विश्व कविता दिवस के अवसर पर साहित्य अकादमी द्वारा अखिल भारतीय काव्योत्सव का आयोजन किया गया.
World Poetry Day 2023: विश्व कविता दिवस के अवसर पर साहित्य अकादमी द्वारा अखिल भारतीय काव्योत्सव का आयोजन किया गया. इस काव्योत्सव में 24 भारतीय भाषाओं के कवियों ने भाग लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने की और उद्घाटन वक्तव्य वरिष्ठ हिंदी कवि प्रयाग शुक्ल ने दिया. स्वागत भाषण अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव द्वारा प्रस्तुत किया गया और समापन वक्तव्य साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा द्वारा दिया गया.
काव्योत्सव में प्रयाग शुक्ल ने कहा कि आज अनुवाद द्वारा किसी भी देश की कविता विश्व के कोने-कोने तक पहुंच रही है और यही कविता की सत्ता एवं उसका सम्मान है. उन्होंने कहा कि पृथ्वी का समूचा और सच्चा रूप कविता के कारण ही हमारे सामने आ पा रहा है. जैसे ही अनुवाद किसी दूसरे देश और भाषा में पहुंचता है, वह वहां की स्थानीयता को ग्रहण कर लेता है और विश्व बंधुत्व का सार्वभौमिक संदेश हर तरफ प्रसारित होने लगता है.
हिंदी अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि कवि समानांतर दुनिया रचता है, इसीलिए भारतीय संस्कृति में उसे ‘प्रजापति’ कहा गया है. कवि सच्चे मायने में विश्व नागरिक हैं और वे हर जगह आम आदमी के प्रवक्ता के रूप में उपस्थित हैं. संसार का सौंदर्य कविता द्वारा ही बचा है. उन्हीं के शब्दों ने संसार को रहने लायक बनाया हुआ है.
साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि एक समर्थ कवि रोज़मर्रा के दवाबों को अपनी कविता में दर्ज करता है. इसीलिए भारतीय भाषाओं में कविताओं का रूप बहुमुखी और समर्थ है. आज का दिन कविता की जमीन को विस्तारित करने के रूप में मनाया जाना चाहिए.
इस अवसर पर साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि कविता मानवता का हिस्सा है और पूरे विश्व में शांति की वाहक है.
कार्यक्रम में हिंदी के प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह पर प्रकाशित विनिबंध (लेखक – हरिमोहन शर्मा) का लोकार्पण भी किया गया. इस अवसर पर सेजल शाह (गुजराती), सुमन केसरी (हिंदी), शेफालिका वर्मा (मैथिली), सावित्री राजीवन (मलयालम्), एम. प्रियॅब्रत सिंह (मणिपुरी) और चंद्रभान ख़याल (उर्दू) ने अपनी-अपनी भाषाओं में कविताएं प्रस्तुत कीं.
कार्यक्रम में एक अन्य सत्र की अध्यक्षता सागरी छाबड़ा ने की. इसमें तूलिका चेतिया येन (असमिया), अलङ्बर मुसाहारी (बोडो), ग्वादलूप डायस (कोंकणी), कर्णा बिराहा (नेपाली), संतोष माया मोहन (राजस्थानी), शालिनी सागर (सिंधी), के. श्रीकांत (तेलुगु) ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं.
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