होम /न्यूज /मध्य प्रदेश /NAVRATRI 2023 : मां चंडी का दरबार : भारी बाढ़ में भी मंदिर को नहीं छूता गोधना डैम का पानी!

NAVRATRI 2023 : मां चंडी का दरबार : भारी बाढ़ में भी मंदिर को नहीं छूता गोधना डैम का पानी!

Navratri Special. बैतूल जिले में स्थित इस चंडी मंदिर में गोंड राजा माथा टेकने आते थे.

Navratri Special. बैतूल जिले में स्थित इस चंडी मंदिर में गोंड राजा माथा टेकने आते थे.

R_MP_BPL_182_21MAR_NAVRATRI SPECIAL_RISHU NAIDU_BETUL_SCRIPT

बैतूल. शुंभ निशुम्भ दानवों का वध करने वाली मां पार्वती का चंडी स्वरूप दया और शक्ति का प्रतीक माना जाता है. भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण तक मां चंडिका के कई मंदिर प्रसिद्ध हैं. इनमें से एक है मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में स्थित चंडी दरबार. इसके बारे में बताया जाता है कि 1400 साल पहले यहां मां चंडी की तीन प्रतिमाएं पिण्डी  रूप में प्रकट हुई थीं.

मां चंडी गोंडवाना वंश के अंतिम राजा ईल की भी कुलदेवी थीं जो एक सुरंग के रास्ते माँ चंडी के दर्शन करने जाता था. स्थानीय आदिवासियों के लिए चंडी दरबार एक तीर्थ जैसा है. मंदिर के बिल्कुल पीछे गोधना डैम है. ऐसी मान्यता है कि चाहें कितनी ही बारिश हो जाए लेकिन माँ चंडी के प्रभाव से  डैम का पानी कभी मंदिर तक नहीं पहुंचा.

गोंड राजा की ईष्ट देवी
बैतूल जिले की चिचोली तहसील से 7 किमी दूर ग्राम पंचायत गोधना में स्थित है शक्ति स्वरूपा मां चंडी का प्रसिद्ध दरबार जो आदिवासियों के लिए एक तीर्थ स्थान है. देशभर से लोग यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं. दुष्टों का संहार करने वाली मां चंडी से लोग आरोग्य और दया की मनोकामना करते हैं. बताया जाता है चंडी दरबार का इतिहास आज से 1400 साल पुराना है. जब मां चंडी यहां पिण्डी रूप में प्रकट हुई थीं. गोंडवाना वंश की कुलदेवी होने के नाते अंतिम गोंड राजा ईल यहां देवी की आराधना करने एक गुप्त सुरंग के रास्ते आते थे. उनके लिए नजदीकी दूधियागढ़ किले से चंडी दरबार तक सुरंग बनाई गई थी.

ये भी पढ़ें-इंदौर कलेक्ट्रेट का अकाउंटेंट करोड़पति निकला, तीन साल से पत्नी के खाते में ट्रांसफर कर रहा था सरकारी पैसा

अद्भुत आस्था
स्थानीय ग्रामीण यहां एक चमत्कारिक घटना होने की जानकारी देते हैं. साल 2007 में गोधना डैम का निर्माण हुआ जिसमें जलभराव के बाद पानी चंडी माता मंदिर के अंदर तक प्रवेश कर गया. ग्रामीणों को लगा कि मंदिर जलमग्न हो जाएगा. लेकिन तभी डैम की एक दीवार में दरार की खबर से दहशत फैल गई. सिंचाई विभाग के अफसरों ने माँ चंडी के आगे माथा टेका. इसके बाद डैम का जलस्तर सामान्य हो गया. लेकिन इस घटना के बाद से आज तक दोबारा कभी डैम का पानी मंदिर के आसपास भी नहीं पहुंचा. ग्रामीण इसे माँ चंडी का ही चमत्कार मानते हैं.

आवाज का जादू
माँ चंडिका मंदिर के सामने सदियों पुराना वास्तुकला का एक बेजोड़ नमूना देखा जा सकता है. यहां एक जैसे दो गुम्बद बने हैं जो सम्भवतः गोंड राजवंश काल के माने जाते हैं. इनकी खासियत ये है कि यहां कोई भी आवाज़  दस गुना अधिक तेज सुनाई देती है. मंदिर में दर्शन करने वाले इस वास्तुकला को देखकर अचंभित हो जाते हैं.

हर शुभ काम से पहले मां चंडी की आराधना
नवरात्रि पर्व के दौरान यहां बैतूल के पड़ोसी जिलों, हरदा, छिंदवाड़ा, नर्मदापुरम, सहित प्रदेश और देश के कई इलाकों से लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं. बैतूल जिले में तो कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले लोग मां चंडी के दरबार मे माथा टेकने को अनिवार्य मानते हैं. मां चंडी का  दरबार बैतूल जिले में आस्था का एक बड़ा केंद्र है. लोगों का कहना है जब तक मां चंडी का हाथ उनके सिर पर है तब तक इस इलाके में कोई विपदा नहीं आ सकती.

Tags: Betul news, Chaitra Navratri, Madhya pradesh news, Navratri Celebration

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें