रिपोर्ट : चितरंजन नेरकर
बालाघाट. जिला मुख्यालय से लगभग 90 किमी दूर एक छात्र का स्कूल जाने का तरीका इन दिनों खूब चर्चा में बना हुआ है. आज के दौर में बच्चे जहां ऑटो, वैन, बाइक या साइकिल से स्कूल जाना पंसद करते हैं, वहीं इससे इतर बालाघाट जिले के परसवाडा तहसील के ग्राम सुरवाही में रहने वाला छात्र ललित कोडापे ने स्कूल जाने के लिए घोड़े की सवारी चुनी. जी हां, ललित रोजाना छोटी कदवाले लाल रंग के काठियावाड़ी प्रजाति के घोड़े पर शान से स्कूल जाता है. कक्षा 6ठी में पढ़नेवाला यह छात्र जब सड़क से गुजरता है, तो लोग उसे देखकर न सिर्फ हैरान रह जाते हैं, बल्कि उसकी तारीफ भी करते हैं कि कैसे एक नन्हा छात्र घुड़सवारी करके स्कूल जाता है.
दरअसल, ललित का घर सुदूर जंगल में है. वह जब भी साइकल से स्कूल आता था तो वह अक्सर खराब हो जाया करती थी. इसे बनवाने में काफी पैसे खर्च हो जाया करते थे. घर की माली हालत खराब होने की वजह से यह खर्च उठा पाना मुश्किल हो रहा था. इतना ही नहीं बारिश के दिनों में पगडंडी वाले रास्ते से ललित का आना-जाना मुश्किल हो जाता था. इन स्थितियों को देखते हुए ललित के नाना ने उसे घोड़ा खरीदकर दे दिया और उसने खूब मन लगाकर घुड़सवारी सीखी. अब वह हर दिन इसी घोड़े पर सवार होकर स्कूल आता है. उसके घर से स्कूल की दूरी 4 किमी है और वह प्रतिदिन 8 किमी इसी घोड़े पर सवार होकर आना-जाना करता है.
ललित ने अपने इस घोड़े का नाम हीरा रखा है. ललित अपने इस हीरा का बहुत ख्याल रखता है. स्कूल आने से पहले घोड़े को घर के बाजू में बने तालाब में वह अच्छी तरह से नहलाता है और बाद में खुद भी नहाता है. फिर तैयार होकर हीरा के साथ स्कूल के लिए निकल जाता है.
ललित के मामा डोंगरू टेकाम ने बताया कि ललित के माता-पिता बहुत गरीब हैं, जिसके वजह से वह ललित को पढ़ाने में सक्षम नहीं थे. ललित हमारे पास में रहकर ही पढ़ाई करता है और उसे घोड़े का बहुत शौक था इसलिए उसे घोड़ा लेकर दिया गया. हमने पहले उसके लिए साइकिल खरीदी थी, लेकिन वह आये दिन खराब हो जाती थी.
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