बीजेपी का दावा- अल्पमत में कमलनाथ सरकार, विधानसभा का सत्र बुलाएं राज्यपाल
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि सरकार को इस सत्र में अपना बहुमत साबित करना होगा. क्योंकि जनता उन्हें अब पूरी तरह से नकार रही है.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: May 20, 2019, 2:50 PM IST
लोकसभा चुनाव 2019 खत्म हो चुका है और अब बारी नतीजों की है. 23 मई को आने वाले नतीजों से पहले एग्जिट पोल्स के अनुमान सामने आए हैं, जो नरेंद्र मोदी के एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी कर रहे हैं. इस बीच बीजेपी ने मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के अल्पमत में होने के आरोप लगाना शुरू कर दिया है. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर सत्र बुलाने की मांग की है.
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'एग्जिट पोल के अनुसार एक बार फिर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, वहीं मध्य प्रदेश में कांग्रेस को दो से तीन सीटें मिलने वाली हैं, यह इस बात का संकेत है कि मध्य प्रदेश में वर्तमान सरकार ने जनता का भरोसा खो दिया है.'
भार्गव ने कहा, 'कई कांग्रेस के विधायक कमलनाथ सरकार से परेशान हो चुके हैं और बीजेपी के साथ आना चाहते हैं. ऐसे में सरकार ने उन्होंने कहा कि बीजेपी खरीद फरोख्त नहीं करेगी, लेकिन कांग्रेस के ही विधायक अब उनकी सरकार के साथ नहीं हैं. इसलिए उनकी मांग है कि राज्य विधानसभा का सत्र बुलाया जाए.'
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को इस सत्र में अपना बहुमत साबित करना होगा. क्योंकि जनता उन्हें अब पूरी तरह से नकार रही है. ये सरकार अपने ही बोझ से गिर जाएगी.‘22 दिन भी सीएम नहीं बने रहेंगे कमलनाथ’
इससे पहले इंदौर में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सीएम कमलनाथ पर लोकसभा चुनाव में 22 सीट जीतने के दावे पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि 23 मई को नतीजों के बाद देखने होगा कि कमलनाथ 22 दिन मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं, इस पर भी प्रश्नचिन्ह है.
एग्जिट पोल से बीजेपी खुश
बता दें कि न्यूज 18 के एग्जिट पोल के नतीजों पर बीजेपी खुश है और कांग्रेस इस पर उंगली उठा रही है. बीजेपी कह रही है जनता ने मोदीजी पर भरोसा जताया. लेकिन कांग्रेस का कहना है एग्जिट पोल के नतीजे 2004 जैसे साबित होंगे. बीजेपी उपाध्यक्ष प्रभात झा ने कहा कि पूरे देश में मोदी की लहर है. राजनीतिक की दिशा भी बदल रही है. उन्होंने दावा किया कि इस बार भी मध्य प्रदेश में 27-28 सीटें आ रही हैं. भोपाल सीट भी हम निश्चित रूप से जीतेंगे. देश का हर वर्ग मोदी नेतृत्व चाहता है.
विधानसभा का गणित
कुल 230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, उसे 114 सीटें मिली थीं, हालांकि बहुमत के आंकड़े से वो दो सीटें दूर रह गई थी. बहुमत के लिए 116 सीटें चाहिए थीं, वहीं बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं. इसके अलावा निर्दलीय को चार, बसपा को दो सीटें और सपा को एक सीट मिली थी. चुनाव परिणाम के दिन ही सपा और बसपा ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया था और निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस के पक्ष में थे, इस प्रकार कांग्रेस ने अपने बहुमत का आंकड़ा साबित कर दिया था और कमलनाथ मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने थे.
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भार्गव ने कहा, 'कई कांग्रेस के विधायक कमलनाथ सरकार से परेशान हो चुके हैं और बीजेपी के साथ आना चाहते हैं. ऐसे में सरकार ने उन्होंने कहा कि बीजेपी खरीद फरोख्त नहीं करेगी, लेकिन कांग्रेस के ही विधायक अब उनकी सरकार के साथ नहीं हैं. इसलिए उनकी मांग है कि राज्य विधानसभा का सत्र बुलाया जाए.'
इससे पहले इंदौर में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने सीएम कमलनाथ पर लोकसभा चुनाव में 22 सीट जीतने के दावे पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि 23 मई को नतीजों के बाद देखने होगा कि कमलनाथ 22 दिन मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं, इस पर भी प्रश्नचिन्ह है.
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बता दें कि न्यूज 18 के एग्जिट पोल के नतीजों पर बीजेपी खुश है और कांग्रेस इस पर उंगली उठा रही है. बीजेपी कह रही है जनता ने मोदीजी पर भरोसा जताया. लेकिन कांग्रेस का कहना है एग्जिट पोल के नतीजे 2004 जैसे साबित होंगे. बीजेपी उपाध्यक्ष प्रभात झा ने कहा कि पूरे देश में मोदी की लहर है. राजनीतिक की दिशा भी बदल रही है. उन्होंने दावा किया कि इस बार भी मध्य प्रदेश में 27-28 सीटें आ रही हैं. भोपाल सीट भी हम निश्चित रूप से जीतेंगे. देश का हर वर्ग मोदी नेतृत्व चाहता है.
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कुल 230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, उसे 114 सीटें मिली थीं, हालांकि बहुमत के आंकड़े से वो दो सीटें दूर रह गई थी. बहुमत के लिए 116 सीटें चाहिए थीं, वहीं बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं. इसके अलावा निर्दलीय को चार, बसपा को दो सीटें और सपा को एक सीट मिली थी. चुनाव परिणाम के दिन ही सपा और बसपा ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया था और निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस के पक्ष में थे, इस प्रकार कांग्रेस ने अपने बहुमत का आंकड़ा साबित कर दिया था और कमलनाथ मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने थे.
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