Bhopal News: बीजेपी नेत्री उमा भारती के टीकमगढ़ से शराबबंदी अभियान शुरू करने की घोषणा से शिवराज सरकार की मुश्किलें बढ़ीं. (फाइल फोटो)
Explainer: टीकमगढ़ में अपने गांव से शराबबंदी का अभियान शुरू करने उमा भारती (Uma Bharti) के ऐलान ने शिवराज सरकार (Shivraj Govt) को सांसत में डाल दिया है. सरकार को उमा सहित अपनी ही पार्टी के नेताओं, विपक्षियों और जनता के विरोध का सामना करना पड़ सकता है.
- News18Hindi
- Last Updated:
January 28, 2021, 5:43 PM IST
भोपाल. मध्य प्रदेश में भाजपा की शिवराज सिंह सरकार (Shivraj Government) भले ही राज्य में शराब दुकानों (Liquor Shops) की संख्या बढ़ाने के विचार पर किसी नतीजे पर न पहुंची हो, लेकिन भाजपा की वरिष्ठ नेत्री सुश्री उमा भारती (Uma Bharti) ने शराब दुकानों को बंद करने के लिए टीकमगढ़ से अभियान चलाने के ऐलान ने सरकार को सांसत में जरूर डाल दिया है. उनके और कुछ अन्य नेताओं के विरोध के बाद नई शराब दुकानें खोलने का फैसला करना सरकार के लिए अब आसान तो बिल्कुल भी नहीं होगा.
सियासत में उमा भारती की छवि एक जिद्दी, हठी और धुनी नेता की है. वह खुद इस बात को मानती भी हैं कि जो ठान लेती हैं, वह करके रहती हैं. हाल ही एक निजी बुंदेलखंडी भाषायी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, 'मुझसे जो कहा जाता है, या मैं जो ठान लेती हूं, वह करके दिखाती हूं. अब मैं जनजागरण के माध्यम से शराब के खिलाफ अभियान छेड़ने जा रही हूं. अपने इस अभियान की शुरुआत गृह जिले टीकमगढ़ से करूंगी.' उन्होंने कहा, 'सबसे पहले में मैं अपने 500 की आबादी वाले गृह ग्राम डूंडा की शराब दुकान बंद कराऊंगी, उसके बाद पूरे जिले की शराब दुकानें बंद करने के लिए अभियान छेड़ने वाली हूं. परिवार के मुखिया की शराबखोरी की आदत के कारण महिलाएं ज्यादा परेशान रहती हैं और मेरा विश्वास है कि उन सबका मुझे दुकानें बंद कराने में सहयोग मिलेगा.' विरोध के सवाल पर वह बोलीं कि 'देखती हूं, मेरा विरोध कौन करता है, एक 100 डंडी और एक बुंदेलखंडी वाली कहावत सुनी है न, जब मैं खड़ी होउंगी, तो देखेंगे सामने कौन आता है.'
गृह मंत्री ने किया था दुकानें बढ़ाने का ऐलान
बता दें कि मुरैना के जहरीली शराब कांड (Morena Poisonous Liquor Case) में 28 से ज्यादा मौतों की जांच के लिए बनी 4 लोगों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि शराब की दुकानों के बीच दूरी बहुत अधिक है. इसलिए शराब के अवैध कारोबारी मौका पा जाते हैं. इस मामले में पिछले दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में चर्चा के बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश में शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने का यह कहते हुए ऐलान कर दिया था, कि महाराष्ट्र में तो एक लाख की आबादी पर 24 शराब दुकानें हैं , जबकि मप्र में तो केवल 4 हैं. इस ऐलान के बाद कांग्रेस के आक्रामक होने और अपनी ही पार्टी में विरोध के स्वर उठने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कहना पड़ा कि सरकार ने नई शराब दुकानें खोलने के विचार पर कोई निर्णय नहीं लिया है. सभी पक्षों से बात कर तथा जनहित को ध्यान में रखकर ही कोई निर्णय लिया जाएगा.
गृह मंत्री ने किया था दुकानें बढ़ाने का ऐलान
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उमा ने खुलकर किया विरोध
उमा भारती ने 22 जनवरी को बुलाई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कहा था कि लॉकडाउन में महीनों शराब दुकानें बंद रहीं, लेकिन शराब नहीं पीने से कोई नहीं मरा. हां, शराब पीने से लोग जरूर मरते हैं. स्वस्थ समाज का निर्माण करने की जिम्मेदारी सरकार की है. मेरा स्पष्ट विचार है कि राज्य में शराब बंदी होना चाहिए, मैं अब शराबबंदी के लिए अभियान शुरू करूंगी, राजस्व आमदनी बढ़ाने के दूसरे उपाय भी हैं. यहां श्वेत क्रांति हो सकती, लेकिन लोगों की जान की कीमत पर धन की उगाही ठीक नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि शराब माफिया सरकार, अफसरों और चिंतकों को जकड़ लेता है. मैं मैदान में हूं, मुझे नहीं लगता की शराबबंदी नहीं हो सकती. यहां यह भी बता दें कि उमा भारती वो शख्सियत हैं जो पहले भी सोशल मीडिया के माध्यम से मप्र सहित भाजपा शासित राज्यों में शराबबंदी करने का सुझाव दे चुकी है. अब वह इस सामाजिक समस्या के खिलाफ अपने गृह जिले टीकमगढ़ से अभियान शुरू करने जा रही हैं.
उमा ने खुलकर किया विरोध
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आय का सबसे बड़ा साधन
बता दें कि मध्य प्रदेश की माली हालत ठीक नहीं है. खर्चे चलाने के लिए राज्य सरकार कर्ज पर कर्ज लिए जा रही है. उसकी भी सीमा है. वैसे भी GST आने के बाद राज्यों की आय के अधिकांश स्रोत छिन गए हैं. ऐसे में शराब और पेट्रोल-डीजल ही बचे हैं, जिनसे सरकार कमा सकती है . राज्य सरकारों की राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत आबकारी विभाग के द्वारा नीलाम किए जाने वाले ठेकों से होने वाली आय है. कोरोना संक्रमण के प्रारंभ होते ही वर्ष 2020 में मार्च और अप्रैल माह में बड़ा नुकसान हुआ था. आबकारी विभाग ने मार्च 2020 में 1995 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा था, लेकिन इस दौरान 1342 करोड़ रुपये का राजस्व ही प्राप्त हुआ. यानी 653 करोड़ रुपये की राजस्व की प्राप्ति के लक्ष्य की तुलना में कमी आई. इसी तरह अप्रैल 2020 के लिए 1150 करोड़ रुपये राजस्व के लक्ष्य के विपरीत महज 121 करोड़ रुपये का राजस्व ही प्राप्त हो सका. अप्रैल महीने में आबकारी विभाग को 1029 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ. शराब की बिक्री नहीं होने से इस पर लगने वाले वैट की धनराशि भी विभाग को नहीं मिल पाई उससे भी आय में नुकसान हुआ. मार्च और अप्रैल में कुल मिलाकर 118.69 करोड़ रुपये का राजस्व वैट के जरिए प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. इसका भी नुकसान उठाना पड़ा.
आय का सबसे बड़ा साधन
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क्या चाहती है शिवराज सरकार
गौरतलब है कि प्रदेश में शराब की देसी 2544 और विदेशी शराब की 1061 दुकानें हैं. सरकार मुरैना के जहरीली शराब कांड से पहले से ही इस चिंता में डूबी थी कि शराब से कैसे कमाई बढ़ाई जाए. ऑनलाइन शराब बिक्री करने का विचार इसी का एक फंडा था. इस बीच मुरैना का कांड हो गया, तब अवैध शराब की बिक्री को रोकने के लिए नई शराब दुकानें खोलने का रास्ता सुझाया गया.
क्या चाहती है शिवराज सरकार
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सवाल- अब आगे क्या होगा
बता दें कि जिस तरह शराब बंदी को लेकर उमा भारती के तेवर हैं, उन्हें देखते हुए सरकार भले ही पुरानी शराब दुकानें बंद करे, लेकिन नई शराब दुकानें खोलने के लिए उसे दस मर्तबा सोचना पड़ेगा, क्योंकि उमा के साथ विपक्षी दलों और जनता की खिलाफत का सामना सरकार को करना पड़ सकता है. (डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं.)
सवाल- अब आगे क्या होगा
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