भोपाल. राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में पार्टी के लिए तय किए गए 10 बड़े सुधारों में से दो उल्लेखनीय सुधार क्या एमपी में कांग्रेस के गले की हड्डी बन रहे हैं. एक परिवार में केवल एक टिकट के साथ 50 फीसदी टिकट 50 साल के कम उम्र के लोगों को देने का फैसला पार्टी ने किया है. लेकिन संगठन की मंशा के मुताबिक ये दोनों फैसले क्या पार्टी में नीचे तक पहुंच पाएंगे. सवाल नेता पुत्रों के सियासी भविष्य का है. ऐसे में क्या कोई बीच का रास्ता निकाल लिया गया है. खासतौर से उस मध्य प्रदेश में जहां दिग्गज नेताओं के पुत्र खुद मंत्री और सांसद बन चुके हों.
उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में कई सख्त फैसले भी लिए गए हैं.10 ऐसे सुधार जिसमें उम्रदराज इस पार्टी में सिरे से बड़े बदलाव की तैयारी है. लेकिन सवाल ये है कि क्या कांग्रेस की प्रदेश इकाइयां ऐसे कायान्तरण से गुज़र पाएंगी. पार्टी में एक परिवार एक टिकट का फैसला, एमपी जैसे राज्य में किस तरह से लागू होगा जहां सदन से लेकर संगठन तक बड़े नेता पुत्रों की भरमार हो. क्या यही वजह है कि पार्टी में बीच का रास्ता निकाल कर आगे बढ़ा गया है. पीसीसी चीफ कमलनाथ के मुताबिक जो राजनीति में पहले से हैं उन पर ये नया नियम लागू नहीं होगा.
पचास पार के हाथ में कमान
बीजेपी का सवाल भी यही कि गांधी परिवार से लेकर एमपी में कांग्रेस के कर्णधारों तक क्या परिवारवाद रोकने का ये फॉर्मूला इन परिवारों पर लागू होगा. एमपी में कांग्रेस के लिए दूसरी चुनौती पचास फीसदी टिकट 50 साल से कम उम्र के लोगों यानि युवाओं को देने की है. इस पर बीजेपी का तंज है कि पार्टी की कमान जिनके हाथ में वो सारे नेता पचास पार के हैं.
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मध्य मार्ग क्यों!
अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस अगर वाकई सुधार की तरफ बढ़ रही है तो सख्त फैसलों में बीच का रास्ता निकालने की गुंजाइश या कोशिश क्यों होनी चाहिए. क्या मध्यमार्ग निकालकर कांग्रेस अपने खोए मुकाम तक पहुंच पाएगी.
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