कमलनाथ सरकार एक 'वचन'और पूरा करेगी, आदिवासियों के लिए लेकर आ रही है नया प्लान

कमलनाथ सरकार आदिवासियों को उनका ज़मीन पर हक़ देगी
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) ने यूपीए के शासनकाल में लाए गए वन अधिकार कानून को लागू करने की तैयारी में है.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: September 12, 2019, 9:50 AM IST
भोपाल. मध्य प्रदेश (madhya pradesh) की कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) ने आदिवासियों के लिए बड़ा फैसला किया है. प्रदेश सरकार यूपीए सरकार में लागू वन अधिकार कानून पर अमल करेगी. सरकार आदिवासियों को ज़मीन का हक़ देने के लिए उनके दावों पर फिर से विचार करने जा रही है. इसका लाभ प्रदेश की 21 फीसदी आदिवासी आबादी को मिलेगा. सरकार इस बाबात आज सुप्रीम कोर्ट में एक रिपोर्ट पेश कर रही है.
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासियों को उनकी ज़मीन पर हक़ देने का वचन उसने दिया था. अब वह प्रदेश की 21 फीसदी आबादी को उसका हक देने जा रही है. कमलनाथ सरकार आदिवासियों के ज़मीन संबंधी उन दावों पर फिर से विचार करने जा रही है जो शिवराज सरकार के दौरान रद्द कर दिए गए थे.
साढ़े तीन लाख दावों पर विचार
अपनी योजना के तहत कमलनाथ सरकार ऐसे साढ़े तीन लाख दावों पर दोबारा विचार करने जा रही है. अगर दावा ठीक हुआ तो सरकार उस पर विचार कर उन्हें जमीन का अधिकार देने की तैयारी में है. इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर से होगी.वन मित्र सॉफ्टवेयर
सरकार इसके लिए वन मित्र सॉफ्टवेयर तैयार कर रही है. इसके जरिए आदिवासी दोबारा दावा कर सकेंगे. इसके लिए आदिवासी इलाकों में वन रक्षक नियुक्त किए जाएंगे जो आदिवासियों के दावों से जुड़ी जानकारी सॉफ्टवेयर में अपलोड करेंगे. इसके लिए वन रक्षकों को सरकार कुछ राशि का भुगतान करेगी. सरकार की कोशिश है कि वनक्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को उनकी ज़मीन का अधिकार दिया जाए. सरकार का दावा है कि मार्च 2020 तक सभी दावों पर विचार कर आदिवासियों को जमीन का अधिकार दे दिया जाएगा. प्रदेश के आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम के मुताबिक, सरकार चाहती है कि वर्षों से वन या राजस्व ज़मीन पर रह रहे आदिवासियों को उनकी ज़मीन का हक दिया जाए, ताकि वो निश्चित होकर जी सकें. सरकार वन मित्र सॉफ्टवेयर में पूरी जानकारी अपडोल करवा रही है.
आज पेश करेगी रिपोर्ट
दरअसल, सरकार आज 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में भी वन अधिकार कानून के तहत आदिवासियों को दी गई जमीन और दावों पर अपनी रिपोर्ट सौंपने जा रही है. एक संस्था ने वनक्षेत्र में बढ़ रहे अतिक्रमण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस पर कोर्ट ने सभी राज्यों से रिपोर्ट तलब की है. प्रदेश सरकार चाहती है कि राज्य के आदिवासियों के दावों पर आपत्ति पर जल्द सुनवाई पूरी कर पात्र आदिवासियों को जमीन का अधिकार दिया जाए. बहरहाल, लंबे समय़ से आदिवासियों की जल-जंगल और ज़मीन की मांग उठ रही है. जानकारी के मुताबिक, अभी तक प्रदेश में दो लाख 27 हजार दावों पर सरकार ने फैसला करते हुए उन्हें जमीन का अधिकार देने का फैसला किया है. इनके सिवाय अभी भी प्रदेश में तीन लाख साठ हजार प्रकरण लंबित हैं.
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासियों को उनकी ज़मीन पर हक़ देने का वचन उसने दिया था. अब वह प्रदेश की 21 फीसदी आबादी को उसका हक देने जा रही है. कमलनाथ सरकार आदिवासियों के ज़मीन संबंधी उन दावों पर फिर से विचार करने जा रही है जो शिवराज सरकार के दौरान रद्द कर दिए गए थे.
साढ़े तीन लाख दावों पर विचार
अपनी योजना के तहत कमलनाथ सरकार ऐसे साढ़े तीन लाख दावों पर दोबारा विचार करने जा रही है. अगर दावा ठीक हुआ तो सरकार उस पर विचार कर उन्हें जमीन का अधिकार देने की तैयारी में है. इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर से होगी.वन मित्र सॉफ्टवेयर
आज पेश करेगी रिपोर्ट
दरअसल, सरकार आज 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में भी वन अधिकार कानून के तहत आदिवासियों को दी गई जमीन और दावों पर अपनी रिपोर्ट सौंपने जा रही है. एक संस्था ने वनक्षेत्र में बढ़ रहे अतिक्रमण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस पर कोर्ट ने सभी राज्यों से रिपोर्ट तलब की है. प्रदेश सरकार चाहती है कि राज्य के आदिवासियों के दावों पर आपत्ति पर जल्द सुनवाई पूरी कर पात्र आदिवासियों को जमीन का अधिकार दिया जाए. बहरहाल, लंबे समय़ से आदिवासियों की जल-जंगल और ज़मीन की मांग उठ रही है. जानकारी के मुताबिक, अभी तक प्रदेश में दो लाख 27 हजार दावों पर सरकार ने फैसला करते हुए उन्हें जमीन का अधिकार देने का फैसला किया है. इनके सिवाय अभी भी प्रदेश में तीन लाख साठ हजार प्रकरण लंबित हैं.