मछली पालन से इस युवक ने साल भर में कमाए 5 लाख, आप भी हो सकते हैं मालामाल! जानें ये विधि
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Agency:News18 Madhya Pradesh
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Bhind News: जिले के दबोह में रहने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट तीन साल से खास तकनीक के जरिए मछली पालन कर लाखों रुपये कमा रहे हैं. यहां उन्होंने मत्स्य पालन के लिए शुरू की गई भारत सरकार की खास योजना के बारे में भी बताया.
बायोफ्लॉक मछली पालन की आधुनिक तकनीक.रिपोर्ट: अरविंद शर्मा
भिंड: मछली पालन आपके लिए बन सकता है कम लागत और अधिक मुनाफे का माध्यम. जी हां, केंद्र सरकार ने इसके लिए पीएम मत्स्य संपदा योजना शुरू की है. इस योजना से जुड़कर किसान ही नहीं, बल्कि कई युवा आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. भिंड के दबोह में रहने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट तीन साल से बायोफ्लॉक तकनीक के जरिए मछली पालन कर लाखों कमा रहे हैं. आइए जानते हैं इस तकनीक के बारे में, जो आपको एक साल में ही बना देगी मालामाल.
दबोह निवासी मानवेंद्र सिंह यादव बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन कर रहे हैं, इनका सालाना टर्नओवर 45 लाख है. इसमें खर्च आदि काटकर प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये करीबन बच जाते हैं. मानवेंद्र सिंह ने दस हजार लीटर पानी की क्षमता के दो टैंकों में मछली पालन शुरू किया, जिसमें 60 हजार रुपये की लागत से डेढ़ मेट्रिक टन मत्स्य उत्पादन प्राप्त किया. इससे उन्हें एक लाख रुपये का फायदा हुआ.
फायदा होते देख सात टैंक और बनाए
मानवेन्द्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि मत्स्य उत्पादन से हमें हर साल फायदा होता गया. फिर इसके बाद हमने बीस हजार लीटर पानी की क्षमता वाले सात टैंकों का निर्माण करा दिया, जिसके बाद आज हमें हर साल प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से एक वर्ष में दो बार दस लाख मत्स्य उत्पादन कर रहे हैं. इससे करीब एक वर्ष में पांच लाख का मुनाफ़ा हो रहा है.
मानवेन्द्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि मत्स्य उत्पादन से हमें हर साल फायदा होता गया. फिर इसके बाद हमने बीस हजार लीटर पानी की क्षमता वाले सात टैंकों का निर्माण करा दिया, जिसके बाद आज हमें हर साल प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से एक वर्ष में दो बार दस लाख मत्स्य उत्पादन कर रहे हैं. इससे करीब एक वर्ष में पांच लाख का मुनाफ़ा हो रहा है.
मंदसौर में देखकर आए भिंड में ले रहे फायदा
मानवेंद्र के पिता पुलिस में होने के कारण मंदसौर में पदस्थ थे. मानवेन्द्र बचपन से पिता के साथ रहे. बताया कि मंदसौर में गांधी सागर डैम के बारे में उन्होंने सुना था, वहां गया तो देखा काफी संख्या में मछली पालन किया जा रहा है. वहां से सीखने के बाद उन्होंने भिंड में मछली पालन शुरू किया.
मानवेंद्र के पिता पुलिस में होने के कारण मंदसौर में पदस्थ थे. मानवेन्द्र बचपन से पिता के साथ रहे. बताया कि मंदसौर में गांधी सागर डैम के बारे में उन्होंने सुना था, वहां गया तो देखा काफी संख्या में मछली पालन किया जा रहा है. वहां से सीखने के बाद उन्होंने भिंड में मछली पालन शुरू किया.
ऐसे शुरुआत कर सकते हैं
बायोफ्लॉक मछली पालन की आधुनिक तकनीक है. इसमें टैंकों में मछली पाली जाती है. टैंकों में मछलियां जो वेस्ट निकालती है, उसको बैक्टीरिया के द्वारा प्यूरीफाई किया जाता है. यही बैक्टीरिया मछली के 20 प्रतिशत मल को प्रोटीन में बदल देता है. मछली इस प्रोटीन को खा लेती है. इसे शुरू करने के लिए आपको सबसे पहले बायोफ्लॉक के लिए टैंक का निर्माण करना होगा. बायॉफ्लोक पानी का निर्माण करना, मछली के बीज का चुनाव करना, बायोफ्लॉक टैंक में मछली बीज डालने की संख्या, बायोफ्लॉक टैंक में मछली डालने का समय मछली की देखभाल करना, पानी की गुणवत्ता चेक करना, मछली निकालने का समय इन सबके बारे में जानकारी होना जरूरी है.
बायोफ्लॉक मछली पालन की आधुनिक तकनीक है. इसमें टैंकों में मछली पाली जाती है. टैंकों में मछलियां जो वेस्ट निकालती है, उसको बैक्टीरिया के द्वारा प्यूरीफाई किया जाता है. यही बैक्टीरिया मछली के 20 प्रतिशत मल को प्रोटीन में बदल देता है. मछली इस प्रोटीन को खा लेती है. इसे शुरू करने के लिए आपको सबसे पहले बायोफ्लॉक के लिए टैंक का निर्माण करना होगा. बायॉफ्लोक पानी का निर्माण करना, मछली के बीज का चुनाव करना, बायोफ्लॉक टैंक में मछली बीज डालने की संख्या, बायोफ्लॉक टैंक में मछली डालने का समय मछली की देखभाल करना, पानी की गुणवत्ता चेक करना, मछली निकालने का समय इन सबके बारे में जानकारी होना जरूरी है.
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