मायावती और सोनिया गांधी (फाइल फोटो)
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार में 'बड़ी बहनजी' के किरदार में आ चुकी हैं. 2018 के चुनाव में बसपा का ग्राफ गिरा है. बावजूद इसके मायावती की ताकत बढ़ी है. अपने 2 विधायक और 5 फीसदी वोटबैंक के साथ कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन वाली बसपा सरकार गिराने की हैसियत में नहीं है, फिर भी उनकी खुले आम धमकियों के बाद सरकार का 24 घंटे के अंदर एक्शन मोड में आना बता रहा है कि कांग्रेस किसी भी कीमत पर बड़ी बहनजी की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है क्योंकि नजर 2019 के चुनाव पर है. हाल ही के रिजल्ट बता रहे हैं कि कांग्रेस और बसपा ने भाजपा की 20 लोकसभा सीटों पर सेंध मारी है.
दो तरफा धार
मध्यप्रदेश में अब सियासत की जमीन 2019 के लिए तैयार हो रही है. भाजपा और कांग्रेस के बीच बसपा वह फैक्टर है जो दो तरफा धार के साथ कहीं कांग्रेस को तो कहीं भाजपा को नुकसान पहुंचा रहा है. बसपा यहां से दिल्ली के लिए भले ही कोई धमाकेदार एंट्री नहीं की है लेकिन वह कांग्रेस या भाजपा की एंट्री को रोकने में जरूर कामयाब है.
कांग्रेस को 32 सीटों पर नुकसान
2018 के चुनाव में बसपा कांग्रेस के साथ गठबंधन की राह पर चलते हुए पलट गई. इसका नुकसान कांग्रेस को 32 सीटों पर हुआ और फायदा 12 सीटों पर हुआ. चंबल से लेकर विंध्य तक मालवा-निमाड से लेकर मध्य क्षेत्र की ऐसी 32 सीटें हैं जहां पर पांच सौ से दो हजार वोटों के कारण कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव हारे हैं.
बसपा उनके हिस्से का वोट ले गई और भाजपा मामूली अंतर से चुनाव जीत गई. ऐसी ही 12 विधानसभा सीटे हैं, जहां पर कांग्रेस को मामूली अंतर से जीत हासिल हुई है. यहां भी बसपा फैक्टर रहा है. तीन सौ वोटों से लेकर दो हजार के बीच हुई इस हार जीत में बसपा का वोट काटना निर्णायक रहा है. इन सीटों पर बसपा ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया है.
बसपा की जमीन तैयार
एट्रोसिटी एक्ट के विवाद में बंद हुए भारत बंद में मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में जातिगत संघर्ष हुआ. जिसमे कई बसपा समर्थकों पर मामले दर्ज हुए. मायावती ने अपना चुनावी दांव खेलते हुए कांग्रेस सरकार को यह मामले हटाने की मांग करते हुए समर्थन वापसी की धमकी दे ड़ाली. दरअसल बसपा इस क्षेत्र में अपनी जमीन को तैयार कर चुकी है. कांग्रेस के स्टार कैम्पेनर ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र कोलारस में ही बसपा ने अपनी मजबूत पकड़ बताते हुए भाजपा को जीतवा दिया है. वहीं ग्वालियर संभाग में वह ताकत से उभरी है.
20 सीटों पर ताकत
राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं कि 2019 के चुनाव के पहले कांग्रेस-बसपा साथ हो सकते हैं. ऐसे में कांग्रेस की 14 सीटों पर हाल ही दर्ज की गई जीत और बसपा की 6 सीटों पर उभरी मजबूती भाजपा को दस का आंकडा पार नहीं करने देगी. लोकसभा की कुल 29 सीटों पर फिलहाल 26 पर भाजपा और 3 पर कांग्रेस है.
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