संतोष खंडेलवाल और उनकी पत्नी बंदरों को खाना खिलाते हुए
आगर मालवा. लॉकडाउन (Lockdown) के समय आगर मालवा (Agar Malwa) जिले में गरीब और जरूरतमंदों के लिए तो प्रशासन सहित स्वयंसेवी संस्थाएं लगातार मदद के लिए आगे आ ही रही हैं. लेकिन आगर मालवा जिले में जानवरों की भी चिंता करने वाले सच्चे कोरोना योद्धा मौजूद हैं. जिले में एक खंडेलवाल दंपत्ति (Khandelwal Couple) न केवल गायों के भोजन का इंतजाम कर रहे है बल्कि रोजाना बंदरो का भी लंगर चला रहे हैं.
आगर मालवा जिले में गरीब जरूरतमंदों को रोजाना प्रशासन व सामाजिक संस्थाएं भोजन और सामग्री उपलब्ध करा रही हैं ताकि कोई भी भूखा न सो सके. लेकिन इन सबके बीच कुछ बेजुबान ऐसे भी है जो धीरे धीरे बहुत हद तक भोजन के लिए इंसानों पर निर्भर हो चुके हैं.
बैजनाथ मंदिर में बंदरों का झुंड करता है दंपति का इंतजार
जिले के प्रसिद्ध बैजनाथ महादेव मन्दिर के आसपास बंदरों का झुंड भोजन के लिए बहुत हद तक श्रद्धालु और वहां के पंडे और पुजारियों पर आश्रित हो गया है. यहां आने वाले लोग इन बंदरो को रोजाना कुछ न कुछ खाने को उपलब्ध करा देते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण पिछले 20 दिनों से लगभग मंदिर पूरी तरह से बंद है. ऐसे में धीरे धीरे इन बंदरो को भूखा रहना पड़ रहा था. प्रतिदिन मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले आगर निवासी संतोष खंडेलवाल और उनकी पत्नी को जब इन व्याकुल बंदरो की जानकारी लगी तो इन्होंने इन बंदरो की भूख मिटाने की ठान ली.
दंपति चने और सोयाबीन लेकर रोज पहुंचते हैं मंदिर
अब रोजाना खंडेलवाल दंपति बंदरो के लिए चने, सोयाबीन आदि रात में पानी मे भिगो देते हैं और रोजाना सुबह इन्हें मंदिर परिसर में लेकर पहुंच जाते हैं. वे स्वयं रोजाना अपने हाथों से इन बंदरो को भरपेट भोजन कराते है. दंपति जैसे ही मंदिर पहुचता है, इन्हें देख बंदरो का झुंड इनके आसपास मंडराने लगता है. यह बंदर इन्हें कोई हानि नहीं पहुचाते हैं बल्कि बड़े ही प्रेम से इनके हाथों से भोजन ग्रहण करते हैं.
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