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Lockdown: कोटा से आए छात्रों की हुई VIP खातिरदारी, वहीं भूखे रह गए मजदूर

भूख और प्यास से बेहाल मजदूर ​स्त्री और उनके बच्चे

भूख और प्यास से बेहाल मजदूर ​स्त्री और उनके बच्चे

आगर मालवा जिले में राजस्थान के विभिन्न जगहों से पैदल चल कर बैतूल जा रहे दर्जनों मजदूर कई घंटे भोजन की राह देखते देखते थ ...अधिक पढ़ें

आगर मालवा. कोरोना के इस संकट (Corona Crises) में शासन और प्रशासन की अच्छी और बुरी कई तरह की तस्वीरें देखने को मिल रही है.  आगर मालवा (Agar Malwa) जिले में एक ही जगह पर प्रशासन द्वारा गरीब, मजदूरों और सम्पन्न लोगों के बच्चों के लिए की गई व्यवस्थाओं में साफ फर्क देखा गया. यहां मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर आगर मालवा जिले में पिछले पांच दिनों से राजस्थान के विभिन्न जगहों से पैदल चल कर बैतूल जा रहे दर्जनों मजदूर (Labourers) कई घंटे भोजन की राह देखते देखते थक गए. अंततः भूखे पेट ही छोटे छोटे बच्चो के साथ अपने घर की ओर चल दिए जबकि उसी जगह सड़क की दूसरी ओर बनाए कैंप में कोटा से बसों में पहुंचे सम्पन्न वर्ग के बच्चों के लिए बोतलबंद पानी के साथ वीआईपी भोजन दिया गया और उनकी देखभाल के लिए कलेक्टर एसपी सहित जिले के आला अधिकारी और पूरा अमला मौजूद रहा.

घंटों इंतजार के बाद भी नहीं मिला खाना

दरअसल उज्जैन कोटा मार्ग पर आगर मालवा जिले में राजस्थान सीमा लगती है. लॉक डाउन के चलते इस सीमा से होकर अन्य प्रदेशों से कई मजदूर पैदल ही अपने घर पहुंचने की जद्दोजहद में सड़क पर ही अपने कदमों से कई कई दिनों तक सेकड़ों किलोमीटर की दूरी नाप रहे हैं. रास्ते में जहां उन्हें जो मिल रहा है, वही खा रहे हैं. इनके लिए सरकारों की ओर से कोई संतुष्टिजनक व्यवस्थाएं नजर नहीं आती. ऐसा ही मामला आगर मालवा में देखने को मिला कि जहाँ दर्जनों मजदूर राजस्थान सीमा से होकर मध्यप्रदेश में आ रहे थे. सीमा पर बनी चेकपोस्ट पर प्रशासन ने उन्हें रोका गया. रोकने के पश्चात उन्हें भोजन करवाने की बात कही गई किंतु यह कैसा भोजन जो आधा घंटा, 1 घंटा नहीं बल्कि कई घंटे इंतजार करने के बाद भी इन गरीब बेसहारों को नहीं मिला. पेट में डालने के लिए दो रोटियां नसीब नहीं हुई.

बच्चे और महिलाएं भूख से व्याकुल हो चुके थे

मजदूरों के अनुसार कुछ दाल चावल पकाकर प्रशासन की ओर से उन्हें जरूर दिए गए जो जैसे तैसे पके होने के बावजूद उन्होंने तो खा लिए लेकिन उनके बच्चे नहीं खा सके. इनके छोटे-छोटे बच्चे भूख से बिलखते रहे, महिलाएं भूख से व्याकुल दिख रही थीं. अंततः इन मजदूरों ने निर्णय लिया कि यहां भोजन के लिए घंटों इंतजार करने से बेहतर है कि वह अपने घर की ओर निकल जाएं.

भूखे, प्यासे बच्चे जार-जार रो रहे थे

इन मजदूरों के हाथों में छोटे-छोटे बच्चे जो अपनी मां और पिता की बेबस आंखों में देख कर रो रहे थे. अपने माता-पिता की गरीबी से यह भी अब वाकिफ हो चुके थे. इन्हें क्या पता कि वहां लजीज भोजन भी बन रहा था पर यह लजीज भोजन इन गरीबों के नसीब के लिए नहीं था. दरअसल कोटा से कई छात्र मध्य प्रदेश सीमा से होकर प्रदेश के कई जिलों में जाने वाले थे . मामले पर राष्ट्रीय स्तर पर नजर थी.  प्रदेश सरकार की इमेज का मामला था, इसलिए लजीज भोजन उन छात्रों के लिए बना, बल्कि बोतल बंद पानी के साथ पैकेटो में सुबह से तैयार कर रखा था. यहां लजीज भोजन सामने होने के बावजूद नहीं मिल पाने के कारण भूखे प्यासे यह देखकर रो पड़े.

food packets
कोटा से मध्य प्रदेश लौट रहे छात्रों के लिए भोजन की व्यवस्था इस तरह से की गई थी.


सामाजिक संगठनों ने मजदूरों को खिलाया खाना

हालांकि वहां से निकलने के बाद गरीबों का जत्था 15-20 किलोमीटर आगे निकला तब कुछ सामाजिक संगठनों ने इन बेसहारा गरीबों को सड़क पर बैठाकर आदर के साथ खाना खिलाया. वहीं इस बारे में प्रशासनिक अधिकारियों ने दावा किया मजदूरों के लिए भी भोजन बनाया जा रहा था, लेकिन वे चले गए. अब उन्हें कौन बताए कि भूखे पेट आश्वासन से कितनी देर मन बहलाया जाए.

food
गरीबों को कुछ सामाजिक संगठनों ने सड़क पर बैठाकर आदर के साथ खाना खिलाया.


मजदूरों के पैरों में छाले पड़ गए थे

अब यहां सवाल उठता है कि यदि वास्तव में प्रशासन कोई भेदभाव नहीं कर रहा था और इन मजदूरों को खाना खिलाना चाहता था, तो छात्रों के लिए बनाए गए भोजन के पैकेटो को इन भूखे गरीबो में बांट सकता था, क्योंकि कोटा से आने वाले छात्र देर हो जाने से शाम तक पहुंचने वाले थे और मजदूर सुबह 11 बजे से ही पहुंचने लगे थे. पैदल चलते चलते इनमें से कई मजदूरों के पैरों में छाले पड़ चुके थे. इनके लिए कोई वाहन भी उपलब्ध नहीं था और न ही कोई इनसे इनकी तकलीफे पूछने वाला था.

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Tags: Agar malwa news, Farmer, Lockdown, Madhya pradesh news

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