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Shiva Temple: भिंड के एक शिवलिंग पर लोग मारते थे कंकर-पत्थर, वजह जानकर दंग रह जाएंगे

मध्यप्रदेश के भिंड में एक ऐसा शिवलिंग है, जहां भक्त आते-जाते कंकर-पत्थर मारते थे. गलत समझ के कारण बनी यह परंपरा अब खत्म ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: अरविंद शर्मा

भिंड: क्या आपने ऐसे शिवलिंग के बारे में कभी सुना है, जिन्हें वर्षों तक भक्त पूजने के बजाय पीटते रहे हों और इसके बाद भी महादेव की कृपा उन पर बनी हो. अगर नहीं, तो चलिए हम आपको ऐसे शिवलिंग के दर्शन कराते हैं, जिनको पहले लोग कंकर मारते थे और अब उनकी पूजा करते हैं. मध्यप्रदेश के भिंड में स्थित बोरेश्वर धाम मंदिर पर लाखों लोग हर साल पहुंचते हैं. यह मंदिर काफी प्राचीन होने के कारण यहां से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है.

बोरेश्वर धाम के मार्ग में मंदिर से तकरीबन दो सौ मीटर पहले एक शिवलिंग है, जिन्हें स्थानीय लोग कुटंत महादेव के नाम से जानते हैं. एक गलत समझ को लेकर लोग वर्षों तक इस शिवलिंग पर आते-जाते कंकर-पत्थर बरसाते रहे, लेकिन महादेव की कृपा में कोई कमी नहीं आई. हालांकि, बाद में गांव के बड़े-बुजुर्गों ने आस्था के कारण यह परंपरा बंद करा दी. अब लोग मंदिर पहुंचने से पहले इस प्राचीन शिवलिंग की पूजा करने के बाद ही आगे बढ़ते हैं.

शिवलिंग को कंकर मारने की यह थी वजह
कहते हैं भगवान तो भाव के भूखे होते हैं. भक्त की भावना नेक हो तो भगवान को पिटने में भी खुशी मिलती है. कुंटत महादेव की कथा भी कुछ ऐसी ही है. स्थानीय लोगों के अनुसार, कुटंत महादेव का नाम कोटेश्वर महादेव है. वर्षों पहले शिवलिंग के पास चबूतरा बनाने के लिए ईंट-पत्थर नहीं थे. शिवलिंग सीधे जमीन से निकला नजर आता था. ऐसे में यहां के पुजारी ने स्थानीय लोगों से अपील की कि गांव के लोग यहां एक-एक ईंट डालकर जाएं, ताकि शिवलिंग के आसपास चबूतरा बनाया जाय. इसी उद्देश्य से लोग बोरेश्वर मंदिर जाने से पहले कुटंत महादेव के पास ईंट व कंकर फेंकने लगे. ऐसे में कुछ लोग कंकर जल्दबाजी में फेंकते तो वह शिवलिंग पर लग जाता था. धीरे-धीरे धारणा बन गई कि शिवलिंग पर कंकड़-पत्थर मारने से कल्याण होता है. यही धारणा फिर परंपरा बनी और लोग कुटंत महादेव पर कंकर-पत्थर मारने लगे. इसी वजह से कोटेश्वर महादेव, कालांतर में कुटंत महादेव बन गए.

कंकर फेंकने वाले हाथ अब करते हैं प्रणाम
कहते हैं समय बदलते देर नहीं लगती. कंकर मारने की इस प्रथा को गांव के बड़े-बुजुर्गों ने बाद में बंद करा दिया और यहां चबूतरे का निर्माण करा दिया गया. इस दौरान कोटेश्वर से कुटंत बने महादेव ने अपने भक्तों से कई सालों तक कंकड़-पत्थर खाए, लेकिन वह सहज ही बने रहे. आज वही भक्त कुटंत महादेव के आगे शीश नवाते हैं और उनको कंकर मारने के लिए क्षमा भी मांगते हैं. अब यहां जलाभिषेक और प्रतिदिन पूजा पाठ होता है. बोरेश्वर मंदिर जाने से पहले भक्त कुटंत महादेव का दर्शन सबसे पहले करते हैं.

Tags: Bhind news, Mp news, Shiva Temple

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