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'Love Jihad के निकाह को इस्लाम की इजाजत नहीं', ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने काजियों को लिखा खत

Anti Love Jihad Law. काजी सैयद अनस अली नदवी ने कहा इस तरह के निकाह को इस्लाम इजाजत नहीं देता कि आप शादी के लिए अपने मजहब को बदलें. यह मुनासिब नहीं है.  (प्रतीकात्मक)

Anti Love Jihad Law. काजी सैयद अनस अली नदवी ने कहा इस तरह के निकाह को इस्लाम इजाजत नहीं देता कि आप शादी के लिए अपने मजहब को बदलें. यह मुनासिब नहीं है. (प्रतीकात्मक)

Love Jihad. ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया. भोपाल में सोमवार को बोर्ड की बैठक हुई. इसमें शामिल ब ...अधिक पढ़ें

भोपाल. ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड  की आज भोपाल में हुई बैठक में बड़ा फैसला लिया गया. बोर्ड में फैसला लिया गया कि मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में कहीं भी लव जिहाद (Love Jihad) नहीं होना चाहिए. बोर्ड ने कहा हम देश की गंगा जमुनी तहजीब को कायम रखते हुए शांति चाहते हैं. इस संबंध में बोर्ड ने काजियों को पत्र भी लिखा है.

मध्यप्रदेश में लव जिहाद रोकने के लिए भले ही कानून बन गया हो और इसके तहत कार्रवाई भी की जा रही हो. लेकिन इस सबके बीच ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड  की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया. भोपाल में सोमवार को बोर्ड की बैठक हुई. इसमें शामिल बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी ने कहा बैठक में फैसला लिया गया कि मध्य प्रदेश के साथ पूरे देश भर में लव जिहाद के मामले बिल्कुल नहीं होना चाहिए. हम अमन शांति चाहते हैं. गंगा जमुना तहजीब को कायम रखना चाहते हैं.

निकाह कराने वाले काजियों को लिखा पत्र…
काजी सैयद अनस अली नदवी ने कहा हमने निकाह कराने वाले सभी काजियों को पत्र लिखा है. लड़का लड़की के निकाह के समय पेरेंट्स की मौजूदगी होनी चाहिए है. एक धर्म वाले का दूसरे धर्म वाले से निकाह नहीं होता. मध्य प्रदेश में कुछ ऐसी शिकायत आई है जिसकी हम जांच कर रहे हैं. हमनें चिट्ठी में कहा है कि इस तरीके से निकाह नहीं कराएं. यदि कोई इस तरह निकाह करता है तो हम उस पर सख्त कार्रवाई करेंगे.

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इस्लाम इस बात की इजाजत नहीं देता..
काजी सैयद अनस अली नदवी ने कहा इस तरह के निकाह को इस्लाम इजाजत नहीं देता कि आप शादी के लिए अपने मजहब को बदलें. यह मुनासिब नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि कई मामलों में देखने में आया है कि सिर्फ निकाह का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए लोगों ने अपना नाम इस्लामी तरीके का रख लिया. इसमें लड़का और लड़की दोनों ही शामिल हैं. महज निकाह या इस्लामी पद्धति से विवाह करने के मकसद से किया गया धर्म परिवर्तन न तो मजहबी एतबार से दुरुस्त है और न ही इसे कानूनी मान्यता है. ऐसे मामले में शामिल होने के मायने कानून का उल्लंघन करना भी होगा.

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