. प्रसिद्ध साहित्यकार मंज़ूर एहतेशाम हमारे बीच नहीं रहे. उनका इंतकाल हो गया. साहित्य सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया था. उनका जाना साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है.
मंज़ूर एहतेशाम का भोपाल से नाता था. उनका जन्म यहां 3 अप्रैल 1948 को हुआ था. वो बड़े कहानीकार और साहित्यकार थे. मंजूर साबह की शिक्षा देश के प्रतिष्ठित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हुई. साल 1976 में उनका पहला उपन्यास 'कुछ दिन और' प्रकाशित हुआ. हालांकि, उससे 3 साल पहले 1973 में उनकी पहली कहानी रमजान की मौत प्रकाशित हो चुकी थी. मंजूर साहब के बशारत मंज़िल और पहल ढलते कई कहानियों और उपन्यास में से दो ऐसे उपन्यास थे जो उनके अपने शहर भोपाल से वास्ता रखते थे. इन दोनों उपन्यासों में उन्होंने नवाबी दौर के बाद भोपाल की बदलती परंपराओं पर फोकस था.
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FIRST PUBLISHED : April 26, 2021, 11:03 IST