BHOPAL : ....तो क्या MP विधानसभा में फिर टूटेगी ये परंपरा,बजट सत्र पर टिकीं सबकी निगाहें

MP विधानसभा का बजट सत्र 22 फरवरी से है.
BHOPAL : मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र (Budget session) 22 फरवरी से शुरू हो रहा है यह माना जा रहा है कि सत्र के पहले दिन ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: January 25, 2021, 5:12 PM IST
भोपाल.22 फरवरी से शुरू हो रहे मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र (Budget session) में क्या अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव की परंपरा एक बार फिर टूट जाएगी ? बीजेपी (BJP) नेताओं की ओर से आ रहे बयानों को देखते हुए कुछ ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव की परंपरा कमलनाथ और दिग्विजय के घमंड ने तोड़ा था और अब इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा. इसके सीधे मायने यह निकाले जा रहे हैं कि बीजेपी उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस या विपक्ष को देने के मूड में नहीं है.
क्या है परंपरा ?
2018 से पहले तक मध्य प्रदेश विधानसभा में यह परंपरा रही थी कि विधानसभा में अध्यक्ष का पद सत्ता पक्ष के और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के खाते में रहता था. लेकिन 2018 में बनी कमलनाथ सरकार के दौरान यह परंपरा टूट गई. तब अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस के सीनियर विधायक एनपी प्रजापति चुने गए और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष में रही बीजेपी को देने के बजाय, कांग्रेस के ही खाते में गया. तब कांग्रेस की विधायक हिना कांवरे उपाध्यक्ष चुनी गई थीं.
कांग्रेस को जवाब देने के मूड में बीजेपी
अब एक बार फिर विधानसभा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया जाना है. इस बार सत्ता में बीजेपी है और विपक्ष में कांग्रेस. संख्या बल के लिहाज से अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पद पर अगर बीजेपी अपने उम्मीदवार खड़े करेगी तो वह दोनों जीत दर्ज करेंगे.अध्यक्ष के तौर पर तो बीजेपी का उम्मीदवार खड़ा होना स्वाभाविक है लेकिन उपाध्यक्ष के लिए भी बीजेपी की ओर से उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा के बयान से इस बात के संकेत साफ मिल गए हैं. ऐसे में संख्या बल के लिहाज से उपाध्यक्ष का पद भी बीजेपी के ही खाते में रहेगा.
क्या है परंपरा ?
2018 से पहले तक मध्य प्रदेश विधानसभा में यह परंपरा रही थी कि विधानसभा में अध्यक्ष का पद सत्ता पक्ष के और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के खाते में रहता था. लेकिन 2018 में बनी कमलनाथ सरकार के दौरान यह परंपरा टूट गई. तब अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस के सीनियर विधायक एनपी प्रजापति चुने गए और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष में रही बीजेपी को देने के बजाय, कांग्रेस के ही खाते में गया. तब कांग्रेस की विधायक हिना कांवरे उपाध्यक्ष चुनी गई थीं.
अब एक बार फिर विधानसभा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया जाना है. इस बार सत्ता में बीजेपी है और विपक्ष में कांग्रेस. संख्या बल के लिहाज से अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पद पर अगर बीजेपी अपने उम्मीदवार खड़े करेगी तो वह दोनों जीत दर्ज करेंगे.अध्यक्ष के तौर पर तो बीजेपी का उम्मीदवार खड़ा होना स्वाभाविक है लेकिन उपाध्यक्ष के लिए भी बीजेपी की ओर से उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा के बयान से इस बात के संकेत साफ मिल गए हैं. ऐसे में संख्या बल के लिहाज से उपाध्यक्ष का पद भी बीजेपी के ही खाते में रहेगा.