होम /न्यूज /मध्य प्रदेश /Navratri 2023: भोपाल में हैं कर्फ्यू वाली माता...जानें 41 साल पुराने मंदिर का रोचक इतिहास

Navratri 2023: भोपाल में हैं कर्फ्यू वाली माता...जानें 41 साल पुराने मंदिर का रोचक इतिहास

X
कर्फ्यू

कर्फ्यू वाली माता मंदिर भोपाल

Bhopal News: भोपाल में 41 साल पुराना देवी मंदिर है, जिसे कर्फ्यू वाली माता के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि में यहां भक ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: अभिषेक त्रिपाठी

भोपाल: 41 साल पहले वर्ष 1982 में पुराना शहर में कई दिनों तक कर्फ्यू के साए में था. इस कर्फ्यू के बाद धूमधाम से चौक पर मां भवानी की स्थापना हुई थी. यही वजह है की पीरगेट चौराहे पर स्थित देवी मंदिर कर्फ्यू वाली माता के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है.

भोपाल के इमामी गेट से मोती मस्जिद की तरफ जाने वाले मुख्य मार्ग पर बने इस मंदिर के प्रति शहर व आसपास के लोगों में अटूट आस्था है. यहां सुबह से ही भक्त माता के दर्शन के लिए जुटने लगते हैं. नवरात्रि के अवसर पर यहां भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है.

कर्फ्यू वाली माता मंदिर का इतिहास
साल 1982 में सोमवारा के पीरगेट चौराहे के पास चबूतरे पर आश्विन मास की नवरात्रि पर जयपुर से लाकर माता की मूर्ति स्थापित की गई थी. यहां नवरात्र में माता की झांकी बैठती थी. झांकी के सामने माता रानी की प्रतिमा स्थापना को लेकर 1982 में विवाद हो गया. विवाद इतना बढ़ा कि यहां प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा. एक महीने तक यहां कर्फ्यू लगा रहा, उसके बाद यहां प्रतिमा की स्थापना हुई और मंदिर का निर्माण हुआ. तब से इस मंदिर को कर्फ्यू वाली माता के नाम से जाना जाता है. यहां मंदिर निर्माण की भूमिका बाबूलाल माली (सैनी) एवं पुजारी पंडित श्रवण अवस्थी ने बनाई थी.

दो अखंड ज्योत जलती हैं यहां
यहां सदैव घी एवं तेल की दो अखंड ज्योत जलती हैं. इसके लिए छह माह में 45 लीटर तेल एवं 45 लीटर घी लगता है. नवरात्र के दौरान यहां विशाल भंडारा भी होता है. इसमें शहर के अलावा बड़ी संख्या में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी शामिल होते हैं.

सुबह 5 बजे खुलता है पट
सुबह पांच बजे मंदिर का पट खुल जाता है. माता की पहली आरती सुबह साढ़े छह बजे होती है. सुबह नौ बजे दूसरी आरती होती है. और दोपहर 12:30 बजे मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं, जो शाम साढ़े चार बजे पुन: खोले जाते हैं. नवरात्रि के अवसर पर रात 12 बजे तक लोग दर्शन करने के लिए आते रहते हैं. मंदिर समिति के प्रमोद नेमा बताते हैं कि मंदिर का इतिहास रोचक है.

मन्नत पूरी होने पर यथा योग्य चढ़ावा
माता के दरबार से शहर के लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है. यहां मन्नत मांगने वाले माता के चरणों में अर्जी लगा जाते हैं. इसके अलावा कलावा भी बांधकर जाते हैं. मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु यथा योग्य चढ़ावा भी चढ़ाते हैं. सुरक्षा के लिए सीसीटीवी लगे हुए हैं.

Tags: Bhopal news, Chaitra Navratri, Mp news

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें