बेनामी सम्पत्ति एक्ट: आदिवासी ड्राइवर के नाम से खरीदी उद्योगपति की जमीन राजसात

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मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में आयकर विभाग इन्वेस्टीगेशन विंग ने बेनामी सम्पत्ति कानून के तहत पहली बड़ी कार्रवाई करते हुए उद्योगपति पवन कुमार अहलूवालिया की सम्पत्ति राजसात कर ली है.
- ETV MP/Chhattisgarh
- Last Updated: May 26, 2017, 1:15 PM IST
मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में आयकर विभाग इन्वेस्टीगेशन विंग ने बेनामी सम्पत्ति कानून के तहत पहली बड़ी कार्रवाई करते हुए उद्योगपति पवन कुमार अहलूवालिया की सम्पत्ति राजसात कर ली है.
आयकर विभाग ने जब्त की 5 हेक्टेयर जमीन सतना जिले के मैहर तहसील के ग्राम मोर्जा भदनपुर में हैं, जिसकी कीमत करीब 8 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
आयकर सूत्रों के मुताबिक, अहलूवालिया ने आदिवासी समुदाय के अपने विश्वासपात्र सुन्दर कौल के नाम से जमीनों की खरीद-फरोख्त की थी.
कटनी जिले के विजय राघौगढ़ तहसील में आने वाले ग्राम देवरी निवासी सुन्दर कौल, मैहर में केजेएस सीमेंट प्लांट में ड्राइवर है. के.जे.एस.सीमेंट के डायरेक्टर और कमल स्पंज स्टील एंड पॉवर लिमिटेड के मालिक पवन कुमार अहलूवालिया को हाल ही में कोयला घोटाले में सीबीआई कोर्ट ने दो वर्ष जेल की सजा सुनाई है.बताया जा रहा है कि वर्ष 2012-13 में पवन कुमार अहलुवालिया ने सुन्दर कौल के नाम से सतना जिले के मैहर तहसील के ग्राम मोर्जा भदनपुर में सीमेंट प्लांट के पास ही आदिवासियों की 5 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी. यह सौदा करीब 7 करोड़ 80 लाख रुपए में हुआ था.
आयकर विभाग की इन्वेस्टीगेशन विंग ने जब इसकी जांच-पड़ताल की तो पता चला कि सुन्दर कौल के पास खुद का बैंक खाता तक नहीं है. बाद में सतना कलेक्टर और रीवा रेंज के आईजी को जांच के लिए लिखा गया था.
पूछताछ में सुंदर कौल ने बताया था कि जमीन उसकी नहीं है. कौल के बयान से साफ हो गया था कि यह जमीन पवन कुमार अहलूवालिया की ही है. कौल के बयान और पुख्ता दस्तावेजी सबूत मिलने के बाद आयकर विभाग ने चार दिन पहले अहलूवालिया की यह जमीन राजसात कर ली.
दरअसल, एमपी में नियम-कानून के तहत आदिवासियों की जमीन गैरआदिवासी वर्ग के लोग खरीद नहीं सकते.
-आदिवासियों की जमीन कोई आदिवासी ही खरीद सकता है.
-जमीन बेचने वाले आदिवासी को उस पैसे से एक निश्चित समय सीमा में जमीन या कोई दूसरी सम्पत्ति खरीदना अनिवार्य है.
-इसलिए उद्योगपति पवन कुमार अहलूवालिया ने अपने आदिवासी ड्राइवर सुन्दर कौल के नाम से आदिवासियों की जमीन खरीदी और खुद करोड़ों का भुगतान किया.
आयकर सूत्रों के मुताबिक जमीन राजसात होने भर से पवन कुमार अहलूवालिया की मुश्किलें खत्म नहीं हुई है. अहलूवालिया पर गैरकानूनी तरीके से प्रॉपर्टी खरीदने का मामला चलेगा. दोषी पाए जाने पर बेनामी सम्पत्ति एक्ट के तहत सात साल की सजा भी हो सकती है.
आयकर विभाग ने जब्त की 5 हेक्टेयर जमीन सतना जिले के मैहर तहसील के ग्राम मोर्जा भदनपुर में हैं, जिसकी कीमत करीब 8 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
आयकर सूत्रों के मुताबिक, अहलूवालिया ने आदिवासी समुदाय के अपने विश्वासपात्र सुन्दर कौल के नाम से जमीनों की खरीद-फरोख्त की थी.
कटनी जिले के विजय राघौगढ़ तहसील में आने वाले ग्राम देवरी निवासी सुन्दर कौल, मैहर में केजेएस सीमेंट प्लांट में ड्राइवर है. के.जे.एस.सीमेंट के डायरेक्टर और कमल स्पंज स्टील एंड पॉवर लिमिटेड के मालिक पवन कुमार अहलूवालिया को हाल ही में कोयला घोटाले में सीबीआई कोर्ट ने दो वर्ष जेल की सजा सुनाई है.बताया जा रहा है कि वर्ष 2012-13 में पवन कुमार अहलुवालिया ने सुन्दर कौल के नाम से सतना जिले के मैहर तहसील के ग्राम मोर्जा भदनपुर में सीमेंट प्लांट के पास ही आदिवासियों की 5 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी. यह सौदा करीब 7 करोड़ 80 लाख रुपए में हुआ था.
आयकर विभाग की इन्वेस्टीगेशन विंग ने जब इसकी जांच-पड़ताल की तो पता चला कि सुन्दर कौल के पास खुद का बैंक खाता तक नहीं है. बाद में सतना कलेक्टर और रीवा रेंज के आईजी को जांच के लिए लिखा गया था.
पूछताछ में सुंदर कौल ने बताया था कि जमीन उसकी नहीं है. कौल के बयान से साफ हो गया था कि यह जमीन पवन कुमार अहलूवालिया की ही है. कौल के बयान और पुख्ता दस्तावेजी सबूत मिलने के बाद आयकर विभाग ने चार दिन पहले अहलूवालिया की यह जमीन राजसात कर ली.
दरअसल, एमपी में नियम-कानून के तहत आदिवासियों की जमीन गैरआदिवासी वर्ग के लोग खरीद नहीं सकते.
-आदिवासियों की जमीन कोई आदिवासी ही खरीद सकता है.
-जमीन बेचने वाले आदिवासी को उस पैसे से एक निश्चित समय सीमा में जमीन या कोई दूसरी सम्पत्ति खरीदना अनिवार्य है.
-इसलिए उद्योगपति पवन कुमार अहलूवालिया ने अपने आदिवासी ड्राइवर सुन्दर कौल के नाम से आदिवासियों की जमीन खरीदी और खुद करोड़ों का भुगतान किया.
आयकर सूत्रों के मुताबिक जमीन राजसात होने भर से पवन कुमार अहलूवालिया की मुश्किलें खत्म नहीं हुई है. अहलूवालिया पर गैरकानूनी तरीके से प्रॉपर्टी खरीदने का मामला चलेगा. दोषी पाए जाने पर बेनामी सम्पत्ति एक्ट के तहत सात साल की सजा भी हो सकती है.