प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj government) खुद यह मानकर चल रही है कि कोरोना आपदा की वजह से हुए लॉक डाउन (lockdown) से प्रदेश की अर्थव्यवस्था (economy) पर बुरा असर पड़ा है. इसे पटरी पर लाने के लिए सरकार अपने स्तर पर काम करने के साथ-साथ जाने-माने अर्थशास्त्रियों से भी सलाह ले रही है
भोपाल.कोरोना आपदा (corona) के बाद मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में बड़े आर्थिक संकट (Economic Crisis) की आहट सुनाई दे रही है. अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर इस संकट में केंद्र की ओर से मदद नहीं मिली तो सरकार की माली हालत काफी खराब हो सकती है. अर्थव्यवस्था (Economy) को पटरी पर बनाए रखने के लिए सरकार की ओर से कोशिश जरूर की जा रही हैं लेकिन क्या यह उतनी कारगर साबित हो पाएंगी अभी कह पाना मुश्किल है.
मुश्किल वक्त है
आर्थिक मामलों के जानकार बता रहे हैं कि प्रदेश में कोरोना के बाद राजस्व में 30% तक की कमी आ सकती है. यह कुल राजस्व की करीब 26 हजार करोड़ रुपए राशि होगी. ऐसे में आर्थिक मामलों के जानकार प्रदेश सरकार को केंद्र की ओर से करीब एक लाख करोड रुपए के विशेष पैकेज की जरूरत बता रहे हैं. अगर यह पैकेज केंद्र से नहीं मिला तो फिर सरकार पूरी तरह बाजार के भरोसे आ सकती है और तब वित्तीय स्थिति को संभालना ज्यादा मुश्किल होगा.
सरकार ने माना आर्थिक स्थिति खराब
प्रदेश की शिवराज सरकार खुद यह मानकर चल रही है कि कोरोना आपदा की वजह से हुए लॉक डाउन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है. इसे पटरी पर लाने के लिए सरकार अपने स्तर पर काम करने के साथ-साथ जाने-माने अर्थशास्त्रियों से भी सलाह ले रही है ताकि कोई ऐसा बिजनेस प्लान बनाया जा सके. उसके ज़रिए आर्थिक नुकसान को कम करने में मदद मिले.
एक्सपर्ट का क्या कहना है ?
जानेमाने अर्थशास्त्री प्रोफेसर रथिन राय ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए कृषि, पशुपालन के साथ कंस्ट्रक्शन के काम शुरू करने पड़ेंगे. प्रदेश में अलग अलग काम के लिए करीब 1 लाख करोड़ रूपए की केंद्रीय ग्रांट की जरूरत होगी. कोरोना संकट के कारण प्रदेश के राजस्व में 25 से 30 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. अर्थशास्त्री सुमित बोस के मुताबिक अगर केंद्र सरकार से ग्रांट नहीं मिलती है तो बाजार ही सहारा रह जाएगा. तब आर्थिक स्थिति संभालना मुश्किल होगा. अर्थशास्त्री ए.पी. श्रीवास्तव के मुताबिक शहरी गरीबों को रोजगार देना आने वाले वक्त में सरकार की बड़ी जिम्मेदारी होगी. छोटे व्यवसायियों को अपना व्यापार खड़ा करने के लिए राज्य सरकार से अनुदान की जरूरत पड़ेगी. इस बार लगभग 26 हजार करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान अनुमानित हैं. अर्थशास्त्री प्रो. गणेश कुमार के मुताबिक बैंकों से पैसा लेने के लिए छोटे व्यापारियों को उन्हें सबस्टेन्शियल गारंटी देना होगी.
राज्य सरकार की आर्थिक सहायता
एमपी सरकार ने फिलहाल कोरोना के कारण घोषित आर्थिक पैकेज में अभी 46 लाख अलग-अलग पेंशनधारियों को दो महीने की पेंशन का एडवांस भुगतान किया है. 8 लाख 50 हजार मजदूरों को 01 हजार रूपए की सहायता राशि उनके खातों में भेजी जा रही है. राज्य सरकार के सरकारी कर्मचारियों को 50 लाख रूपए का बीमा कवर भी दिया गया है. इन सब ज़िम्मेदारियों को देखते हुए सरकार अब अपने खर्चो में कटौती कर रही है.
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