आपके लिए इसका मतलब: क्या रीवा के 'व्हाइट टाइगर' जैसे खरे उतरेंगे विंध्य के ये शेर?

Bhopal News: मप्र विधानसभा में विंध्य क्षेत्र के नेता को स्पीकर बनाने की चर्चाओं से 'व्हाइट टाइगर' कहे जाने वाले श्रीनिवास तिवारी की यादें ताजा हो गईं. (फाइल फोटो)
श्रीनिवास तिवारी (Shrinivas Tiwari) के बारे में कहा जाता था कि विंध्य अंचल को लेकर कोई भी नीति, निर्णय या नियुक्ति न तो इस 'व्हाइट टाइगर' की मुहर के बिना होती थी और न ही राजनीति का कोई कदम तय होता था. वर्तमान में जिन नेताओं का नाम स्पीकर पद के रूप में लिया जा रहा है, उनमें से वैसी काबलियत रखने वाला नहीं दिखता.
- News18Hindi
- Last Updated: January 25, 2021, 8:50 PM IST
भोपाल. मध्य प्रदेश के सियासी और मीडिया के गलियारों में यह खबर तेजी से चल रही है कि इस बार विधानसभा (MP Assembly) का अध्यक्ष विंध्य क्षेत्र से होगा. भाजपा के वरिष्ठ विधायक गिरीश गौतम या केदारनाथ शुक्ला में से किसी एक को यह कुर्सी मिलने वाली है. जल्द ही नाम पर मुहर लगा दी जाएगी. इन खबरों के सुर्खियों में आने के साथ बरबस ही याद आ गई सूबे की राजनीति में 'सफेद शेर' (White Tiger) के नाम से विख्यात रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. श्रीनिवास तिवारी (Shrinivas Tiwari) की. वो वर्ष 1993 से 2003 की अवधि में दस साल तक विधानसभा अध्यक्ष रहे और एक सर्वशक्तिमान नेता के रूप में प्रतिष्ठित रहे.
एक ऐसे नेता, जिनके बारे में कहा जाता था कि पूरे मध्य प्रदेश के बारे में तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार चाहे जो फैसला करे, लेकिन विंध्य अंचल को लेकर कोई भी नीति, नियुक्ति या निर्णय न तो इस 'व्हाइट टाइगर' की मुहर के होती थी और न ही राजनीति के बारे में कोई कदम तय होता था. वर्तमान में जिन नेताओं का नाम इस पद के लिए लिया जा रहा है, उनमें से किसी में से उन जैसी दृढ़ता और काबलियत नहीं दिखती.
मध्य प्रदेश की पहली विधानसभा के अध्यक्ष पं. कुंजीलाल दुबे के सबसे लंबे 20 साल के कार्यकाल के बाद इस पद पर सबसे लंबा 10 साल का समय बिताने वाले दो ही नेता हुए हैं. एक श्रीनिवास तिवारी और दूसरे भाजपा के ईश्वर दास रोहाणी. तिवारी विंध्य क्षेत्र से इकलौते ऐसे नेता रहे, जो 10 साल तक इस पद पर रहे. अब पूरे 17 साल बाद विंध्य के किसी नेता को इस गरिमामयी पद को सुशोभित करने का मौका मिलने वाला है, तो मन में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इनमें से किसी में भी श्रीतिवारी जितनी सत्ता में पकड़ है या सबको साधने, साथ लेकर चलने की राजनीतिक प्रतिभा है?
एक ऐसे नेता, जिनके बारे में कहा जाता था कि पूरे मध्य प्रदेश के बारे में तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार चाहे जो फैसला करे, लेकिन विंध्य अंचल को लेकर कोई भी नीति, नियुक्ति या निर्णय न तो इस 'व्हाइट टाइगर' की मुहर के होती थी और न ही राजनीति के बारे में कोई कदम तय होता था. वर्तमान में जिन नेताओं का नाम इस पद के लिए लिया जा रहा है, उनमें से किसी में से उन जैसी दृढ़ता और काबलियत नहीं दिखती.
मध्य प्रदेश की पहली विधानसभा के अध्यक्ष पं. कुंजीलाल दुबे के सबसे लंबे 20 साल के कार्यकाल के बाद इस पद पर सबसे लंबा 10 साल का समय बिताने वाले दो ही नेता हुए हैं. एक श्रीनिवास तिवारी और दूसरे भाजपा के ईश्वर दास रोहाणी. तिवारी विंध्य क्षेत्र से इकलौते ऐसे नेता रहे, जो 10 साल तक इस पद पर रहे. अब पूरे 17 साल बाद विंध्य के किसी नेता को इस गरिमामयी पद को सुशोभित करने का मौका मिलने वाला है, तो मन में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इनमें से किसी में भी श्रीतिवारी जितनी सत्ता में पकड़ है या सबको साधने, साथ लेकर चलने की राजनीतिक प्रतिभा है?
सफेद शेर की शख्सियत ही कुछ ऐसी थी
श्रीनिवास तिवारी की राजनीतिक शख्सियत का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है, जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, तो खुद पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह उनसे सलाह लेने, उनसे मिलने जाया करते थे. केवल कांग्रेस ही नहीं, विपक्षी पार्टी भाजपा के नेता भी उन्हें राजनीतिक सलाहकार मानते थे. मुख्यमंत्री रहते हुए दिग्विजय सिंह के पास विंध्य का कोई नेता काम लेकर पहुंचता, तो वो कहते थे, बाकी पूरे मध्य प्रदेश का कोई काम तो मैं कर दूंगा, लेकिन विंध्य के बारे में श्रीनिवास तिवारी जी से बात किए बगैर कुछ नहीं करूंगा. विपक्षी भी तंज किया करते थे, विंध्य में तो 'व्हाइट टाइगर' की सत्ता चलती है, दिग्विजय तो बाकी राज्य के सीएम हैं. विंध्य के सारे नियम-कायदे उन्हीं के हिसाब से तय होते हैं, उनकी इजाजत के बिना राजनीति का कोई पत्ता नहीं खड़कता.