कैंसर को मात दे चुका ये शख्स अब कर रहा शहर को पॉलीथिन मुक्त

हेमंत दुबे, कैंसर सर्वाइवर
चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत दुबे 18 कीमोथेरेपी और 44 राउंड रेडिएशन से गुजरकर कैंसर को हरा चुके हैं. अब वे बैतूल जिले के नदी और तालाबों को पॉलीथिन से मुक्त करने में अकेले ही जुट गए हैं.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: May 21, 2019, 11:54 AM IST
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक ऐसा शख्स है, जो दुनियाभर के कैंसर सर्वाइवर के लिए एक मिसाल बन गया है. पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत दुबे 18 कीमोथेरेपी और 44 राउंड रेडिएशन से गुजरकर कैंसर को हरा चुके हैं. अब वे बैतूल जिले के नदी और तालाबों को पॉलीथिन से मुक्त करने में अकेले ही जुट गए हैं. बता दें कि हेमंत ने शहर के एक सरोवर को 11 दिन की मेहनत में पॉलीथिन से मुक्त कर दिया है.
बैतूल शहर के बीच में बने अभिनंदन सरोवर की तस्वीर ठीक 11 दिन पहले कुछ अलग थी. हर साल गर्मी में सूखने वाले इस सरोवर में हर तरफ पॉलीथिन और खरपतवार नजर आती थी, लेकिन जब शहर के कथित बुद्धिजीवियों और प्रशासन ने इसकी अनदेखी कर दी, तो पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट और एक कैंसर सर्वाइवर हेमंत दुबे ने अकेले ही इस सरोवर को साफ करने की शुरुआत कर दी.
इस तरह करीब 11 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार हेमन्त ने अकेले ही पूरे सरोवर की साफ कर ये साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति क्या होती है.
हेमंत के लिए ये काम इस मायने में बेहद खास है कि वो खुद एक कैंसर सर्वाइवर हैं. 18 बार कीमोथेरेपी और 44 बार रेडिएशन की तकलीफ झेलने के बाद वो कैंसर से जंग जीत गए, लेकिन अब उनका एक ही लक्ष्य है शहर को पॉलीथिन के प्रदूषण और समाज को तम्बाखू मुक्त करना है.
हेमंत रोजाना शाम को शहर के नाले और तालाब साफ करने निकल पड़ते हैं. पहले तो लोगों को ये सब बहुत अजीब लगा, लेकिन उनकी मेहनत से साफ हो रहे तालाब को देख लोग उनसे जुड़ने के लिए आगे आने लगे हैं.
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बैतूल शहर के बीच में बने अभिनंदन सरोवर की तस्वीर ठीक 11 दिन पहले कुछ अलग थी. हर साल गर्मी में सूखने वाले इस सरोवर में हर तरफ पॉलीथिन और खरपतवार नजर आती थी, लेकिन जब शहर के कथित बुद्धिजीवियों और प्रशासन ने इसकी अनदेखी कर दी, तो पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट और एक कैंसर सर्वाइवर हेमंत दुबे ने अकेले ही इस सरोवर को साफ करने की शुरुआत कर दी.
इस तरह करीब 11 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार हेमन्त ने अकेले ही पूरे सरोवर की साफ कर ये साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति क्या होती है.

हेमंत रोजाना शाम को शहर के नाले और तालाब साफ करने निकल पड़ते हैं. पहले तो लोगों को ये सब बहुत अजीब लगा, लेकिन उनकी मेहनत से साफ हो रहे तालाब को देख लोग उनसे जुड़ने के लिए आगे आने लगे हैं.
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