भोपाल. मध्य प्रदेश में मजबूत लोकतंत्र में लगातार महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है. इस बार निकाय चुनावों में महिलाओं प्रत्याशियों पर पार्टियों ने ज्यादा भरोसा जताया है. चाहे भाजपा हो या कांग्रेस या आम आदमी पार्टी, सभी ने महिला प्रत्याशियों पर ही दांव लगाया है. निकाय चुनावों में भाजपा और कांग्रेस से पार्षद और महापौर पदों पर महिला प्रत्याशी जनमत हासिल करने जोर आजमाइश में लगी हुई हैं. निकाय चुनाव में पार्षद प्रत्याशियों पर भारतीय जनता पार्टी ने जताया भरोसा है तो कांग्रेस ने भी महिला दावेदारों पर ही दांव लगाया है. भाजपा और कांग्रेस ने इस बार पुरुषों से ज्यादा महिलाओ पर भरोसा जताया है.
कांग्रेस और बीजेपी ने 50 फीसदी महिलाओं को टिकिट दिया है. 85 वार्डों में भाजपा ने पार्षद पद पर 42 महिलाओ और 43 पुरुषों को टिकिट दिया है. कांग्रेस ने 43 महिलाओं और 42 पुरुषों को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने 16 निकायों में महापौर पद पर 08 महिलाओं पर तो भाजपा ने 07 महिलाओं को मैदान में उतारा है.
निकाय चुनाव में महिला को बनाया प्रत्याशी
निकाय चुनाव में महिला प्रत्याशियों पर दांव लगाने को लेकर भाजपा का कहना है कि 50 फीसदी आरक्षण मातृशक्ति के लिए है ही. इसके बाद भी कई अच्छे चेहरे होते हैं, जो चुनाव लड़ने की योग्यता रखते हैं तो ऐसी बहनों को ऐसी बेटियों को अवसर मिला है तो यह अच्छा है. लोकतंत्र के लिए मातृशक्ति की भागीदारी नगरीय निकाय चुनाव के माध्यम से बढ़ रही है, तो यह सुखद संकेत है.
इधर कांग्रेस का कहना है कि महिला शक्ति को ताकत देने से देश का और जनता का भला होता है. सबसे बड़ी बात है पुरुषों पर भ्रष्टाचार के आरोप आसानी से लग जाते हैं. महिला शक्ति को राजनीति कालिख की कोठरी में भी बैठाया जाए तो गर्व से कह सकता हूं कि 80 फीसदी ईमानदार हैं. हम लोग राजनीति रूप से महिला सशक्तिकरण की शाब्दिक बात करते हैं पर कांग्रेस पार्टी ने उसे अमल में लाया है.
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