कमलनाथ ने शुरू करवाई थी व्यापम महाघोटाले की जांच, BJP सरकार में बंद हुई कार्रवाई

एसटीएफ मुख्यालय
प्रदेश में व्यापम महाघोटाले (Vyapam Scam) की जांच कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) ने शुरू कराई थी. अब मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार आते ही जांच बंद कर दी गई है.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: May 1, 2020, 11:12 AM IST
भोपाल. शिवराज सरकार में हुए व्यापम महाघोटाले (Vyapam Big Scam) की जांच कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) ने शुरू कराई थी. इस जांच में एसटीएफ (STF) ने कई लोगों एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी. लेकिन कोरोना काल में व्यापम घोटाले की जांच बंद हो गई है और जांच में लगा एसटीएफ का अमला अब कोरोना ड्यूटी में तैनात है. अब एसटीएफ मुख्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही सीएम कमलनाथ ने एसटीएफ को व्यापम घोटाले की जांच के निर्देश दिए थे. एसटीएफ ने लंबे समय से पेंडिंग पड़ी 197 शिकायतों की जांच शुरू की थी. यह जांच 3 महीने तक चली और इन 3 महीनों में एसटीएफ ने 16 अलग-अलग घोटाले से जुड़ी एफआईआर दर्ज की गई. एसटीएफ इस मामले की जांच आगे बढ़ा रही थी कि सत्ता परिवर्तन हो गया और बीजेपी की सरकार आते ही सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एसटीएफ चीफ अशोक अवस्थी को हटा दिया.
एसटीएफ का पूरा अमला कोरोना ड्यूटी में लगा दिया गया
अब बीजेपी सरकार में व्यापम घोटाले की जांच बंद हो गई है और एसटीएफ का पूरा अमला कोरोना ड्यूटी में लगा दिया गया है. एसटीएफ के 4 जिलों के एसपी जिसमें भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर शामिल है, को ड्यूटी पर तैनात किया गया. इसके अलावा प्रदेशभर में तैनात एसटीएफ के 200 अधिकारी कर्मचारी को भी कोरोना ड्यूटी में तैनात किया गया है. हालांकि अशोक अवस्थी को हटाने के बाद शिवराज सरकार पर व्यापम घोटाले की जांच आगे बढ़ाने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
197 शिकायतों की जांच कर रही CBICBI ने जब जांच शुरू की थी, तब उसने 197 शिकायतें एसटीएफ के पास वापस भेज दी थीं, तब से ये शिकायत पेंडिंग पड़ी हुई थीं. कमलनाथ सरकार के निर्देश पर इन्हीं पेंडिंग शिकायतों की जांच एसटीएफ कर रही थी. ये लंबित शिकायतें साल 2014 से 2015 के बीच की बताई जा रही हैं.
ये है पूरा मामला...
व्यापम घोटाले की जांच शिवराज सरकार में सबसे पहले इंदौर क्राइम ब्रांच ने शुरू की थी. लेकिन घोटाले का दायरा बढ़ने की वजह से इस पूरे मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई. एसटीएफ ने इस मामले की जांच की कई लोगों को गिरफ्तार भी किया, लेकिन जांच के दौरान एसटीएफ पर सवाल खड़े होने लगे. शिवराज सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. अभी भी सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है लेकिन कमलनाथ सरकार ने सत्ता में आते ही फिर से एसटीएफ को इस घोटाले की जांच सौंप दी. एसटीएफ ने सिर्फ पेंडिंग शिकायतों की जांच शुरू की थी. उसे सीबीआई की जांच में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं था.
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एसटीएफ का पूरा अमला कोरोना ड्यूटी में लगा दिया गया
अब बीजेपी सरकार में व्यापम घोटाले की जांच बंद हो गई है और एसटीएफ का पूरा अमला कोरोना ड्यूटी में लगा दिया गया है. एसटीएफ के 4 जिलों के एसपी जिसमें भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर शामिल है, को ड्यूटी पर तैनात किया गया. इसके अलावा प्रदेशभर में तैनात एसटीएफ के 200 अधिकारी कर्मचारी को भी कोरोना ड्यूटी में तैनात किया गया है. हालांकि अशोक अवस्थी को हटाने के बाद शिवराज सरकार पर व्यापम घोटाले की जांच आगे बढ़ाने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
197 शिकायतों की जांच कर रही CBICBI ने जब जांच शुरू की थी, तब उसने 197 शिकायतें एसटीएफ के पास वापस भेज दी थीं, तब से ये शिकायत पेंडिंग पड़ी हुई थीं. कमलनाथ सरकार के निर्देश पर इन्हीं पेंडिंग शिकायतों की जांच एसटीएफ कर रही थी. ये लंबित शिकायतें साल 2014 से 2015 के बीच की बताई जा रही हैं.
ये है पूरा मामला...
व्यापम घोटाले की जांच शिवराज सरकार में सबसे पहले इंदौर क्राइम ब्रांच ने शुरू की थी. लेकिन घोटाले का दायरा बढ़ने की वजह से इस पूरे मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई. एसटीएफ ने इस मामले की जांच की कई लोगों को गिरफ्तार भी किया, लेकिन जांच के दौरान एसटीएफ पर सवाल खड़े होने लगे. शिवराज सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. अभी भी सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है लेकिन कमलनाथ सरकार ने सत्ता में आते ही फिर से एसटीएफ को इस घोटाले की जांच सौंप दी. एसटीएफ ने सिर्फ पेंडिंग शिकायतों की जांच शुरू की थी. उसे सीबीआई की जांच में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं था.
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