MP : एक्शन में प्रॉसिक्यूशन...अब महिला विरोधी अपराधों में पैरवी में आएगी तेजी...

तकनीकी बाधाओं को दूर करने के लिए अन्य विभागों जैंसे फॉरेन्सिक, पुलिस आदि से मदद भी ली जा रही है. (सांकेतिक तस्वीर)
वेबिनार में महिलाओं के खिलाफ हो रहे आपराधिक मामलों के बारे में संबंधित विभागों के लोगों ने अपने पेपर पढ़े.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: December 21, 2020, 3:02 PM IST
भोपाल.मध्यप्रदेश में महिला विरोधी अपराधों (Crime against Women) के केस की कोर्ट में तेज़ी से पैरवी के लिए प्रॉसिक्यूशन डिपार्टमेंट एक्शन में आ गया है. डीजी प्रॉसिक्यूशन ने प्रदेश के सभी अभियोजन अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश भी जारी कर दिए हैं.
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के प्रकरणों की पैरवी में तेजी लाने के लिए अभियोजन अधिकारियों का चार दिन का ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम पूरा हुआ.डीजी प्रॉसिक्यूशन विजय यादव ने कहा पुलिस, अभियोजन और ज्यूडशरी को जेंडरर सेंसिटिव के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है.
पैरवी में तेजी लाने के टिप्स...
जनसंपर्क अधिकारी लोक अभियोजन भोपाल संभाग मनोज त्रिपाठी ने बताया कि ऑनलाइन प्रशिक्षण के दौरान संचालक विजय यादव ने अभियोजन अधिकारियों को पैरवी में तेजी लाने और तमाम दिशा निर्देश दिए. उन्होंने वूमन सेफ्टी एवं क्राइम एगेंस्ट वूमन को बहुत महत्वपूर्ण विषय बताया. साथ ही कहा गया कि पुलिस, अभियोजन और ज्यूडशरी को जेंडर सेंसिटिव के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है. अभियोजन विभाग पुलिस और न्यायालय के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करता है. इसलिए अभियोजन को वूमन सेफ्टी के मामलों में प्रो-एक्टिव रोल अदा करना आवश्यक है. मध्य प्रदेश में अभियोजित किये जा रहे महिलाओं के विरूद्ध आपराधिक प्रकरणों की समीक्षा समय-समय पर की जा रही है और दिशा-निर्देश अधिकारियों को दिये जा रहे हैं.अन्य विभागों से मदद
डायरेक्टरेट लेवल पर केस में आ रही तकनीकी बाधाओं को दूर करने के लिए अन्य विभागों जैंसे फॉरेन्सिक, पुलिस आदि से मदद भी ली जा रही है.इससे केसेस का निपटारा समय पर होगा.संयुक्त संचालक एल.एस. कदम और सहायक संचालक शैलेन्द्र शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रोत्साहन दिया.

एक्सपर्ट्स ने रखी अपनी बात
वेबिनार में महिलाओं के खिलाफ हो रहे आपराधिक मामलों के बारे में संबंधित विभागों के लोगों ने अपने पेपर पढ़े. फारेंसिक एविडेंस इन सेक्सुअल ऑफेंसेस, डिटरमिनेशन ऑफ एज ऑफ विक्टिम, महिलाओं के विरूद्ध साइबर क्राइम, एक्जामिनेशन ऑफ विटनिस एण्ड सपोर्ट फॉर विक्टिम इन सेक्सुअल ऑफेंसेस, पीटा एक्ट के प्रावधान और विवेचना, पॉक्सो एक्ट के मामलों में अभियोजन, विक्टिम कम्पनसेशन स्कीम के प्रावधान, एवं महिला संबंधी अपराधों में अपनाई जाने वाली न्यायालयीन प्रक्रिया एवं प्रॉस्क्यिूटर की भूमिका आदि विषयों पर विशेषज्ञ व्याख्याताओं के रूप में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीशगण, सामाजिक कार्यकर्ता, अभियोजन विभाग के मास्ट ट्रेनर्स ने जानकारी दी.
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के प्रकरणों की पैरवी में तेजी लाने के लिए अभियोजन अधिकारियों का चार दिन का ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम पूरा हुआ.डीजी प्रॉसिक्यूशन विजय यादव ने कहा पुलिस, अभियोजन और ज्यूडशरी को जेंडरर सेंसिटिव के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है.
पैरवी में तेजी लाने के टिप्स...
जनसंपर्क अधिकारी लोक अभियोजन भोपाल संभाग मनोज त्रिपाठी ने बताया कि ऑनलाइन प्रशिक्षण के दौरान संचालक विजय यादव ने अभियोजन अधिकारियों को पैरवी में तेजी लाने और तमाम दिशा निर्देश दिए. उन्होंने वूमन सेफ्टी एवं क्राइम एगेंस्ट वूमन को बहुत महत्वपूर्ण विषय बताया. साथ ही कहा गया कि पुलिस, अभियोजन और ज्यूडशरी को जेंडर सेंसिटिव के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है. अभियोजन विभाग पुलिस और न्यायालय के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करता है. इसलिए अभियोजन को वूमन सेफ्टी के मामलों में प्रो-एक्टिव रोल अदा करना आवश्यक है. मध्य प्रदेश में अभियोजित किये जा रहे महिलाओं के विरूद्ध आपराधिक प्रकरणों की समीक्षा समय-समय पर की जा रही है और दिशा-निर्देश अधिकारियों को दिये जा रहे हैं.अन्य विभागों से मदद
डायरेक्टरेट लेवल पर केस में आ रही तकनीकी बाधाओं को दूर करने के लिए अन्य विभागों जैंसे फॉरेन्सिक, पुलिस आदि से मदद भी ली जा रही है.इससे केसेस का निपटारा समय पर होगा.संयुक्त संचालक एल.एस. कदम और सहायक संचालक शैलेन्द्र शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रोत्साहन दिया.
एक्सपर्ट्स ने रखी अपनी बात
वेबिनार में महिलाओं के खिलाफ हो रहे आपराधिक मामलों के बारे में संबंधित विभागों के लोगों ने अपने पेपर पढ़े. फारेंसिक एविडेंस इन सेक्सुअल ऑफेंसेस, डिटरमिनेशन ऑफ एज ऑफ विक्टिम, महिलाओं के विरूद्ध साइबर क्राइम, एक्जामिनेशन ऑफ विटनिस एण्ड सपोर्ट फॉर विक्टिम इन सेक्सुअल ऑफेंसेस, पीटा एक्ट के प्रावधान और विवेचना, पॉक्सो एक्ट के मामलों में अभियोजन, विक्टिम कम्पनसेशन स्कीम के प्रावधान, एवं महिला संबंधी अपराधों में अपनाई जाने वाली न्यायालयीन प्रक्रिया एवं प्रॉस्क्यिूटर की भूमिका आदि विषयों पर विशेषज्ञ व्याख्याताओं के रूप में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीशगण, सामाजिक कार्यकर्ता, अभियोजन विभाग के मास्ट ट्रेनर्स ने जानकारी दी.