नौकरी के लिए सरकार की चौखट तक पहुंची असिस्टेंट प्रोफेसरों की पदयात्रा, कब होगी सुनवाई?

नियुक्ति की मांग को लेकर चयनित प्रोफेसरों की पदयात्रा भोपाल पहुंची
एमपी पीएससी से चयन के बाद नियुक्ति का इंतजार कर रहे असिस्टेंट प्रोफेसरों का आंदोलन (Protest) राजधानी भोपाल तक पहुंच गया है. इन चयनित उम्मीदवारों का कहना है कि सरकार कोर्ट के उस स्टे का सहारा लेकर उन्हें नियुक्ति नहीं दे रही है जो केवल 91 महिला उम्मीदवारों के मामले पर दिया गया था.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: November 30, 2019, 5:19 PM IST
भोपाल. महू से निकली 'संविधान रक्षा यात्रा' के रुप में सैकड़ों की संख्या में चयनित उम्मीदवार पदयात्रा करते हुए भोपाल पहुंचे. इनमें काफी संख्या में महिला उम्मीदवार भी शामिल हैं. भोपाल पहुंचने पर इन उम्मीदवारों को चिरायु हॉस्पिटल (Chirayu Hospital) के पास ही पुलिस ने रोक लिया और राजधानी के अंदर नहीं आने दिया. इन उम्मीदवारों का कहना है कि कानूनी पहलू की आड़ लेकर सरकार उन्हें नियुक्ति नहीं दे रही है. अगर सरकार चाहे तो उन्हें नियुक्ति दे सकती है क्योंकि कोर्ट में जो मामला है वो केवल 91 महिला उम्मीदवारों का है और उन्हीं की नियुक्ति पर फिलहाल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का स्टे (Stay) है लेकिन सरकार ने बाकी पदों पर भी नियुक्ति रोक रखी है.
महू से निकली यात्रा पहुंची भोपाल
दरअसल ये उम्मीदवार एमपी-पीएससी में चयन के एक साल बाद भी अपनी ज्वाइनिंग का इंतजार कर रहे हैं. इससे पहले इन सभी ने महू से संविधान रक्षा यात्रा शुरु की थी और सामूहिक रूप से मुंडन कराकर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया था. महू से निकली ये पदयात्रा अब भोपाल तक पहुंच चुकी है. पदयात्रा कर रहे उम्मीदवार अपने हाथों में संविधान की प्रतियां लिए हुए हैं जो ये सीएम, उच्च शिक्षा मंत्री और राज्यपाल को देने की बात कर रहे हैं. हालांकि पुलिस ने इन्हें भोपाल शहर में प्रवेश करने से पहले ही रोक दिया है.
क्या है मामला ? मध्य प्रदेश में मौजूदा वक्त में उच्च शिक्षा विभाग में 5 हज़ार से ज्यादा प्रोफेसरों के पद खाली पड़े हैं. साल 2018 में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से 2700 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्तियां हुईं थीं. नियुक्ति के बाद 91 महिला उम्मीदवारों के आरक्षण कोटे में चयन को लेकर विवाद हुआ और मामला कोर्ट पहुंच गया. पीएससी में चयनित सहायक प्राध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ प्रकाश खातरकर की मानें तो कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए 91 महिला उम्मीदवारों की नियुक्ति पर स्टे दिया था लेकिन बाकी पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया रोके जाने जैसा कोई आदेश नहीं है बावजूद इसके एक साल बाद भी चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं दी गई है. हालांकि सरकार कई बार आश्वासन दे चुकी है लेकिन नतीजा अब तक सिफर है.
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महू से निकली यात्रा पहुंची भोपाल
दरअसल ये उम्मीदवार एमपी-पीएससी में चयन के एक साल बाद भी अपनी ज्वाइनिंग का इंतजार कर रहे हैं. इससे पहले इन सभी ने महू से संविधान रक्षा यात्रा शुरु की थी और सामूहिक रूप से मुंडन कराकर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया था. महू से निकली ये पदयात्रा अब भोपाल तक पहुंच चुकी है. पदयात्रा कर रहे उम्मीदवार अपने हाथों में संविधान की प्रतियां लिए हुए हैं जो ये सीएम, उच्च शिक्षा मंत्री और राज्यपाल को देने की बात कर रहे हैं. हालांकि पुलिस ने इन्हें भोपाल शहर में प्रवेश करने से पहले ही रोक दिया है.
क्या है मामला ? मध्य प्रदेश में मौजूदा वक्त में उच्च शिक्षा विभाग में 5 हज़ार से ज्यादा प्रोफेसरों के पद खाली पड़े हैं. साल 2018 में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से 2700 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्तियां हुईं थीं. नियुक्ति के बाद 91 महिला उम्मीदवारों के आरक्षण कोटे में चयन को लेकर विवाद हुआ और मामला कोर्ट पहुंच गया. पीएससी में चयनित सहायक प्राध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ प्रकाश खातरकर की मानें तो कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए 91 महिला उम्मीदवारों की नियुक्ति पर स्टे दिया था लेकिन बाकी पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया रोके जाने जैसा कोई आदेश नहीं है बावजूद इसके एक साल बाद भी चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं दी गई है. हालांकि सरकार कई बार आश्वासन दे चुकी है लेकिन नतीजा अब तक सिफर है.
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First published: November 30, 2019, 5:19 PM IST
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