550 वां प्रकाश पर्व : मुलताई से भी है गुरु नानक देव का नाता, हर साल यहां लगता है मेला

मुलताई स्थित गुरुद्वारा
गुरुनानक देव (guru nanak dev) के बेटे बाबा श्रीचन्द्र का भी मुलताई (multai) से अटूट नाता रहा है. मुलताई के नज़दीक जौलखेड़ा गांव में बाबा श्रीचंद का मठ बना हुआ है, जहां गुरुग्रन्थ साहिब (Guru Granth Sahib, ) विराजमान हैं.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: November 12, 2019, 10:58 AM IST
बैतूल. आज गुरुनानक देव (guru nanak dev) का 550 वां प्रकाश (prakash parv) पर्व है. गुरुनानक देव (guru nanak dev) की पवित्र यादों से मध्य प्रदेश (madhya pradesh) का भी नाता है. गुरुनानक देव (guru nanak dev)) भारत भ्रमण के दौरान बैतूल (betul) की मुलताई (multai) तहसील आए थे. यही वजह है कि मुलताई सिख समाज (sikh) की आस्था का केंद्र है और सरकार ने इसे पवित्र नगरी (Holy city) का दर्जा दिया है.
सिख समाज की आस्था का केंद्र
गुरुनानक देव ने भारत सहित दुनिया के कई देशों की लगभग 80 हज़ार किलोमीटर पैदल यात्रा की थी. जब वो भारत दौरे पर निकले तो ग्वालियर के रास्ते मध्यप्रदेश में आए और 11 जिलों का भ्रमण किया. सन 1515 में गुरुनानक देव बैतूल जिले की मुलताई तहसील भी आए थे. यहां वो 14 दिन तक रुके थे. ताप्ती नदी के उद्गम और गुरुनानक देव के प्रवास की वजह से ही मुलताई को सिख आस्था की पवित्र नगरी का दर्जा मिला. मुलताई के पास गुरुनानक देव के बेटे बाबा श्री चन्द्र का मठ भी है.
गुरुनानक देव की स्मृतिसिख सम्प्रदाय के प्रवर्तक गुरुनानक देव को जगत गुरु कहा जाता है. उनके 550वें प्रकाश पर्व पर बैतूल की पवित्र नगरी मुलताई में अलग ही उत्साह बना हुआ है. इसकी एक ख़ास वजह है. ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक सन 1515 के नवम्बर महीने में गुरुनानक देव बैतूल की मुलताई नगरी में आए थे और यहां 14 दिन तक रुककर मानवता का प्रचार किया था.
कार्तिक मेला
गुरुनानक देव के मुलताई आगमन के साथ ही यहां कार्तिक मेले का आयोजन शुरू हुआ था जो 502 वर्ष से हर साल आयोजित होता आ रहा है. मुलताई स्थित पवित्र गुरुद्वारा साहिब में दर्शन करने पूरे देश दुनिया से लोग आते हैं. उनके मुलताई प्रवास के तथ्यों और ताप्ती नदी के उद्गम स्थान के कारण ही पूर्व की मध्यप्रदेश सरकार ने मुलताई को पवित्र नगरी का दर्जा दिया है.
बाबा श्रीचंद का नाता
गुरुनानक देव के बेटे बाबा श्रीचन्द्र का भी मुलताई से अटूट नाता रहा है. मुलताई के नज़दीक जौलखेड़ा गांव में बाबा श्रीचंद का मठ बना हुआ है, जहां गुरुग्रन्थ साहिब विराजमान हैं. वहीं मुलताई स्थित गुरुद्वारा साहिब को मध्यप्रदेश के प्रमुख गुरुद्वारों में 14वां स्थान हासिल है. गुरुनानक देव के मुलताई प्रवास के कारण मुलताई को, मध्य प्रदेश में सिख समाज के तीर्थ स्थल के तौर पर जाना जाता है.
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सिख समाज की आस्था का केंद्र
गुरुनानक देव ने भारत सहित दुनिया के कई देशों की लगभग 80 हज़ार किलोमीटर पैदल यात्रा की थी. जब वो भारत दौरे पर निकले तो ग्वालियर के रास्ते मध्यप्रदेश में आए और 11 जिलों का भ्रमण किया. सन 1515 में गुरुनानक देव बैतूल जिले की मुलताई तहसील भी आए थे. यहां वो 14 दिन तक रुके थे. ताप्ती नदी के उद्गम और गुरुनानक देव के प्रवास की वजह से ही मुलताई को सिख आस्था की पवित्र नगरी का दर्जा मिला. मुलताई के पास गुरुनानक देव के बेटे बाबा श्री चन्द्र का मठ भी है.

गुरुनानक देव की स्मृतिसिख सम्प्रदाय के प्रवर्तक गुरुनानक देव को जगत गुरु कहा जाता है. उनके 550वें प्रकाश पर्व पर बैतूल की पवित्र नगरी मुलताई में अलग ही उत्साह बना हुआ है. इसकी एक ख़ास वजह है. ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक सन 1515 के नवम्बर महीने में गुरुनानक देव बैतूल की मुलताई नगरी में आए थे और यहां 14 दिन तक रुककर मानवता का प्रचार किया था.

कार्तिक मेला
बाबा श्रीचंद का नाता
गुरुनानक देव के बेटे बाबा श्रीचन्द्र का भी मुलताई से अटूट नाता रहा है. मुलताई के नज़दीक जौलखेड़ा गांव में बाबा श्रीचंद का मठ बना हुआ है, जहां गुरुग्रन्थ साहिब विराजमान हैं. वहीं मुलताई स्थित गुरुद्वारा साहिब को मध्यप्रदेश के प्रमुख गुरुद्वारों में 14वां स्थान हासिल है. गुरुनानक देव के मुलताई प्रवास के कारण मुलताई को, मध्य प्रदेश में सिख समाज के तीर्थ स्थल के तौर पर जाना जाता है.
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