मध्यप्रदेश में महिला विरोधी अपराध बढ़े
मध्यप्रदेश महिला विरोधी अपराध की राज्य बनता जा रहा है. सरकारी आंकड़े महिलाओं को डरा रहे हैं. आंकड़े कह रहे हैं कि 3 महीने में प्रदेश में गैंगरेप की 95 वारदातें हुईं. इनमें से 49 में रेप के बाद पीड़ित की हत्या कर दी गयी.
शांति का टापू कहलाने वाले एमपी में बच्चियों से लेकर बुज़ुर्ग महिलाएं तक असुरक्षित हो गयी हैं. क्या एमपी पुलिस महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो रही है. ये सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है, क्योंकि आंकड़े बता रहे हैं कि सूबे में बच्चियों से लेकर महिलाएं तक सुरक्षित नहीं हैं. ये चौंकाने वाली जानकारी गृह विभाग की एक रिपोर्ट में सामने आई है. सिर्फ तीन महीने के आंकड़े बता रहे हैं कि प्रदेश महिलाओं के लिए कितना असुरक्षित हो गया है. नवंबर 2017 से लेकर फरवरी 2018 के तीन महीने में 62 महिलाओं और 33 बच्चियों के साथ गैंगरेप के मामले दर्ज हुए. गैंगरेप के बाद 43 महिलाओं और 6 बच्चियों की हत्या कर दी गयी. महिलाओं को ज़िंदा जलाने के 10 मामले दर्ज हुए हैं
हैरत की बात ये है कि ये तब हो रहा है जब मध्यप्रदेश में महिला विरोधी अपराध में कमी लाने के लिए महिला अपराध शाखा का गठन किया गया है. ऐसा करने वाला वो देश का पहला राज्य है. इसमें चार ज़ोनल पुलिस महानिरीक्षक भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में तैनात किए गए हैं. सरकार ने महिला शिकायत के लिए महिला डेस्क और महिला हेल्प लाइन नंबर 1090 बनाया है. महिला सुरक्षा के लिए सरकार ने सार्वजनिक जगहों पर सीसीटीवी कैमरा लगाने की बात कही है. बावजूद इसके महिलाएं लगातार इस जघन्य अपराध की शिकार हो रही हैं.
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