Loksabha Elections 2019: एमपी के महानगरों में कमलनाथ के भरोसे कांग्रेस!

फाइल फोटो
कांग्रेस को लगता है कि विधानसभा चुनाव के नतीजे और पिछले दो महीनों में कमलनाथ सरकार के निर्णयों का लाभ लोकसभा में मिलेगा
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: March 19, 2019, 3:44 PM IST
मध्यप्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस को लोकसभा चुनाव के लिए चेहरे तलाशने में पसीने छूट रहे हैं. प्रदेश के चार महानगरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में जीत का मिथक तोड़ने के लिए हाईकमान ने सीएम कमलनाथ पर भरोसा जताया है. कहा जा रहा है कि कमलनाथ का चेहरा आगे कर प्रत्याशियों को पार्टी मैदान में उतरेगी. कांग्रेस को लगता है कि विधानसभा चुनाव के नतीजे और पिछले दो महीनों में कमलनाथ सरकार के निर्णयों का लाभ लोकसभा में मिलेगा.
प्रदेश में कांग्रेस के पास सीएम कमलनाथ एकलौता ऐसा चेहरा हैं, जिनके दम पर हाईकमान बीजेपी के किलो को भेदना चाहती है. विधानसभा चुनाव के नतीजे और कम समय में सरकार के निर्णायक फैसले को भी इस चुनाव में भुनाने की पूरी कोशिश है.
यह पढ़ें- महिला पुलिस कर्मियों का दर्द: भोपाल में 43 थाने, 37 में नहीं है टॉयलेट
महानगरों में बीजेपी की स्थिति-1989 से भोपाल और इंदौर लोकसभा पर बीजेपी का कब्जा है. जबलपुर लोकसभा पर कांग्रेस को 1996 से और ग्वालियर में 2009 से जीत नसीब नहीं हुई है. दस से लेकर 30 सालों से महानगरों पर बीजेपी का कब्जा बरकरार है. बीजेपी के गढ़ बन चुके भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर संसदीय क्षेत्रों को इस बार किसी भी तरह से कांग्रेस भेदना चाह रही है.
कांग्रेस का दावा है कि चीजें बदल रही है, क्योंकि जनता कमलनाथ सरकार के पिछले दो माह में लिए गए निर्णयों की तुलना शिवराज की घोषणाओं से करने लगी है. युवाओं, किसानों और महिलाओं के लिए गए निर्णय से इस बार नतीजों पर फर्क पड़ेगा.
ये बन रहा समीकरण
-इंदौर में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को बीजेपी फिर से मैदान में उतारने जा रही है. यहां कांग्रेस के पास ऐसा कोई नाम नहीं है जो ताई को टक्कर दे सके.
-इंदौर की ही तरह भोपाल संसदीय सीट को भी बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जा रहा है. यहां पर भी कांग्रेस के पास जिताऊ उम्मीदवार का टोटा है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भोपाल से चुनाव लड़ने की चर्चा है.
-जबलपुर और ग्वालियर संसदीय सीट पर भी कांग्रेस के पास जिताऊ प्रत्याशी का टोटा है.
महानगरों में कांग्रेस के पास जिताऊ उम्मीदवारों का टोटा है. यही वजह है कि इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और भोपाल लोकसभा सीट पर दिग्गज नेताओं को उतारने का कांग्रेस ने मन बनाया है. भोपाल से दिग्विजय सिंह के नाम की चर्चा है, तो दूसरी सीटों पर भी बड़े कद के नेता की तलाश तेज हो गई है.
यह पढ़ें- कमलनाथ के मंत्री की सादगी का नमूना, बंगले के रेनोवेशन पर 50 लाख हो रहा खर्च!
प्रदेश में कांग्रेस के पास सीएम कमलनाथ एकलौता ऐसा चेहरा हैं, जिनके दम पर हाईकमान बीजेपी के किलो को भेदना चाहती है. विधानसभा चुनाव के नतीजे और कम समय में सरकार के निर्णायक फैसले को भी इस चुनाव में भुनाने की पूरी कोशिश है.
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महानगरों में बीजेपी की स्थिति-1989 से भोपाल और इंदौर लोकसभा पर बीजेपी का कब्जा है. जबलपुर लोकसभा पर कांग्रेस को 1996 से और ग्वालियर में 2009 से जीत नसीब नहीं हुई है. दस से लेकर 30 सालों से महानगरों पर बीजेपी का कब्जा बरकरार है. बीजेपी के गढ़ बन चुके भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर संसदीय क्षेत्रों को इस बार किसी भी तरह से कांग्रेस भेदना चाह रही है.
कांग्रेस का दावा है कि चीजें बदल रही है, क्योंकि जनता कमलनाथ सरकार के पिछले दो माह में लिए गए निर्णयों की तुलना शिवराज की घोषणाओं से करने लगी है. युवाओं, किसानों और महिलाओं के लिए गए निर्णय से इस बार नतीजों पर फर्क पड़ेगा.
ये बन रहा समीकरण
-इंदौर में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को बीजेपी फिर से मैदान में उतारने जा रही है. यहां कांग्रेस के पास ऐसा कोई नाम नहीं है जो ताई को टक्कर दे सके.
-इंदौर की ही तरह भोपाल संसदीय सीट को भी बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जा रहा है. यहां पर भी कांग्रेस के पास जिताऊ उम्मीदवार का टोटा है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भोपाल से चुनाव लड़ने की चर्चा है.
-जबलपुर और ग्वालियर संसदीय सीट पर भी कांग्रेस के पास जिताऊ प्रत्याशी का टोटा है.
महानगरों में कांग्रेस के पास जिताऊ उम्मीदवारों का टोटा है. यही वजह है कि इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और भोपाल लोकसभा सीट पर दिग्गज नेताओं को उतारने का कांग्रेस ने मन बनाया है. भोपाल से दिग्विजय सिंह के नाम की चर्चा है, तो दूसरी सीटों पर भी बड़े कद के नेता की तलाश तेज हो गई है.
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