रिपोर्ट: चितरंजन नेरकर
बालाघाट: जिले के ग्राम गोंगलई में अति प्राचीन प्रतिमाएं देखने को मिली हैं और ये मूर्तियां एक खेत में खुले आसमान के नीचे रखी हैं. अनुमान के मुताबिक ये प्रतिमाएं 10वीं शताब्दी की हैं, जिसमें भगवान गणेश की प्रतिमा भी मौजूद है. यहीं पर 16वीं शताब्दी की महिला योद्धाओं की भी प्रतिमाएं हैं. इन प्राचीन प्रतिमाओं की देखरेख नहीं होने से अब ये धीरे-धीरे जर्जर हो रही हैं.
पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष आचार्य विरेंद्र सिंह गहरवार ने बताया कि सन 2011 में संग्रहालय की टीम जब गोंगालई गांव से गुजर रही थी, तब उन्हें जमीन में प्रतिमाएं दिखाई दीं. इसके बाद उस स्थान पर खुदाई करवाई गई तो उन्हें भगवान गणेश की बड़ी सी प्रतिमा दिखी, जो 10वीं शताब्दी के आसपास की थी. साथ ही, महिला योद्धाओं की प्रतिमाओं के अवशेष भी मिले थे, जिन्हें संग्रहालय में लाने के लिए प्रयास किए गए थे. लेकिन, ग्रामीणों के विरोध के चलते प्रतिमाओं को नहीं ला सके. इसी कारण वे आज भी खुले आसमान के नीचे पड़ी हैं.
प्रयास है टिन शेड में रखें प्रतिमाएं
आचार्य विरेंद्र सिंह ने बताया कि ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए अब दूसरे तरीके पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए हमारा प्रयास है कि पंचायत के माध्यम से वहीं खेत में एक अच्छा सा टिन शेड बनावा कर मूर्तियों को वहीं रखा जाए. इससे प्रतिमाएं भी सुरक्षित रहेंगी और ग्रामीण भी अपनी आस्था के अनुरूप उनकी पूजा कर सकेंगे.
शुभ कार्य के पहले यहां पूजा करते हैं ग्रामीण
गोंगलई के लोगों का कहना है कि देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के गांव में होने से किसी भी प्रकार की समस्याएं नहीं आती हैं. यहां के ग्रामीण अपने हर शुभ कार्यों की शुरुआत इस स्थान पर पूजा करने के बाद ही करते हैं. फिर वह फसल को लगाने का कार्य हो या फसल काटने का. कोई भी शुभ कार्य हो हर ग्रामीण सबसे पहले यहां मत्था टेकता है.
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