अशोकनगर में स्वच्छता अभियान की हालत खराब, स्कूलों में पड़े हैं कचरे

स्कूल परिसर में जमा गंदा पानी.
मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में स्वच्छता अभियान असफल होता दिखाई दे रहा है. इसके असफल होने में सरकारी महकमों की अहम भूमिका है. बात सरकारी दफ्तरों की करें तो शिक्षा विभाग स्वच्छता की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है.
- ETV MP/Chhattisgarh
- Last Updated: September 17, 2017, 7:03 PM IST
मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में स्वच्छता अभियान असफल होता दिखाई दे रहा है. इसके असफल होने में सरकारी महकमों की अहम भूमिका है. बात सरकारी दफ्तरों की करें तो शिक्षा विभाग स्वच्छता की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है.
सरकारी स्कूलों के अलावा खुद जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर के बाहर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. अधिकारियों द्वारा इस ओर कोई ध्यान न देकर सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर वाहवाही लूटी जा रही है. ईटीवी/न्यूज18 की टीम ने जब सरकारी स्कूलों का जायजा लिया तो कहीं स्कूल प्रांगण में कचरा मिला कहीं जानवर घूमते मिले.
एक स्कूल प्रांगण में तो आसपास के गंदे पानी की निकासी तक होती मिली. इसी गंदगी में बच्चों को पढ़ने को मजबूर होना पड़ता है. स्कूलों के बाद जब जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर के बाहर गंदा पानी तो एक तरफ काफी सारी गंदगी और कचरा फैला हुआ था. गौरतलब है कि स्वच्छता मिशन को लेकर कुछ दिन पहले ही जिला शिक्षा अधिकारी ने दो शिक्षकों पर अर्थदंड लगाया था और उन्हें निलम्बित भी किया था.
शिक्षकों की गलती इतनी थी कि वे खुले में शौच न जाने के आदेश की अवहेलना करते पाए गए थे. इसमें से एक शिक्षक को तो अपनी पत्नी की करनी की सजा भुगतनी पड़ी थी. अब सवाल ये उठता है कि क्या स्वच्छता का अर्थ सिर्फ खुले में शौच न जाना है. जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय सहित स्कूलों में फैली गंदगी का अंबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की पोल खोलता है.साथ ही यह भी सिद्ध करता है कि अधिकारी कर्मचारी अभियान को सफल बनाने के बजाय सिर्फ वाहवाही लूटने और चर्चाओं में बने रहने में लगे हैं. कार्यालय और स्कूलों में व्याप्त गंदगी के विषय में जब जिला शिक्षा अधिकारी से बात की तो उन्होंने माना कि कार्यालयों के आसपास गंदगी है.
सरकारी स्कूलों के अलावा खुद जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर के बाहर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. अधिकारियों द्वारा इस ओर कोई ध्यान न देकर सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर वाहवाही लूटी जा रही है. ईटीवी/न्यूज18 की टीम ने जब सरकारी स्कूलों का जायजा लिया तो कहीं स्कूल प्रांगण में कचरा मिला कहीं जानवर घूमते मिले.
एक स्कूल प्रांगण में तो आसपास के गंदे पानी की निकासी तक होती मिली. इसी गंदगी में बच्चों को पढ़ने को मजबूर होना पड़ता है. स्कूलों के बाद जब जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर के बाहर गंदा पानी तो एक तरफ काफी सारी गंदगी और कचरा फैला हुआ था. गौरतलब है कि स्वच्छता मिशन को लेकर कुछ दिन पहले ही जिला शिक्षा अधिकारी ने दो शिक्षकों पर अर्थदंड लगाया था और उन्हें निलम्बित भी किया था.
शिक्षकों की गलती इतनी थी कि वे खुले में शौच न जाने के आदेश की अवहेलना करते पाए गए थे. इसमें से एक शिक्षक को तो अपनी पत्नी की करनी की सजा भुगतनी पड़ी थी. अब सवाल ये उठता है कि क्या स्वच्छता का अर्थ सिर्फ खुले में शौच न जाना है. जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय सहित स्कूलों में फैली गंदगी का अंबार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की पोल खोलता है.साथ ही यह भी सिद्ध करता है कि अधिकारी कर्मचारी अभियान को सफल बनाने के बजाय सिर्फ वाहवाही लूटने और चर्चाओं में बने रहने में लगे हैं. कार्यालय और स्कूलों में व्याप्त गंदगी के विषय में जब जिला शिक्षा अधिकारी से बात की तो उन्होंने माना कि कार्यालयों के आसपास गंदगी है.