भोपाल. मध्य प्रदेश में बागी नेताओं ने बीजेपी और कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी है. यह बागी नेता स्थानीय स्तर पर चुनाव के दौरान वोट बैंक का गणित बिगाड़ सकते हैं. इसके मद्देनजर बीजेपी और कांग्रेस ने निष्कासन की कार्रवाई बागियों पर शुरू कर दी है. लेकिन, इस बीच अभी भी दोनों पार्टियां मैदान में उतरे अपने रूठे साथियों को मनाने में जुटी हुई हैं. प्रदेश की 16 में से 6 नगर निगमों में बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं. पार्टी से बगावत कर 7 उम्मीदवार महापौर के लिए चुनाव में लड़ रहे हैं. इनमें कांग्रेस के 4 और बीजेपी के 3 बागी नेता हैं. ग्वालियर की कांग्रेस महिला मोर्चा की पूर्व जिला अध्यक्ष रुचि गुप्ता और सतना में कांग्रेस के सईद अहमद ने चुनाव लड़ने के लिए पार्टी ही बदल ली.
गौरतलब है कि अहमद बीएसपी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं, जबकि रुचि आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रही हैं. वहीं, कटनी में बीजेपी की बागी प्रीति सूरी चुनावी मैदान में निर्दलीय लड़ रही हैं. छिंदवाड़ा में कांग्रेस से बागी हुए बालाराम परतेती अब भी मैदान में डटे हैं. देवास में प्रदेश कांग्रेस महासचिव शिवा चौधरी की बहू मनीषा चौधरी निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं. रतलाम में बीजेपी से बागी होकर अरुण राव निर्दलीय महापौर चुनाव लड़ रहे हैं.
बागियों पर होती है सख्त कार्रवाई
इस मामले को लेकर बीजेपी के पूर्व सांसद आलोक संजर ने कहा कि बागी भले ही एक हो, लेकिन हमारे कार्यकर्ता अनेक हैं. बागी से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि कार्यकर्ता हमेशा पार्टी की विचारधारा के तहत काम करता है. जो विचारधारा के साथ नहीं चलता है उसे नियम के तहत पार्टी 6 साल के लिए निष्कासित करती है. यह एक लंबा समय रहता है. इसलिए अधिकांश नेता और कार्यकर्ता पार्टी की विचारधारा में दोबारा आ जाते हैं. यदि कोई कार्यकर्ता अलग नाव में सवार होगा तो उसकी नाव डूब जाती है. पार्टी को बागियों से कोई फर्क नहीं पड़ता. वहीं, प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता काम कर रहे हैं. हम निकाय चुनाव में जीत हासिल करेंगे. बागियों पर संगठन की तरफ से निष्कासन की कार्रवाई की जाती है.
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