से भरी औरत घूम रही है.

स्त्री को कंडोम खरीदना था लेकिन स्त्री कंडोम खरीदती नहीं. तो स्त्री क्या करे?

घर में पैर तोड़कर बैठा पुरुष सोच रहा था कि जो लड़की इस तरह बोलती हो कि उसका सहवास का बहुत मन है, उसके बारे में दोबारा सोचना होगा – पत्नी तो वह नहीं हो सकती.

बाजार में घूमती लड़की अचानक एक स्टोर में घुस गई. उसने दुकानदार से कहा कि उसे कंडोम चाहिए. बहुत धीरे से कहने के बावजूद आसपास के लोगों ने सुन लिया कि एक लड़की कंडोम खरीदने आई है. वे उसे देखने में जुट गए.

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दुकानदार ने यह सुनने के बावजूद भी कि एक लड़की ने कंडोम मांगा था कहा कि जी, क्या कहा, आपको क्या चाहिए. लड़की ने कहा कि कंडोम चाहिए. दुकानदार ने आवाज को थोड़ा ऊंचा करते हुए कहा कि कौन सा ब्रांड चाहिए: कामसूत्र, मूड्स या मैनफोर्स? लड़की ने कहा कि के एस. दुकानदार ने कहा कि कामसूत्र? डॉटेड चाहिए या केवल लुब्रिकेटेड? लड़की ने कहा, डॉटेड. दुकानदार ने कहा कि डॉट छोटे हों या बड़े? लड़की ने कहा, बड़े. काफी बड़े. दुकानदार ने कहा, रंग? लड़की ने कहा, स्किन कलर. ताकि पता न लगे कि कुछ पहना है.

साहस का स्वांग करते-करते लड़की थक चुकी थी. वह स्टोर से निकली तो अनार और अंगारे की तरह लाल थी. वह कांप रही थी. इस बीच लड़की के प्रेमी का फोन आया तो लड़की ने उसे काट दिया. दौड़ते हुए वह एक बस पर चढ़ गई तो बस के कंडक्टर ने उससे पूछा कहां का टिकट तो उसने कहा पृथ्वी को छोड़ने का.

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