एक घंटे तक प्रणय नृत्य करते हैं नर व मादा बिच्छू
रिपोर्ट : आदित्य तिवारी
भोपाल. बिच्छुओं का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में होता है. बिच्छुओं से तैयार किए गए तेल का इस्तेमाल आर्थराइटिस के इलाज में भी किया जाता है. ये जानकारियां विज्ञानी सुधीर कुमार जेना ने दीं. दरअसल, भोपाल में ‘नेशनल कांफ्रेंस ऑन केसर नोन स्पीशीज ऑफ मध्य प्रदेश’ विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई.
इस कार्यशाला में सुधीर जेना ने कहा कि बिच्छुओं के बारे में ज्यादा जानकारी न होने के कारण ही लोग इन्हें देखते ही मार देते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि कुछ प्रजातियों के बिच्छुओं को छोड़कर ज्यादातर बिच्छू जहरीले नहीं होते हैं. उन्होंने बताया कि एक्सपर्ट्स इन बिच्छुओं के संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं. यह कार्यशाला संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण को लेकर रविवार को आयोजित की गई थी.
सुधीर जेना ने बताया कि नर और मादा बिच्छू देखने में लगभग एक जैसे ही होते हैं. इस वजह से उनकी पहचान करना बहुत मुश्किल होता है. उन्होंने ने बताया कि नर और मादा बिच्छू मिलन से पहले प्रणय नृत्य करते हैं. इस दौरान नर बिच्छू अपने पद स्पर्शकों से मादा के पद स्पर्शकों को पकड़ लेता है. दोनों का मुख आमने-सामने होता है और पीछे का भाग ऊपर उठ जाता है. प्रणय से पूर्व नर बिच्छू पत्थर के नीचे बिल बनाता है, जिसमें दोनों धंस जाते हैं. प्रणय के बाद नर बिच्छू को अपनी जान गंवानी पड़ती है और मादा बिच्छू उसे खा जाती है.
इस कार्यशाला के पहले दिन बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की परवीन शेख ने राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में भारतीय स्कीमर के संरक्षण के कार्यों जानकारी दी. सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. शौमिता मुखर्जी ने जंगली छोटी बिल्लियों पर किए जा रहे शोध की जानकारी दी. प्रफुल्ल चौधरी एवं सेवाराम मालिक द्वारा भारतीय भेड़िये व डेविड राजू द्वारा मप्र में पाए जाने वाले सरीसृप की जानकारी दी गई. चंबल क्षेत्र में स्कीमर पर मंडरा रहे खतरे की विस्तारपूर्वक चर्चा की गई. संस्था के सहायक संचालक डा. सुरजीत नरवरे ने खरमोर पक्षी के संरक्षण की भी जानकारी दी.
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