रिपोर्ट: चितरंजन नेरकर
बालाघाट: जिले के कई शिक्षित बेरोजगार युवाओं का रुझान अब कृषि की ओर तेजी से बढ़ा है. यही नहीं, वे अपनी नई सोच व नई पद्धति से खेती कर रहे हैं, जिससे उनको मुनाफा भी हो रहा है. ऐसे ही एक सफल किसान के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं. किरनापुर तहसील क्षेत्र के ग्राम मौदा निवासी ललित बाहेश्वर (35), जो गन्ना उत्पादक किसानों के लिए मिसाल बने हुए हैं.
ललित, नई तकनीक और नई सोच के साथ खेत में अपना पसीना बहा रहे हैं और बर्ड चीफ पद्धति से सीओ-265 नामक रसवंती प्रजाति के गन्ने की फसल का उत्पादन कर रहे हैं. इसमें वह लगभग 30 हजार रुपये खर्च कर तीन लाख रुपये का मुनाफा कमाते हैं. इनकी नई तकनीक से एक बार बुआई के बाद लगातार तीन वर्ष तक गन्ने की फसल निकलती है.
पहले करते थे साधारण गन्ने की खेती
ललित ने बताया कि पहले वह अन्य किसानों के मार्गदर्शन में साधारण गन्ने का उत्पादन ही करते थे. उसमें लागत के अनुरूप अधिक मुनाफा नहीं मिल पाता था. ऐसे में उन्होंने जैविक पद्धति से गन्ने की खेती करने का मन बनाया और उसकी वैज्ञानिक पद्धति सिखी. फिर रसवंती नामक गन्ने की खेती शुरू की. इस खेती में कम लागत में अधिक आमदनी प्राप्त होने लगी. गर्मी के दिनों में गन्ना खेतों से ही बिकने लगा. ललित ने बताया कि किरनापुर क्षेत्र के अधिकांश किसान साधारण प्रजाति के गन्ने का उत्पादन करते हैं और उसका रस निकालकर वे स्वयं गुड़ बनाकर बेचते हैं. लेकिन, उनके द्वारा बर्ड चीफ पद्धति से उगाए गए रसवंती गन्ने की डिमांड ज्यादा है और व्यापारी आर्डर देकर खेत से ही गन्ना खरीदकर ले जाते हैं.
ऐसे तैयार होता है रसवंती गन्ने का पौधा
ललित ने बताया कि सुगर किंग कटर नामक मशीन में गन्ने की रिंग बैंड की कटाई करके बीज उपचार प्रारंभ किया जाता है. गन्ने के कटे हुए अंकुरित वाले हिस्से (रिंग बैंड) को एक मिश्रण (कार्बन डाई जिम 12 प्रतिशत और मैंकोजेब 63 प्रतिशत) में 24 घंटे तक डुबोकर रखा जाता है. उसके बाद बीज को गोबर खाद और कोको फीड (नारियल के बुच की भूसी) से बनी मिट्टी उर्वरक खाद के साथ प्लास्टिक की 77 खांचे वाली बिफ्र (प्लास्टिक की ट्रे) में बुवाई की जाती है. जहां करीब एक सप्ताह बाद बीज अंकुरित हो जाते हैं और पौधा निकल आता है. करीब एक माह बाद पौधा तैयार होने पर खेत में जुताई करके व मेड़ बनाकर उसकी रोपाई की जाती है. इससे गन्ने का उत्पादन बढ़िया होता है.
दूसरे किसानों को भी कर रहे प्रेरित
ललित ने बताया कि उसके द्वारा विगत 3 साल से बर्ड चीफ विधि से सीओ-265 प्रजाति वाले रसवंती गन्ने की फसल लगाई जा रही है. एक बार रोपाई करने के बाद लगातार तीन साल तक फसल मिलती रहती है. इससे 3 साल तक लागत से 30 गुना मुनाफा उन्हें प्राप्त हो रहा है. वह अब क्षेत्र के किसानों को भी रसवंती प्रजाति के गन्ने की खेती करने की सलाह दे रहे हैं. उन्हें बर्ड चीफ पद्धति से तैयार किए गए गन्ने का बीज भी उपलब्ध करवा रहे हैं. ललित बाहेश्वर ने बताया कि इस पद्धति से गन्ने का उत्पादन करने से फसल अच्छी होती है और एक गन्ना करीब 2 से 3 किलो का होता है, जिसकी मोटाई भी अच्छी होती है.
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Tags: Mp farmer, Mp news, Sugarcane Farmers
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