भोपाल. मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की व्यवस्था को लेकर तस्वीर साफ हो गई है. महापौर को सीधे जनता चुनेगी जबकि नगर पालिका नगर परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव पार्षद करेंगे. यानि महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष और अध्यक्ष उपाध्यक्ष का अप्रत्यक्ष प्रणाली से होगा. राज्य सरकार के अध्यादेश को राजभवन ने मंजूरी दे दी है.
निकाय चुनाव के तरीके को लेकर छाया कुहासा छट गया है. मध्य प्रदेश में सीधे जनता अपने महापौर को चुनेगी. यानि महापौर का चुनाव जनता के वोट करेंगे. लेकिन नगर पालिका नगर परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के जरिए किया जाएगा.
राज्यपाल से मिले सीएम
राज्य सरकार के अध्यादेश को मंजूरी दिलाने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आज राज्यपाल मंगू भाई छगन भाई पटेल से मुलाकात की और अध्यादेश को मंजूरी देने का अनुरोध किया था. उसके बाद राज्यपाल ने अध्यादेश को मंजूर कर दिया है. राज्यपाल की मंजूरी के बाद गजट नोटिफिकेशन किया जाएगा. गजट नोटिफिकेशन के बाद प्रस्ताव राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा. नई व्यवस्था के तहत राज्य निर्वाचन आयोग नगरीय निकाय चुनाव कराएगी.
बीच का रास्ता
राज्य सरकार ने पहले तय किया था कि महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष उपाध्यक्ष का चुनाव सीधे तौर पर कराया जाए. लेकिन पार्टी के अंदर इस व्यवस्था को लेकर विरोध था. इसलिए अब बीच का रास्ता निकाला गया है. यानि नगर निगम में महापौर के चुनाव की व्यवस्था अलग होगी और नगर पालिका नगर परिषद पंचायत में चुनाव की व्यवस्था अलग होगी.
सत्ता संगठन में मतभेद
मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव किस व्यवस्था के तहत हों इस पर बीजेपी सरकार और संगठन की अलग-अलग राय थी. यही कारण था कि एक बार अध्यादेश राजभवन भेजे जाने के बाद सरकार ने उसे वापस ले लिया था और अब नए अध्यादेश के तहत नई व्यवस्था को लागू किया जा रहा है. मतलब साफ है कि अब निकाय चुनाव में महापौर का चुनाव जनता करेगी और नगर पालिका नगर परिषद में चुनाव में अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करेंगे.
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